पूर्व सभापति, पूर्व एमआईसी सदस्य झोनल अधिकारी के अधीन करेंगे काम

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नगर निगम द्वारा वार्ड स्तर पर गठित की गई आपदा प्रबंध समितियों में इतनी विसंगतियां हैं कि उक्त समितियां कैसे काम करेंगी इसे लेकर संशय है। बताया जाता है कि 10 वार्डो में तो पूर्व एमआईसी सदस्य भी इन समितियों के सिर्फ सदस्य हैं और जोनल अधिकारी को समिति का अध्यक्ष बनाया गया है। जबकि उपयंत्रीयों को समिति का सचिव नियुक्त किया गया है। 50 वार्डो में उपयंत्री भी मस्तरकर्मी हैं। क्या ऐसा संभव है कि जो झोनल अधिकारी एमआईसी सदस्यों के आने पर अपनी कुर्सी छोड़कर खड़े हो जाते थे वे पूर्व एमआईसी सदस्य अब झोनल अधिकारी के अधीन सदस्य के रूप में इन समितियों में काम करेंगे। यही नहीं समितियों में वार्ड के प्रभारी दरोगा को भी सदस्य बनाया गया है अधिकांश वार्डो में दरोगा मस्तरकर्मी ही हैं। तो क्या संभव है कि जिस समिति की बैठक में पूर्व एमआईसी सदस्य इस समिति के सदस्य के रूप में बैठेंगे उनकी बराबरी से वार्ड का प्रभारी दरोगा भी बैठक में भाग लेगा। यही स्थिति उस वार्ड में भी होगी जहां पूर्व सभापति भी वार्ड समिति के सदस्य हैं। सभापति का पद ऐसा होता है जिसके अधीन पूरी एमआईसी काम करती है। परिषद की बैठकें भी सभापति की अध्यक्षता में होती हैं। कई एमआईसी सदस्यों ने दबी जुबान में कहा कि ऐसी समितियों का कोई औचित्य नहीं है। उन्होंने कहा कि हमारे लिए समिति में झोनल अधिकारी के अधीन काम करना संभव नहीं है। बेहतर होता कि नगर निगम स्तर की एक समिति बनाई जाती जिसमें सभी एमआईसी सदस्यों, महापौर और सभापति को रखा जाता और उक्त वार्ड समितियां इस निगम स्तर की समिति के अधीन काम करती। कई एमआईसी सदस्यों ने कहा कि वार्ड समितियों को कोई अधिकार भी नहीं दिए गए हैं ऐसे में समिति क्या काम करेगी यह स्पष्ट नहीं है।