उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव युवाओं के लिए राजनीति में प्रवेश का एक अनूठा मौका साबित हो रहे हैं। ऐसे पद जहाँ पहले बुजुर्गों का दबदबा रहा करता था — जैसे प्रधान, क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत — अब युवा सक्रिय होकर अपनी छाप छोड़ रहे हैं। नए विचारों और विकास के जुनून से प्रेरित यह युवा वर्ग अपने गांव और क्षेत्र को उन्नति की ओर ले जाने के लिए पूरी तरह समर्पित है।
मिलेगा विकास का तोहफा
युवा प्रत्याशी चुनाव मैदान में सिर्फ नेता बनने के लिए नहीं उतरे हैं, बल्कि अपने इलाके में विकास के नए आयाम स्थापित करने का लक्ष्य लेकर आए हैं। उनका मानना है कि क्षेत्र में अनेक नए सुधार और परियोजनाएं संभव हैं। वे अपने क्षेत्र में अस्पताल, बरात घर, शमशान घाट, बुजुर्गों और दिव्यांगों के लिए पेंशन, खेल के मैदान, पार्क और कॉलेज जैसे महत्वपूर्ण विकास कार्य करवाना चाहते हैं। उनका कहना है कि बुजुर्गों को अब चुनाव लड़ने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि वे उनका प्रतिनिधित्व कर उनकी देखभाल करेंगे। साथ ही, सरकारी योजनाओं को हर गांव तक प्रभावी रूप से पहुंचाने का संकल्प भी उन्होंने लिया है।
युवा नेताओं का राजनीतिक सफर
डीएवी कॉलेज के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष सिद्धार्थ राणा अब रौंदेली क्षेत्र पंचायत से सदस्य पद के लिए चुनावी मैदान में हैं। सिद्धार्थ का कहना है कि शहर में राजनीति की बारीकियां सीखने के बाद वे अपने गांव और क्षेत्र के विकास के लिए सीधे अपने लोगों के बीच आए हैं। इसी तरह, पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष प्रेमचंद नौटियाल भी मशक क्षेत्र पंचायत से बीडीएस पद के उम्मीदवार के तौर पर मैदान में हैं।
वे बुजुर्गों के आशीर्वाद को संजोते हुए युवाओं के साथ मिलकर अपने क्षेत्र के विकास पर जोर दे रहे हैं। डीएवी कॉलेज से एनएसयूआई के टिकट पर छात्रसंघ अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ चुके श्याम सिंह चौहान अब जिला पंचायत रायगी से सदस्य बनने की चुनौती स्वीकार किए हुए हैं। उनका उद्देश्य क्षेत्र के विकास को नई बुलंदियों तक पहुंचाना है।
पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष प्रमेश रावत भी क्षेत्र पंचायत 10, प्यूनल से बीडीसी प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं, डीएवी की वरिष्ठ छात्र नेता अंकिता पाल ग्राम सभा खोलिया (अस्कोट) से ग्राम प्रधान पद के लिए मैदान में हैं। इसी तरह, वरिष्ठ छात्र नेता नित्यानंद कोठियाल बुढ़वां से बीडीसी उम्मीदवार के रूप में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। इन सभी की साझा इच्छा है कि इस चुनाव के माध्यम से वे अपने-अपने क्षेत्र की बेहतर सेवा कर सकें।