नई दिल्ली। पारसी समुदाय को जिस 70 साल पुरानी दोस्ती पर गर्व था, वो अब टूटने की कगार पर है। दरअसल, भारत के दो बड़े बिजनेस ग्रुप, जिन्होंने दशकों तक साथ-साथ कारोबार किया, अब अपनी राहें जुदा करने की कगार पर पहुंच गए हैं। बता दे कि, टाटा ग्रुप और शापूरजी पलोनजी (SP) ग्रुप जो की 70 साल से साथ थे। वही, दोनों के बीच बहुत खटास पैदा हो चुकी है, इतना ही नहीं, बल्कि दोनों के बीच कानूनी लड़ाई भी चली, मगर कभी भी ऐसी स्थिति नहीं आई जो अब आ चुकी है।
वही, मिस्त्री परिवार के SP ग्रुप ने कहा है कि, उसका टाटा संस से अलग होने का समय और 70 साल पुराने संबंध खत्म करने का वक्त आ गया है। बता दें कि टाटा संस समूचे टाटा ग्रुप की होल्डिंग कंपनी है।
बता दे कि, रिपोर्ट में अनुसार HDFC के चेयरमैन दीपक पारेख के हवाले से कहा गया है कि, ”पलोनजी (मिस्त्री) के पिता (शापूरजी पलोनजी मिस्त्री) ने टाटा मोटर्स और टाटा स्टील के लिए फैक्ट्रियों का निर्माण किया था, टाटा के पास उनका भुगतान करने के लिए पैसे नहीं थे, इसलिए उन्होंने (टाटा ने) इसके बदले शेयर दे दिए थे।”
वही, इस मामले पर अलग-अलग वक्त के दो वर्जन का जिक्र किया गया है।
पहला यह है कि JRD टाटा के भाई-बहनों ने टाटा संस में अपने शेयरों को मिस्त्री परिवार को बेच दिया था, यह 60-70 के दशक में हुआ था।
दूसरे यह कि एक धनी वकील और जमींदार फ्रेमरोज एडुल्जी दिनशॉ का भी जिक्र है, जो 1920 के दशक में जाना-माना नाम थे। टाटा ने संभावित वित्तीय दबाव के चलते दिनशॉ से संपर्क किया था। दिनशॉ ने टाटा को 2 करोड़ रुपये का कर्ज दिया था, जो बाद में टाटा संस में 12.5 की एक्विटी में बदल गया। वकील के निधन के बाद, उनके वंशजों ने साल 1936 में टाटा संस की ये हिस्सेदारी शापूरजी को बेच दी।