विपिन नीमा
इंदौर। अयोध्या में 22 जनवरी को नए राम मंदिर में राम लला की मूर्ति का प्राण-प्रतिष्ठा समारोह के बाद देश में 543 सीटों का संघर्ष शुरू हो जाएगा। मप्र में लोकसभा चुनाव की 29 सीटों के लिए भाजपा और कांग्रेस ने अपनी अपनी प्रारंभिक तैयारियां शुरू कर दी ही। इस बार कोन कोन प्रत्याशी आमने सामने होंगे इसके लिए दोनो पार्टियों में मंथन चल रहा हे। प्रदेश की 29 सीटों में से इस वक्त भाजपा के पास 28 और कांग्रेस के पास एकमात्र सीट है।
कांग्रेस को सीटे बढ़ाने के लिए काफी खड़ा संघर्ष करना पड़ेगा , जबकि भाजपा सभी 29 सीटे जीतने का प्रयास करेगी। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी कल दिल्ली में पार्टी हाई कमान के सामने प्रदेश के चुनाव व्यवस्थाओं का एजेंडा रखेंगे। इसी सप्ताह कांग्रेस की नई कार्यकारिणी का गठन भी हो जाएगा। नई सरकार शासकीय कार्यालयो में नई राजनीतिक नियुक्तियां नहीं करेगी।
इस बार शंकर या कोई और
गत लोकसभा चुनाव में पहली बार किस्मत आजमा कर 5 लाख 47 हजार 754 वोटों के विशाल अंतर से मप्र में सबसे बड़ी जीत हासिल करने वाले इंदौर के सांसद शंकर लालवानी इस बार फिर से चुनाव लड़ने की तैयारी तो कर रहे है, लेकिन अभी यह स्पष्ट नहीं है की उन्हें लोकसभा चुनाव में फिर से टिकट मिलेगा या नहीं। पार्टी की मजबूती के लिए हाईकमान की सोच सबसे अलग ही रहती है। विधानसभा चुनाव इसका सबसे बड़ा उदाहरण है।
चुनाव में हाईकमान के दो बड़े फैसलों ने सभी को चौंका दिया था। एक तो सांसद और केंद्रीय मंत्रियों को विधायक का चुनाव लडा दिया और दूसरा जो दौड़ में नहीं था उसे मुख्यमंत्री बना दिया। ऐसी ही स्थिति लोकसभा चुनाव में भी बन सकती है। पार्टी हाईकमान किसी को भी टिकट दे सकती है। लोकसभा के लिए नगर अध्यक्ष गौरव रणदीवे और मप्र युवा आयोग के अध्यक्ष डा निशांत खरे दावेदारी तो कर रहे है, लेकिन दोनों के पास अध्यक्ष पद है इसलिए उन्हें टिकट की संभावना बहुत कम है। तीसरे दावेदार के रुप में महापौर पुष्यमित्र भार्गव का नाम आ रहा है। वे भी ताकत के साथ लगे हुए है। शंकर लालवानी के लिए रास्ता आसान नहीं है फिर भी वे दावेदारों की सूची में शामिल है।
चुनाव बाद होगी नई राजनीतिक नियुक्तियां
मप्र में डा मोहन यादव की सरकार बनने के बाद से ही अफसरों की अदली बदली हो रही है। सबसे ज्यादा वे अफसर प्रभावित हो रहे है जिनकी नियुक्तियां शिवराज सरकार के समय हुई थी। इसी प्रकार शासकीय कार्यालयों में की गई राजनैतिक नियुक्तियों को लेकर मोहन यादव की सरकार ने तय किया है आगामी आदेश तक सारी नियुक्तियां की गई है वो यथावत रहेगी। लोकसभा चुनाव के बाद नई नियुक्तियां की जाएंगी।
