भोपाल। मध्यप्रदेश में जायद फसल (ग्रीष्मकालीन फसल) मूंग की बुवाई का समय आ गया है, लेकिन अब तक मध्य प्रदेश सरकार ने मूंग की फसल के लिए बुवाई से लेकर खरीदी तक की कोई नीति सार्वजनिक नहीं की है। जिस तरह के हालात बन रहे हैं, बहुत संभव है कि मूंग के किसानों को मध्य प्रदेश सरकार की लापरवाही से पिछले साल से भी बुरी स्थितियों का सामना करना पड़े। पूर्व मुख्यमंत्री एवं पीसीसी अध्यक्ष कमलनाथ ने आज जारी बयान में यह बात कही।
कमलनाथ ने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार को अब तक केंद्र सरकार को अपना मूंग खरीद प्रस्ताव भेज देना चाहिए था, ताकि अभी से यह स्पष्ट हो जाता कि मध्य प्रदेश सरकार किसानों से कितनी मूंग खरीदेगी और सरकार किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य के ऊपर बोनस देगी या नहीं? कमलनाथ ने कहा कि पिछले साल देखने में आया था कि किसानों के पास मूंग की फसल बची रह गई थी और राज्य सरकार ने मूंग खरीद का टारगेट पूरा होने की घोषणा कर दी थी। बाद में जब कांग्रेस पार्टी ने बड़े पैमाने पर किसानों की समस्या को उजागर किया तब सरकार ने मूंग की खरीदी की थी, लेकिन उस बीच हजारों किसान औने पौने दाम पर फसल बेचने को मजबूर हो चुके थे। यही नहीं, मूंग खरीद के लिए राशि की व्यवस्था न होने के कारण सरकार ने बच्चों के मध्यान भोजन के पैसे को मूंग खरीद में खर्च किया था जिसके समाचार आये थे।
कमलनाथ ने कहा कि मैं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से कुछ बिंदुओं पर स्थिति स्पष्ट करने की मांग करता हूं। मुख्यमंत्री किसानों के हित में मेरे सवालों का जवाब देने का कष्ट करें –
मूंग खरीदी पर 5 प्रश्न –
1. मध्यप्रदेश सरकार 2022 में मूंग की समर्थन मूल्य पर खरीदी करेगी अथवा नही?
2. भारत सरकार से समर्थन मूल्य पर कितने लाख मेट्रीक टन मूंग खरीदने की अनुमति ले ली गई है ? यदि नही ली गई है तो कब ली जायेगी ?
3. मध्यप्रदेश सरकार मूंग के समर्थन मूल्य पर खरीदी करने की दशा में किसानों को कितना बोनस देगी ?
4. मध्यप्रदेश सरकार ने मूंग के लिये भारत सरकार को आवश्यक प्रस्ताव भेजा है कि नहीं ?
5. मूंग की बुआई का समय आ गया है और आवश्यक बीज एवं डीएपी की व्यवस्था अब तक नही है । सरकार क्या कर रही है और कब तक व्यवस्था होगी ?
कमलनाथ ने कहा कि इन सवालों के जवाब देने के साथ ही मुख्यमंत्री को वर्तमान में मूंग के किसानों की स्थिति और परिदृश्य अवगत कराना चाहता हूं। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में ग्रीष्म कालीन फसलों / जायद फसलें 6.50 लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि पर ली जाती है जिसमें से 5 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र पर मूंग की फसल ली जाती है । प्रदेश के 3.50 लाख से 4 लाख किसान परिवार ग्रीष्म कालीन फसलें लेते है। मध्यप्रदेश के 30 जिलों में किसानों द्वारा मूंग की फसल ली जाती है जिसमें हरदा, होशंगाबाद, जबलपुर, ग्वालियर, भिण्ड, मुरैना, श्योपुर, शिवपुरी प्रमुख जिलें है ।
पिछले वर्ष मूंग खरीदी में हुई अनियमितता का विस्तृत ब्यौरा देते हुए कमलनाथ ने कहा 2021 में प्रदेश में मूंग की फसल का उत्पादन 12 लाख मेट्रीक टन से अधिक हुआ था। मध्यप्रदेश में वर्ष 2021 में समर्थन मूल्य मूंग खरीदी के निर्णय होने में अत्यधिक विलम्ब हुआ था जिसके कारण किसान निरंतर परेशान हुये थे। कमलनाथ ने कहा कि वर्ष 2021 में मूंग का समर्थन मूल्य भारत सरकार द्वारा 7196 रूपये प्रति क्विटंल घोषित किया गया था एवं प्रदेश सरकार द्वारा पृथक से कोई बोनस नही दिया गया था ।
मध्यप्रदेश को समर्थन मूल्य पर गत वर्ष भारत सरकार से सर्वप्रथम मात्र 1.34 लाख मेट्रीक टन मूंग खरीदी की अनुमति मिली थी । किसानों के अत्यधिक विरोध एवं मांग के बाद इस अनुमति को 2.47 लाख मेट्रीक टन किया था और अंत तक मध्यप्रदेश सरकार द्वारा मांगी जा रही मात्रा में खरीदी की अनुमति तो भारत सरकार से नहीं मिल पाई थी जबकि प्रदेश के किसानों का मूंग उत्पादन 12 लाख मेट्रीक टन से अधिक था।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार की पूर्व तैयारी नहीं होने से गत वर्ष समर्थन मूल्य पर मूंग खरीदी की अपेक्षित स्वीकृति प्राप्त नही हुई थी जिस कारण से किसानों से मूंग खरीदी में समस्यायें हुई थी। सरकार को मूंग के किसानों को राशि भुगतान करने के लिये प्रदेश के नौनिहालों के मध्यान्ह भोजन की राशि का उपयोग करना पड़ा था ऐसे समाचार आये थे । कमलनाथ ने कहा कि प्रति वर्ष मध्यप्रदेश सरकार स्पेशल समर प्रोजेक्ट के तहत मूंग के लिये विशेष परियोजना बनाकर भारत सरकार को भेजती है परन्तु इस वर्ष संभवतः यह परियोजना नहीं भेजी गई है । उन्होंने याद दिलाया कि गत वर्ष भारत सरकार ने मूंग और मटर के विदेशों से आयात की अनुमति देकर देश एवं प्रदेश के किसानों की अनदेखी की थी। कमलनाथ ने कहा कि मुख्यमंत्री इन सारी परिस्थितियों को ध्यान में रखकर प्रदेश के किसानों के हित में तत्काल कार्यवाही करें।