मोती-माधव से लेकर शिव-ज्योति एक्सप्रेस तक, सिलावट का कद बढ़ता गया

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कीर्ति राणा

शिवराज मंत्रिमंडल में ज्योतिरादित्य सिंधिया कोटे से मंत्री तुलसी सिलावट ने मुख्यमंत्री चौहान से समन्वय-संतुलन बनाए रखने में अन्य मंत्रियों को पीछे छोड़ दिया है।(स्व) माधवराव सिंधिया के वक्त से उनकी सिंधिया घराने के प्रति जो निष्ठा रही वह ज्योतिरादित्य के समर्थक के रूप में मजबूत ही होती रही है।यही वजह है कि सिंधिया कोटे के मंत्रियों में सिलावट मुख्यमंत्री खेमे के भी अधिक विश्वस्त बने हुए हैं। पहलवानी करते और छावनी मंडी में सब्जी बेचते हुए तुलसी ‘पहलवान’ का सक्रिय राजनीति में प्रवेश आर्ट एंड कामर्स कॉलेज छात्रसंघ अध्यक्ष के रूप में हुआ।

कांग्रेस की राजनीति में माधवराव सिंधिया के जिन समर्थकों को इंदौर में पहचान मिली उनमें सिलावट, अजय राठौर, प्रमोद टंडन, पांडे आदि के नाम लिए जाते थे। 1992 के नगर निगम चुनाव में पार्षद के टिकट भी सिंधिया कोटे में ही मिला।सुरक्षित सांवेर विधानसभा क्षेत्र से चार बार विधायक (1985, 2007, 08 और 2018) रहे सिलावट को मोतीलाल वोरा के मुख्यमंत्री रहते राजनीतिक ऊंचाई भी माधवराव के प्रिय होने के कारण ही मिली। प्रदेश की राजनीति में तब मोती-माधव एक्सप्रेस की पहचान थी और सिलावट संसदीय सचिव बनाए गए। प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष, एआईसीसी के सदस्य, 1995 में नेहरु युवा केंद्र उपाध्यक्ष, 1998 से 2003 तक मप्र ऊर्जा विकास निगम अध्यक्ष रहे।

कमल-दिग्विजय-ज्योतिरादित्य की तिकड़ी की मेहनत से 2018 में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार और कमलनाथ मुख्यमंत्री बने तो गुटीय, जातिगत समीकरण और ज्योतिरादित्य की सिफारिश के चलते सांवेर से जीते तुलसी सिलावट को मंत्रिमंडल में लोक स्वास्थ्य मंत्री का दायित्व मिला था। अपमान से आहत सिंधिया ने कमलनाथ-दिग्विजय सिंह की जोड़ी को जब सबक सिखाने के लिए भाजपा से हाथ मिलाया तब सिंधिया के साथ जाने वाले विधायक-मंत्रियों में सिलावट का पहला नाम था।

इन सीटों पर हुए उपचुनाव में यदि सांवेर सीट से वे करीब 51 हजार मतों से ऐतिहासिक जीत दर्ज कर सके तो सिंधिया के कारण इस चुनाव में सक्रिय रहे विजयवर्गीय-मेंदोला की जोड़ी की रणनीति भी थी।शिवराज चौथी बार सीएम बने तो सिलावट जल संसाधन मंत्री रहते हुए स्वत: इसलिए भी पॉवरफुल हो गए कि शिवराज ने हर मंत्रिमंडल विस्तार में इंदौर जिले में और किसी को शामिल करना जरूरी नहीं समझा। उषा ठाकुर संस्कृति मंत्री हैं भी तो महू (जिला धार) के कोटे से। अब जब पद-मान-सम्मान नहीं मिलने जैसे आरोप लगा कर इंदौर, ग्वालियर के कई सिंधिया समर्थक पुन: कांग्रेस वापसी कर रहे हैं तब भी सिंधिया के प्रति सिलावट की निष्ठा अटल है।

इंदौर की राजनीति में साथ रहे और पुन: कांग्रेस में चले गए किसी नेता का नाम लेने की अपेक्षा सिलावट यह कहते हैं कि माधवरावजी और ज्योतिरादित्य जी ने इन सब को पद दिए, सम्मान दिया, कांग्रेस में और भाजपा में पहचान दिलाई। तब सर्वाधिक समय इंदौर शहर कांग्रेस अध्यक्ष के साथ ही अन्य समर्थकों को पार्षद के टिकट भी दिलाए वो सारी बातें भूल गए। मैं एहसान भूलने वालों में से नहीं हूं।

सिलावट का कहना था मैंने भी 10-12 साल वनवास भुगता है लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि मैं सिंधिया परिवार से विश्वासघात कर लूं।राजनीति में आज जो मेरी थोड़ी भी पहचान बन पाई है उसके पीछे सिंधिया परिवार ही है।तब मोती-माधव और अब शिव-ज्योति एक्सप्रेस प्रदेश के विकास-विश्वास की पर्याय बनी हुई है।मुझे यह कहने में संकोच नहीं कि चाहे जितनी भगदड़ मचे, नेता इस दल से उस दल में जाएं या उधर से इधर आएं प्रदेश में फिर से भाजपा की सरकार बनने से कोई नहीं रोक सकता।