भाद्रपद माह की चतुर्थी तिथि से लेकर चतुर्दशी तिथि तक गणेश महोत्सव (Ganesh Mahotsav) चलता है जिसे गणेश चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। इस वर्ष गणेश चतुर्थी पर्व की शुरुआत 10 सितंबर 2021 (शुक्रवार) के दिन से हो रही है और 19 सितंबर को अनंत चतुर्दशी (Anant Chaturdashi) के दिन उन्हें विदाई दी जाएगी। हिंदू धर्म में गणेश भगवान (Lord Ganesha) को प्रथम पूजनीय का दर्जा प्राप्त है, अर्थात किसी भी शुभ या मांगलिक कार्य में सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है और इसके बाद ही काम शुरू किया जाता है।
कहते हैं ऐसा करने से व्यक्ति के जीवन की तमाम समस्याएं दूर होती हैं और होने वाला काम बिना किसी अमंगल के पूरा होता है और साथ ही गणेश भगवान की पूजा से व्यक्ति को किसी भी तरह के रोग, आर्थिक समस्या, नौकरी, मकान, व्यवसाय, संतान से संबंधित समस्याओं का हल भी मिल जाता है। 10 दिनों के गणेशोत्सव को लेकर कई बातों का ध्यान रखना जरूरी है। आइए आपको बताते हैं कि गणेश चतुर्थी पर क्या करना अशुभ माना जाता है।
लाल और पीले रंग के पहनें कपड़े
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, गणेश भगवान की कृपा से रिद्धि-सिद्धि और सुख एवं शांति प्राप्त होती है। गणेश जी का पूजन करने के समय कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए। गणेश चतुर्थी की पूजा में किसी भी व्यक्ति को नीले और काले रंग के कपड़े नहीं पहनने चाहिए। ऐसे में लाल और पीले रंग के कपड़े पहनना शुभ होता है। गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा के दर्शन नहीं करने चाहिए। यदि आप भूलवश चंद्रमा का दर्शन कर भी लें, तो जमीन से एक पत्थर का टुकड़ा उठाकर पीछे की तरफ फेंक दें।
पूजन के लिए नई मूर्ति का करें इस्तेमाल
इसके अलावा गणेश जी की पूजा में नई मूर्ति का इस्तेमाल करें और पुरानी मूर्ति को विसर्जित कर दें। घर में गणेश भगवान की दो मूर्तियां भी नहीं रखनी चाहिए। यदि भगवान गणेश की मूर्ति के पास अगर अंधेरा हो तो ऐसे में उनके दर्शन नहीं करने चाहिए। अंधेरे में भगवान की मूर्ति के दर्शन करना अशुभ माना जाता है।
ये चीजें हैं गणेश भगवान को प्रिय
गणेश जी का पूजन करते समय दूब घास, गन्ना और बूंदी के लड्डू का भोग लगाएं. गणेश जी की मूर्ति खरीदते समय ध्यान रखें, कि उनकी सूड़ दायें तरफ मुड़ी हुई होनी चाहिए. इससे धन और वैभव प्राप्त होता है। गणेश जी के पूजन में तुलसी के पत्ते नहीं चढ़ाने चाहिए। मान्यता है कि तुलसी ने भगवान गणेश को लम्बोदर और गजमुख कहकर शादी का प्रस्ताव दिया था, जिससे नाराज होकर गणेश भगवान ने उन्हें श्राप दे दिया था।