गोविन्द मालू
जो हम चाहते थे, वही हो रहा है। राम मंदिर मामले में काँग्रेस के रुख में परिवर्तन आल्हादित करने वाला है।
“”सिया राम मैं सब जग जानी””में भरोसा हम करते रहें हैं, कमलनाथजी और काँग्रेस ने आखिर सचाई स्वीकार कर राष्ट्रीय मुख्य धारा के साथ कदम ताल किया है, मैं मेरे भाजपा के मित्रों ,साथियों से आग्रह करता हूँ कि वे इन भटके लोगों की घर वापसी की आलोचना नहीं, स्वागत करें।370 हटाने में भी इन लोगों में से ही कुछ ने मुखर साथ दिया था, लेकिन खुलकर आलोचना भी नहीं की थी।
काँग्रेस और नेताओं को सदबुद्धि के कई यज्ञ हमने किए, लेकिन यज्ञ फलश्रुति अब जाकर हुई।मैं आल्हादित हूँ, उत्साहित हूँ, भावविभोर हूँ, मेरे राजनीतिक हमसफ़र भाइयों ने अब सही राह पकड़ी।वोट बैंक की चिंता किए बगैर।साधुवाद!!!!
अब ये समान नागरिक संहिता और जनसंख्या नियंत्रण की भारतीय भावना की अगुवाई भी करने लगेंगें, हमें खुशी होगी, क्योंकि हम तो गोल पोस्ट पर नज़र रखते हैं गोल कोई करे गोल पूरा होना चाहिए।
पवित्र तो उद्देश्य है, साधन कोई भी हो।
आइये समवेत होकर हम इन नए राम सेवकों का खेरमक़दम, इस्तकबाल, आदाब, स्वागत, अभिनंदन, मंगल चौक पुरा कर करें। घी के दिए जलाएं।इसी उत्कट अभिलाषा के साथ।
भगवान के लिए इन्हें माफ कर दो, सुन्दरकाण्ड, हनुमान चालीसा करने दो।हाँ, इनके पास अवसर है।क्योंकि ये तो राम मंदिर की बारी है, मथुरा, काशी बाकि है।
सोचिए काँग्रेसी मित्रों? कहीं फिर लेट न हो जाओ!!