Indore : पहली बार 40 साल के युवा को भाजपा ने बनाया उम्मीदवार

Share on:

इंदौर, राजेश राठौर। कोई माने या ना माने लेकिन यह सच है कि संघ के दूसरे बड़े नेता दत्तात्रेय होशबोले ने पुष्यमित्र भार्गव को मेयर का टिकट दिलाया। पहली बार भाजपा ने मात्र 40 साल के युवा को मेयर का टिकट दिया है। 1 जनवरी 1982 को जन्मे पुष्यमित्र भार्गव ने संघ में 2 साल तक पूर्णकालिक का काम किया है। देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ लॉ से एम फिल करने के बाद एल एल एम इन बिजनेस लॉ की पढ़ाई की। उसके बाद बैचलर ऑफ लॉ का 5 साल का कोर्स किया। गवर्नमेंट लॉ कॉलेज मुंबई से सायबर लॉ में डिप्लोमा किया।

बहुत कम लोगों को पता होगा कि भार्गव ने वकालत की पढ़ाई के साथ ही पत्रकारिता का भी कोर्स किया। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन की पढ़ाई भी की। भार्गव का पूरा परिवार पढ़ा लिखा है। पिताजी डॉ राजेंद्र शर्मा डॉक्टर हैं। मां निर्मला शर्मा रिटायर्ड शिक्षक है। पत्नी जूही भी वकील है। इनके भाई डॉक्टर सर्व मित्र एमडी हैं। भार्गव 6 जून 2020 से अतिरिक्त महाधिवक्ता के रूप में काम कर रहे हैं। इसके पहले 2015 से 2018 तक सबसे कम उम्र के उप महाधिवक्ता के रूप में काम किया। 2003 से 2004 तक पूर्व न्यायाधीश पियूष माथुर के साथ काम किया। भार्गव ने दूरस्थ गांव में जाकर कई बार कानूनी साक्षरता के शिविर लगाए हैं।

Read More : Weather Update: पाकिस्तानी हवाओं से धीमी हुई मानसून की रफ्तार, अब जबलपुर से होगी एंट्री

राजनीतिक काम की बात करें तो विद्यार्थी परिषद से लंबे समय से जुड़े रहे। असम जैसे राज्य में जाकर विद्यार्थी परिषद का काम किया। इंदौर में संयोजक रहे, उसके साथ ही भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य भी बने। भार्गव ने खेल एवं युवक कल्याण मंत्रालय भारत सरकार के यूथ डेलिगेशन टू चाइना में भारत का प्रतिनिधित्व किया। उसके अलावा कई जन समस्याओं को लेकर कोर्ट में लड़ाई लड़ाई। संस्था संघमित्र बनाई, जिसके माध्यम से इंदौर के युवाओं को जोड़ा।

Read More : राहुल के नेतृत्व और कांग्रेस के जिंदा होने का यह अचूक मौका है, बशर्ते…!

भार्गव को विश्वविद्यालय स्तर पर अखिल भारतीय वाद विवाद स्पर्धा में देश के सर्वश्रेष्ठ वक्ता के रूप में सम्मानित भी किया।इसके अलावा विद्यार्थी परिषद से लगातार जुड़े रहे। यही कारण है कि संघ के नेताओं के अलावा वह इंदौर से लेकर प्रदेश और दिल्ली तक के भाजपा नेताओं के हमेशा प्रिय बने रहे। गुटबाजी से दूर रहकर भार्गव ने हमेशा पार्टी का काम किया। कहा जाता है कि संघ के बड़े नेताओं से उनके सीधे संबंध है। युवाओं की एक फौज है, जिसके भरोसे वे चुनाव लड़ेंगे। भाजपा में रहकर बूथ स्तर तक भी उन्होंने काम किया है। भार्गव को लेकर अब ना केवल भाजपा बल्कि संघ के कार्यकर्ता भी मैदान पकड़ेंगे इसलिए चुनावी मुकाबला रोचक होगा।