नवरात्रि का पहला दिन, ऐसे करें शुभ मुहूर्त पर घटस्थापना, ये है महत्त्व

Ayushi
Published on:
Navratri 2021

आज से शुरू हो रही है वर्ष 2020 की शारदीय नवरात्रि और इन 9 दिन माता के 9 स्वरूपों की आराधना की जाएगी। आज शारदीय नवरात्रि के प्रथम दिन पर भक्त माँ दुर्गा के प्रथम स्वरुप मां शैलपुत्री की पूजा अर्चना कर रहे हैं। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि इन नौ दिनों माँ की पूजा अर्चना का विशेष महत्व होता है और इन दिनों पूजन करने से विशेष फल मिलता है। माँ शैलपुत्री की पूजा अर्चना करने से चंद्र दोष दूर होता है।

हिन्दू पंचांग के अनुसार, हर साल वर्ष पितृपक्ष के समाप्ति के बाद अगले दिन से ही शारदीय नवरात्रि शुरू हो जाती है वहीं इस बार अधिक मास होने के कारण पितरों की विदाई के बाद नवरात्रि का त्योहार शुरू नहीं हो पाया। आपको बता दे, नवरात्रि का पहला दिन मां शैलपुत्री की पूजा आराधना का दिन है। इस दिन पूरे विधि विहान से पूजा अर्चना की जाती है साथ ही घटस्थापना भी की जाती है। आज हम आपको घटस्थापना का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व बताने जा रहे हैं। तो चलिए जानते है इसके नियम और मुहूर्त।

घटस्थापना शुभ मुहूर्त :

17 अक्टूबर 2020, शनिवार
मुहूर्त: 06:23:22 से 10:11:54 तक
अवधि: 3 घंटे 48 मिनट

घटस्थापना का महत्व :

नवरात्रि में घटस्थापना का काफी ज्यादा महत्त्व होता है। इसकी स्थापना नवरात्रि के पहले ही दिन कि जाती है। दरअसल, इस ही दिन से नवरात्रि के दिन शुरुआत मानी गई है। हिन्दूधर्म के अनुसार, किसी भी शुभ कार्य के लिए कलश स्थापना करना शुभ माना जाता है। जैसा की आप सभी को पता है किसी भी शुभ कार्य से पहले भगवान गणेश वंदना कि जाती है। ठीक ऐसे ही इस कलश के शास्त्रों में भगवान गणेश की संज्ञा दी गई है।

घटस्थापना के चलते इन बातों का रखें ध्यान :

आपको बता दे, घटस्थापना मुहूर्त के अनुसार ही किया जाना चाहिए क्योंकि अगर आप ऐसा करेंगे तब ही इस दस दिवसीय पर्व से फलदायी परिणाम प्राप्त कर सकते हैं। घटस्थापना करने के लिए पहले एक मिट्टी के पात्र में जौ बो लें। उसके बाद एक मिट्टी का कलश लेकर उस पर जल का छिड़काव करें।

फिर इस कलश पर स्वस्तिक बनाएं और कलश के गले में मौली बांधें। उसके बाद थोड़े गंगाजल और शुद्ध जल से इसको पूरा भर दें। जैसा की आपको हमने बताया कि कलश को भगवान गणेश का स्वरूप माना गया है तो ऐसे में इसको उनका स्वरुप मानते हुए इस पर साबुत सुपारी, फूल और दूर्वा चढ़ाएं।

वहीं कलश में इत्र, पंचरत्न और एक सिक्का डालते हुए उसमें पांचों प्रकार के पत्ते भी डालें। फिर एक ढक्कन में अक्षत भरकर उसे कलश के ऊपर रखें। उसके बाद नारियल को किसी स्वच्छ लाल कपड़े में या माता रानी की लाल चुन्नी में लपेटकर फिर उसपर भी मौली बांधकर और उसे कलश पर रखें।

लेकिन नारियल रखते हुए इस बात का ध्यान रखें कि उसका मुंह आपकी तरफ होना चाहिए। ऐसे कलश स्थापना करने के बाद अब समस्त परिवार के साथ आप मां दुर्गा का आह्वान करते हुए उनकी पूजा-अर्चना करें।