देश का हर बच्चा पढ़े-लिखे, उसे अपनी संस्कृति और सनातन धर्म की पहचान हो। आपस में भाईचारा हो, देश में एकता और अखंडता बनी रहे। कोरोना महामारी का अंत हो। एक-दूसरे को जातियों में न बांटे, देश में शांति हो और इस संकट के दौर में लोगों की मदद करें। यात्रा शुरू करने से पहले जेब में हाथ डाला तो पांच हजार थे और मुस्कान करोड़ों रुपए की थी।” ऐसे ही मकसद के साथ शहर की बाल्दा कालोनी महूनाका के अड़तीस वर्षीय विनोद यादव ने ‘यात्रा धर्मदूत’ नाम देकर 21 फरवरी 2021 की सुबह मोबाइक से सत्रह हजार किलोमीटर का सफर शुरू किया था।
आज यात्रा का समापन है और ओंकारेश्वर से सुबह इंदौर लौट रहे हैं। वे पेशे से ड्रायवर हैं। पांच भाई-बहनों में सबसे छोटे हैं और शादी नहीं की है। बोले कि विदेशों की तरह देश के हर नागरिक को अपना एक ब”ाा देश की सेवा में उतार देना चाहिए। परिवार से मैं आ गया हूं, सनातनी भी हो गया हूं और अब मेरा मकसद देश में अलख जगाना है। पूरे सफर में पेट्रोल पंपों पर सोया, धरती को बिछौना और आसमान को ओढ़ लिया था।
उन्होंने बताया कि इस बीच ग्यारह ज्योतिर्लिंग, तीन धाम, सात सप्तपुरी, इक्यावन में से उनतीस मां शक्तिपीठ और अठारह राज्यों तक अपना संदेशा पहुंचाया है। लॉक-डाउन लग जाने से केदारनाथ की यात्रा अधूरी रह गई। उन्होंने इस यात्रा का एक खास कारण यह भी बताया कि अयोध्या राम मंदिर के भूमिपूजन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने राजनेताओं, साधु-संतों को तो बुलाया, लेकिन इन सभी देवी-देवताओं को न्यौता नहीं दिया, सिर्फ गुजरात के नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के महंत को छोड़कर, वो भी इसलिए की मोदी वहां से जुड़े हैं। बाकी मैंने सभी ज्योतिर्लिंग-शक्तिपीठ के पंडे-पुजारियों से इस बारे में जानकारी ली, लेकिन किसी को निमंत्रण नहीं पहुंचाया था।
5 अगस्त को अयोध्या में पूजन
उन्होंने बताया कि विश्व में फैली कोरोना महामारी से नर-नारी, किन्नर, पशु-पक्षी सभी परेशान हुए हैं। अब मैं इन सभी देवी-देवताओं को 5 अगस्त 2021 को दोपहर साढ़े बारह बजे राम मंदिर अयोध्या में होने वाले पूजन में आने के लिए पीले चावल रख न्यौता देकर आया हूं कि देश में सुख-शांति हो। साथ ही भूमिपूजन में तब नहीं बुलाया था, लेकिन एक बरस बाद 5 अगस्त पर वर्षगांठ में आने का निमंत्रण दे रहा हूं। 1 अगस्त को इंदौर से यात्रा शुरू करूंगा और 2 अगस्त को लखनऊ, 3 अगस्त को प्रतापगंज और बाराबंकी में रुकूंगा। वहां से जुड़े कुछ लोग काफिले के रूप में मेरे साथ अयोध्या पहुंचेंगे, जहां सभी मिलकर पूजन-हवन करेंगे।
गो बैक… गो बैक…
उनका कहना था कि पचपन दिन में मैंने पचहत्तर फीसद यात्रा पूरी कर ली थी। निकला बीस हजार किलोमीटर की यात्रा पर था, लेकिन बंगाल की दक्षिणेश्वरी देवी के दर्शन करने के पहले ही वर्धमान और मोरगांव के साठ किलोमीटर के फासले पर हमला हो गया और रूट बदलना पड़ा। जैसे ही लोग भगवा पहने और मोबाइक के पीछे अद्र्धनारिश्वर की ऊंची मूर्ति व झंडा देखते ‘गो बैक… गो बैक’ की आवाजों के साथ पथराव शुरू कर देते। कुछ ने पीछा भी किया, लेकिन 120 किलोमीटर की रफ्तार से एवेंजर डेढ़ सौ सीसी मोबाइक को दौड़ाया और वे पकड़ नहीं पाए। वहां से उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी के दफ्तर पहुंचा। वे नहीं मिले, तो उनके पीए को आवेदन दिया और पूरा घटनाक्रम बताया। मदद मांगी की मुझे सुरक्षा-इंतजाम के बीच कोलकाता में दर्शन करने दिए जाएं, पर कोई सुनवाई नहीं हुई।
अब जन-जागरण
वोटों के लिए पश्चिम बंगाल में जो खेल-खेला गया, उसने वहां अब कत्लेआम मचा दिया। जहां-जहां से गुजरा वहां मंजर साफ दिखाई दे रहे थे। सरेआम महिलाओं-बच्चियों के साथ बलात्कार हुआ और उन्हें मार डाला, लेकिन अब जिम्मेदार उधर झांक भी नहीं रहे हैं। लोग बंगाल छोड़कर जा रहे हैं। वहां राष्ट्रपति शासन लागू किया जाना चाहिए, ताकि दूसरी जगह ऐसा आतंक न मचे। अब मैं जन-जागरण करूंगा। पूरे देश में घूमकर आवाज बुलंद करूंगा। युवाओं से मेरी अपील है कि वे भले कुछ न करें, बस मेरे साथ खड़े हो जाएं, इस देश की तस्वीर बदल देंगे।
भिक्षा मांग कर यात्रा
उनका कहना था कि जहां भी गया मेरा फोकस ब”ो होते थे। उन्हें संदेश दिया कि कुछ भी हो ज्यादा नहीं तो इतना पढ़ लें कि इंसान बन जाएं। सही-गलत को समझें। इसके लिए कसम ली कि भिक्षा मांग कर यात्रा करूंगा और वो संकल्प आज पूरा हो गया। हालांकि शहर के कुछ वरिष्ठ लोग मुझसे जुड़े हैं, उन्होंने कह दिया था कि कहीं भी तकलीफ आए, हमें याद कर लेना। बाकी तो शहर के ‘नामचीन’ लोगों तक भी बात पहुंची, लेकिन उनके हाथ खाली थे।
जैसा राजेश दुबे को बताया