इंदौर में आईडीए बोर्ड के अध्यक्ष जयपालसिंह चावडा अकेले पदाधिकारी हे । पहले उनके साथ गोलू शुक्ला उपाध्यक्ष थे, लेकिन विधानसभा चुनाव का टिकिट मिलने के कारण उन्हें पद से इस्तीफा देना पड़ा था। अब वे विधायक बन गए है, इसलिए बोर्ड में उनकी जगह खाली हो गई है। नई सरकार ने स्पष्ट किया है की राजनैतिक नियुक्तियों के तहत जो – जो नेता शासकीय कार्यालयों में नियुक्त है वे अभी यथावत रहेंगे।
प्रदेश और नगर अध्यक्ष में कोई बदलाव नहीं, व्यवस्था रहेगी यथावत
विधानसभा चुनाव में 163 सीटें जीतकर भाजपा फीलगुड महसुस कर रही है। लोकसभा चुनाव तक भाजपा संगठन कोई बड़ा परिवर्तन नहीं करना चाहती है। प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के साथ इंदौर में वर्तमान अध्यक्ष गौरव रणदीवे को बदलने के कोई आसार नजर नहीं आ रहे ही।
जहां तक गौरव रणदिवे का सवाल है , तो विधानसभा चुनाव में उनकी परफार्मेस रिपोर्ट अच्छी मानी गई है , इसलिए पार्टी स्थानीय स्तर पर कोई परिवर्तन नहीं करेगी। वैसे रणदीवे लोकसभा चुनाव लडना चाहते थे, लेकिन पार्टी ने उन्हें अध्यक्ष बरकरार रखकर उनकी इच्छा पर पानी फेर दिया। उधर इंदौर जिला अध्यक्ष का फैसला कुछ दिनों में हो जाएंगा। वर्तमान में पार्टी ने घनश्याम नारोलिया को जिले का कार्यवाहक अध्यक्ष बना रखा है। संभवत इन्हे ही बरकरार रखा जा सकता है।
सांसद के टिकट के लिए संजय के अलावा दूसरा कोई नाम नहीं
विधानसभा चुनाव में बुरी तरह से असफल हुई कांग्रेस में में नई जान फूंकने के लिए नए अध्यक्ष जीतू पटवारी दमखम साथ लगे हुए है। विधानसभा चुनाव में हुई हार को भूलकर अब कांग्रेसी सारा ध्यान लोकसभा चुनाव पर लगाने का प्रयास कर रहे है। सवाल यह है की इंदौर से सांसद का चुनाव कौन लड़ेगा। शायद इसका जबाव कांग्रेस के पास भी नहीं है। कांग्रेस के जानकारों का कहना है की सांसद का टिकट घोषित करने से पहले कांग्रेस टिकट लेकर निश्चित रुप से संजय शुक्ला के पास जाएंगी।
महापौर और विधानसभा का चुनाव हारने के बाद भी संजय शुक्ला के पास लोकसभा चुनाव लड़ने की ताकत है। दो बड़े चुनाव हारने के बाद संजय शायद ही लोकसभा चुनाव के लिए तैयार हो, हालांकि चुनाव लड़ना … न लड़ना ये उनका फैसला है। अगर संजय ने मना कर दिया तो कांग्रेस के पास दूसरे विकल्प के रुप में भवरसिंह शेखावत हो सकते है।
खरगे से मिलने के लिए पटवारी ने तैयार किया एजेंडा
लोकसभा से पहले कांग्रेस में कुछ बदलाव होने की संभावनाएं नजर आ रही है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने जब से पार्टी अध्यक्ष की कमान संभाली है तब वे लगातार लोकसभा चुनाव की तैयारियों पर काम कर रहे है। चार जनवरी को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने जीतू पटवारी को सीधी चर्चा के लिए दिल्ली बुलाया है। खरगे पहले लोकसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर पार्टी की बैठक लेंगे । उसके बाद पार्टी अध्यक्ष खरगे प्रदेश अध्यक्ष पटवारी से चर्चा करेंगे। बताया गया है की जीतू पटवारी ने रार्ष्टीय अध्यक्ष से चर्चा करने के लिए अपना 10 बिंदुओं का एजेंडा तैयार कर लिया ही।