इंदौर 18 नवम्बर, 2020
दिगम्बर जैन तीर्थ गोम्मटगिरी में प्रवेश द्वार बनाये जाने को लेकर हुई घटना के मामले में नामदेव दास त्यागी उर्फ कम्प्युटर बाबा के विरूद्ध आज गांधी नगर थाने में विभिन्न धाराओं के अंतर्गत एफआईआर दर्ज की गई है। नामदेव दास त्यागी उर्फ कम्प्युटर बाबा के विरूद्ध भारतीय दण्ड संहिता की धारा-323, 294,506 और धारा-34 के अंतर्गत प्रकरण पंजीबद्ध किया गया है। यह प्रकरण आवेदक सुभाष दयाल पिता बाबू सिंह दयाल के आवेदन पर दर्ज हुआ है।
आवेदक ने बताया कि दिगम्बर जैन गोम्मटगिरी तीर्थ स्थान के आवागमन के रोड पर भव्य गेट का निर्माण करने की बात पर नामदेव दास त्यागी उर्फ कम्प्युटर बाबा द्वारा मेरे साथ एवं ओमप्रकाश ठेकेदार, उसके दो मजदूरों तथा गौरव शर्मा को गालियां दी गई और जान से मारने की धमकी देने एव बरछी निकालकर जान से मारने की नीयत से हमला करने का प्रयास किया गया। आवेदक ने बताया कि श्री दिगम्बर जैन गोम्मटगिरी ट्रस्ट के ट्रस्टी अजयपाल टोंग्या ,कार्यकारी अध्यक्ष प्रतिपाल टोंग्या एवं दिगम्बर जैन समाज युवा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष प्रिंसपाल टोंग्या के यहां पिछले 20 वर्षों से काम करते होकर टोंग्या परिवार से जुड़ा हूं। टोंग्या परिवार एवं जैन समाज के वरिष्ठ एवं प्रतिष्ठित समाजनो ने जिनमें विमल कुमार सेठी, राजेन्द्र कुमार गंगवाल व गोम्मटगिरी के अध्यक्ष कमल सेठी ने तीर्थ स्थल पर जाने वाले रास्ते पर विशाल प्रवेश द्वार बनाने का निर्णय लिया था। गोम्मटगिरी ट्रस्ट को ग्राम जम्बुडी हप्सी की भूमि खसरा नंबर 610/1,610/2 की पैकी रकबा 42.25 एकड एवं सर्वे नंबर 609 का रकबा 3.75 एकड़ इस प्रकार 46 एकड़ भूमि में से दिगम्बर जैन समाज को सन् 81 में ही 2.75 एकड़ भूमि दी गई थी। जिसमें देवधर्म का पुराना मंदिर बना हुआ है और इसी भूमि के रास्ते पर जैन समाज की ओर से गेट बनाने का कार्य किया जा रहा था। जब-जब इस गेट का निर्माण का कार्य ठेकेदार ओमप्रकाश के द्वारा प्रारम्भ किया जाता, तब-तब कम्प्युटर बाबा और उनके गुण्डे अनुयायियों द्वारा बलपूर्वक ओमप्रकाश ठेकेदार एवं उसके मजदूरो के साथ मारपीट कर भगा दिया जाता रहा है। जैन समाज द्वारा इस गेट के निर्माण की देखरेख करने के लिये मुझे मुकर्रर किया गया था। तब उक्त कम्प्युटर बाबा और उसके गुण्डे अनुयायियों द्वारा मेरे साथ अभद्रता और गाली गलौज की जाती। आज से लगभग दो माह पूर्व दोपहर 2 बजे मैं गोम्मटगिरी तीर्थ स्थान के रास्ते पर निर्मित हो रहे गेट का निरीक्षण करने गया तो मुझे ओमप्रकाश ठेकेदार ने बताया कि कम्प्युटर बाबा और उसके गुण्डे अनुयायियो द्वारा निर्माण कार्य करने से बलपूर्वक रोक दिया गया है और उसके साथ गाली-गलौज की गई। तब ओमप्रकाश ठेकेदार एवं उसके दो मजदूर तथा गौरव शर्मा को गेट के निर्माण कार्य करने से बलपूर्वक रोकने तथा गाली-गलौज करने की बात के सबंध में बाबा के अवैधानिक आश्रम में बात करने गये, तो मैंने बाबा से कहा कि हमारे ठेकेदार को गेट के निर्माण करने से क्यो रोका और गाली-गलौज क्यों की गई। मैंने उनसे यह भी कहा कि यह गेट सभी के आवागमन के लिये रहेगा और यह रास्ता व्यवस्थित हो जायेगा। लेकिन नामदेव दास त्यागी उर्फ कम्प्युटर बाबा भड़क गये और गालियां देने लगे। कहने लगे कि तेरी हिम्मत कैसे हुई, यहां पर आकर यह बात कहने की। तू मुझे जानता नहीं है, मैं तुझे जान से खत्म करके फिकवा दूंगा। लाश का पता भी नही चलेगा। बाबा ने अपने पास रखी बरछी निकालकर मुझे मारने के लिये लपके तभी ओमप्रकाश ठेकेदार और गौरव शर्मा ने बीच बचाव कर जैसे तैसे रोका, इतने में तभी उक्त कम्प्युटर बाबा के दो-तीन गुण्डे साथी अनुयायी भी लठ लेकर दौड़े तो मैं और मेरे साथी जान बचाकर वहां से भागे। अगर वहां से नहीं निकलते तो कम्प्युटर बाबा और उनके साथी हमें जान से मार देते। एफआईआर दर्ज कराने की हिम्मत नहीं हुई। अखबार में एफआईआर दर्ज होने की सूचना की जानकारी पढ़ी तब मेरे और साथियों के साथ हुई घटना की रिपोर्ट दर्ज कराई गई।