आज़ादी के मज़े

Akanksha
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धैर्यशील येवले

न सुकून है न चैन है
डूबा हूँ शोर शराबे में
प्रजातंत्र के हल्ले गुल्ले में
अभिव्यक्ति के घोर खराबे में
पूरा मुल्क डूबा है शोर शराबे में

जिसे जो मन भाया कर रहा है
समाजवाद की टोपी पूंजीवाद पहन रहा है
असली चेहरे देखने को मन तरस गया है
एक उतारो तो दूसरा मुखोटा मिल रहा है
मजा ले रहे है लोग खून खराबे में
पूरा मुल्क डूबा है शोर शराबे में

पिछोत्तर साल होने आये है
फिर भी भरमाये हुये है
सभी का अपना व्यक्तिवाद
उसे ही समझ रहे राष्ट्रवाद
कोई गा रहा वंशवाद के बारे में
पूरा मुल्क डूबा है शोर शराबे में

देश का जो होना है होवे
मेरे ऐश्वर्य में कमी न होवे
अली बाबा अकेला जूझ रहा है
चालीस चोर मचा रहे है शोर
जल्दी लूटो होने वाली है भोर
सोच रहे सब अपनी अपनी
कौन सोचे देश के बारे में
पूरा मुल्क डूबा है शोर शराबे में
पूरा मुल्क डूबा है शोर शराबे में