सराफा दुकानों की सुरक्षा के लिए शुरू हुई थी खाने-पीने की दुकानें

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विजय अड़ीचवाल

इंदौर के सराफा में सबसे पहले खाने पीने के लिए रात्रिकालीन दुकानें लगाने का निर्णय महाराजा होल्कर ने लिया था। सराफा दुकानें सूर्यास्त होते ही बंद करने का नियम था।

रात्रि में सोने – चांदी की दुकानों की हिफाजत के लिए ही खाने – पीने की दुकानें रात्रिकालीन लगाने का निर्णय लिया गया था। राजा के इस निर्णय का इंदौरवासियों ने तहेदिल से स्वागत किया। इस निर्णय से सराफा की रोनक बड़ी ही, देश ही नहीं, विदेशों तक में इसकी ख्याति है।

खाने पीने की दुकानों का स्थान परिवर्तन होने से सराफा की सुरक्षा पर प्रश्नचिन्ह लग जाएगा। सुरक्षा की अनभिज्ञता से वर्तमान पीढ़ी अनभिज्ञ है। इस तथ्य से प्रशासनिक अधिकारी और युवा व्यापारी भी अनभिज्ञ हैं।

सराफा दुकानें भी देर रात तक खुली रहने लगी है, जो गलत है।  सराफा में लगने वाली खानपान की दुकानों को यथावत ही रहने दिया जाए और सुबह 5:00 बजे तक उन्हें लगाने की अनुमति भी दी जानी चाहिए।