भारत में पहली बार फिल्म समीक्षा की जुड़वां पुस्तकें प्रकाशित

Share on:

वरिष्ठ फिल्म समीक्षक  विनोद नागर की दो नई पुस्तकों-“सुबह सवेरे का सिने विमर्श” और “सिने विमर्श सुबह सवेरे का” का विमोचन शुक्रवार को राजधानी भोपाल के ज्ञानतीर्थ सप्रे संग्रहालय में सम्पन्न हुआ। नई दिल्ली स्थित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी के मुख्य आतिथ्य और वरिष्ठ पत्रकार एवं रंग समीक्षक गिरिजा शंकर की अध्यक्षता में आयोजित गरिमामय समारोह में ख्यात अभिनेता राजीव वर्मा और कोरियोग्राफर वैशाली गुप्ता खास तौर पर मौजूद रहे।

शीर्षक साम्यता के चलते जुड़वां पुस्तकों के रूप में इन किताबों को देश में हिन्दी फिल्म समीक्षाओं की पहली कृति कहा जा रहा है। इन पुस्तकों की भूमिका और प्रस्तावना सत्तर और अस्सी के दशक की प्रतिष्ठित फिल्म पत्रिका “माधुरी” के पूर्व संपादक विनोद तिवारी और पटना के राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार प्राप्त फिल्म समीक्षक विनोद अनुपम ने लिखी हैं।

इण्डिया नेट बुक्स, नोएडा द्वारा प्रकाशित ये पुस्तकें फिल्म समीक्षक के रूप में श्री विनोद नागर की 2016 से 2019 के बीच दैनिक सुबह सवेरे में छपी फिल्म समीक्षाओं का संकलन है। “सिने विमर्श” नामक उनका यह साप्ताहिक रविवारीय कॉलम लगातार तीन वर्ष तक “सुबह सवेरे” में चला।

लेखक ने अपनी पहली पुस्तक को राजधानी के “भोपाल टॉकीज” सहित भारत के उन तमाम सिंगल स्क्रीन सिनेमाघरों की उजली यादों को समर्पित किया है, जिन्होंने अनगिनत फिल्मों के माध्यम से असंख्य दर्शकों के दिलों पर सिनेमा के स्वर्णिम युग की छाप छोड़ी।

जबकि दूसरी पुस्तक इन्दौर के बिरले फिल्म पत्रकार स्व. बृज भूषण चतुर्वेदी “बीबीसी” की पुण्य स्मृति को समर्पित की गई है, जिन्होंने गेटकीपर से फिल्म समीक्षक बन भारत में आयोजित 51 अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह कवर करने का अद्भुत कीर्तिमान रचा था। अतिथियों ने संग्रहालय में संगीत, नाटक और सिनेमा के विशेष खंड का शुभारम्भ भी किया।

कार्यक्रम का संचालनआनंद सिन्हा ने किया। सप्रे संग्रहालय के संस्थापक निदेशक पद्मश्री विजयदत्त श्रीधर और मप्र हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष पलाश सुरजन सहित साहित्य, सुबह सवेरे के संपादक गिरीश उपाध्याय और अजय बोकिल, पूर्व सूचना आयुक्त विजय मनोहर तिवारी सहित कला, संस्कृति, पत्रकारिता और जनसंपर्क क्षेत्र के अनेक गणमान्य लोग समारोह में मौजूद रहे।