नेपोलियन हिल कहतें हैं-
हर विपत्ति, हर असफलता और हर मनोव्यथा अपने साथ उतने ही महान फायदों के बीज लेकर आती है। –
जैसा कि हम जानते करोना काल हम सभी के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती का काल रहा है और आज भी लोग इस काल से उभर नहीं पा रहें, बढ़ती ऑक्सजेन की कमी हमें यह एहसास दिलवाती है पेड़ जीवन के लिए कितने महत्वपूर्ण है।
अगर हम इसे अपने जीवन के नज़रिए से देखें तो पेड़ हमारे जीवन का हिस्सा है और प्राचीन काल की सभी बीमारियों की चिकित्सा आयुर्वेद याने आयु (मनुष्य जीवन काल) वेद( ज्ञान या विज्ञान) माना जाता है। बढ़ती टेक्नॉलॉजी यह दर्शाती है,मानव जीवन पैदाइश से ही वैज्ञानिक पैदा हुआ है,इसलिए विश्व में हर दिन कुछ न कुछ नया विकास होता है।
और इसी सिद्धांत पे नेपोलियन हिल का मानना है हर विपत्ति, हर असफलता और हर मनोव्यथा अपने साथ उतने ही महान फायदों के बीज लेकर आती है। –
आज हम जगह जगह जो बीज बो रहें हैं वह कल एक पेड़ और फल के रूप में हमारे सामने आएँगे। दूसरी ओर नेपोलियन यह कहतें हैं हर कामियाबी और दौलत की शुरूआत विचार से होती है। विचार हमारे जीवन में बदलाव की निशानी माना जाता है,और अगर आप पिछले दो सालों का परीक्षण करेंगे तो आपको पता चलेगा दुनिया बदल चुकी है और इस बदलाव को लोगों ने बहुत अच्छी तरह स्वीकार भी कर लिया है।
उदाहरण के तौर पर जो बच्चे पिछले साल ऑनलाइन शिक्षा पद्धति से भाग रहे थे आज वही बच्चे डिजीटल टेक्नोलॉजी से उपलब्धियाँ प्राप्त कर रहें हैं,अगर शिक्षा के क्षेत्र में बात करें तो कौशल के क्षेत्र में भी बहुत बढ़ा विकास हुआ है,इस लॉक डाउन में लोग अपने हुनर और कला के माध्यम से पैसा कमा रहें हैं।
इस दौर में देश – विदेश के सभी ट्रेनर्स को बहुत लाभ हुआ है,क्योंकि ज़ूम मीटिंग के माद्यम से ट्रेनर्स एक महीने की थ्योरी 3 घंटे की क्लास में खत्म कर के प्रैक्टिकल सीखने वाले पे छोड़ देतें हैं,और आधुनिक तौर पे देखें तो प्रैक्टिकल एक रिसर्च है,जिसमें मन का विकास होता है।
वर्तमान स्थिति को देखते हुए नेपोलियन कि यह बात यहाँ सिद्ध होती है। आज के बोए हुए बीज कल पेड़ स्वरूप हमें फल देंगे। तो अगर आज की क्रिया और प्रक्रिया पे दृष्टि डालें तो आने वाला समय कृषि और शिक्षा के क्षेत्र में बहुत बड़ा विकास करेगा। बीज रोपण मनुष्य जीवन में एक आस का कार्य कर मानव जन को सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करती है।
अगर हम वर्तमान स्थिति पे नज़र डालें तो इस दौरान बस्ती में रहने वाले गरीब बहुत ही दयनीय स्थिति में हैं,क्योंकि वह मानसिक – शारीरिक एवं भौतिक सभी तरह से संघर्ष कर रहें हैं,कारण उनकी अज्ञानता और शिक्षा की कमी,यहाँ सोचने वाली बात यह है कि जहाँ भारत में ग़रीबों की संख्या पर विभिन्न अनुमान हैं,की आधिकारिक आंकड़ों के हिसाब से 37 प्रतिशत आबादी ग़रीबी रेखा के नीचे है। जबकि एक दूसरे अनुमान के मुताबिक़ ये आंकड़ा 77 प्रतिशत देखे जातें है।
गरीबों में शिक्षा की कमी एक बहुत बड़ी विपदा है,जो आने वाले समय के लिए मनुष्य जन के लिए काफी घातक साबित हो सकती है,क्योंकि जहाँ शिक्षा और व्यवहारिक दोष उत्पन्न होगें वहाँ मार पीट-लूट मार,चोरी चकारी,नशे की लत बढ़ेगी,इसलिए गरीब बस्तियों में महिलाओं को शिक्षित करना अति आवश्यक होता जा रहा है क्योंकि बच्चों की सबसे पहली गुरु उनकी माँ होती है,और माँ का व्यवहारिक दोष बच्चों का दोष बनता जा रहा है।
बस्ती में माँ को लोन और कर्ज की माँग करते मार पीट-गाली गलौच करते देख बच्चे भी नशे और गालियों की लत के शिकार होते नज़र आ रहें हैं। इसलिए आपकी मुस्कान जन जागृति समिति बस्तियों में जाकर महिलाओं को हेंडीक्राफ्ट एवं आयुर्वेदक एक्यूप्रेशर की विद्या देने का प्रयास कर रही है,ताकि महिलाओं के लिए टीचर्स,सेल्स,कंस्लटेंट व थेरेपिस्ट के रोज़गार के माद्यम खुल सकें,और बच्चों को भी शिक्षा के क्षेत्र में उचित मार्ग मिल सकें।
सँस्था सचिव शालिनी रमानी का मानना है व्यवहारिक दोष बच्चों में परिवार से आता है,इसलिए परिवार को दिशा दिखाना अनिवार्य हो गया है। सँस्था के इस कार्य में महिला एवं बाल विकास की सभी सहायिकाओं का सहयोग लेकर बस्ती की महिलाओं तक पहुँच,आंगनवाड़ियों में यह कार्यक्रम करवा रही है,जिसमे जिला कार्यक्रम अधिकारी डॉ सी.एल.पासी, परियोजना अधिकारी संगीता विजयवर्गीय और सेक्टर सुपरवाईज़र अनिता टेकचंदानी सँस्था के कार्य को गति देने में सहयोग कर रहें हैं।
परियोजना शहरी क्रमांक 5 में सोशल डिस्टेंसिग का पालन करते हुए पिछले हफ़्ते करीब 150 महिलाओं को किया आयुर्वेद एक्युप्रेशर सीड थेरेपी से परीक्षित और बीज रोपण कर महिलाओं को आयुवेदिक उपचार से इलाज करने के लिए किया प्रेरित।