बरसों से इंदौर में जमे अधिकारियों को हटाया जाए, भाजपा नेता गोविंद मालू ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा

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इंदौर। सरकारी अधिकारियों के इंदौर ऐसा शहर हो गया है, जो वे किसी भी स्थिति में शहर छोड़ना नहीं चाहते! बड़े अधिकारियों से लगाकर छोटे कर्मचारी तक हमेशा इसी कोशिश में लगे रहते हैं कि चाहे जो हो जाए, पर उनका तबादला न हो! सिर्फ प्रशासनिक अधिकारी ही नहीं, पुलिस तथा सभी विभागों में भी यही हालत है।थानों में एस आई समेत कई स्टाफ को तो जमे हुए सालों हो गए, जो भ्रष्टाचार कर जनता को बेवजह परेशान कर रहे हैं।

भाजपा नेता और खनिज विकास निगम के पूर्व उपाध्यक्ष गोविंद मालू ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर मांग की है कि तीन साल इंदौर में पदस्थ रहने के बाद हर अधिकारी और कर्मचारी के तबादला किया जाए। अपने पत्र में उन्होंने यह भी लिखा है, कि बरसों से इंदौर में जमे अधिकारी कुछ महीने अन्य स्थान पर रहकर वापस इंदौर आकर नई पारी खेलने लगते हैं! इसलिए तबादला नीति में यह शामिल किया जाए कि इंदौर समेत सभी महानगरों में तीन साल में अधिकारियों को आवश्यक रूप से बदला जाए और फिर उसी शहर में उनका तबादला तीन साल से पहले न हो!

मालू ने जानकारी दी कि प्रशासनिक समेत अन्य विभागों में ऐसे कम से कम दो दर्जन अधिकारी हैं, जो कई सालों से यहीं पदस्थ हैं। प्रशासनिक संकुल में ही दर्जनभर अधिकारी इंदौर नहीं छोड़ना चाहते! पत्र में ऐसे बड़े अधिकारियों का नाम समेत जिक्र किया गया जो पदनाम बदल-बदलकर इंदौर में जमे हुए हैं। ऐसे अधिकारियों को शहर से बाहर पदस्थ किया जाए और तीन साल से पहले उनका पुनः इंदौर तबादला न हो!  मालू ने लिखा है कि इससे आम लोगों में पारदर्शी प्रशासन के प्रति अविश्वास बनता जा रहा है। उनका ये भी कहना है कि चुनाव आयोग के नियमों के तहत जिन अधिकारी और कर्मचारियों को जिले से हटाया जाता है, उन्हें पुनः जिले में पदस्थ न किया जाए!