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छोटा फ़ॉन्ट, अस्पष्ट जगह, एक्सपायरी डेट पढ़ना इतना कठिन क्यों बनाती हैं कंपनियां? जानिए इसकी असली वजह

छोटा फ़ॉन्ट, अस्पष्ट जगह, एक्सपायरी डेट पढ़ना इतना कठिन क्यों बनाती हैं कंपनियां? जानिए इसकी असली वजह

आज सुबह जब नजर कॉर्न फ्लेक्स के डिब्बे पर गई, तो एक्सपायरी डेट जांचने का विचार आया। यह पता लगाने के लिए कि इसे कितने समय तक खाया जा सकता है, काफी मशक्कत करनी पड़ी। इससे पहले भी कई बार बिस्किट, चॉकलेट, ब्रेड, कोल्ड ड्रिंक और टूथपेस्ट जैसे उत्पादों पर एक्सपायरी या “यूज बाय” डेट इतनी छोटे या अस्पष्ट रूप में लिखी मिली कि उसे पढ़ना आसान नहीं था।

अब सवाल यह उठता है कि जब किसी उत्पाद की एक्सपायरी डेट गुजर जाने के बाद उसका सेवन नुकसानदायक हो सकता है, तो फिर खाद्य सामग्री और रोजमर्रा की जरूरतों के उत्पादों पर इसे स्पष्ट रूप से लिखने का कोई सख्त नियम है या नहीं? अगर ऐसा कोई नियम मौजूद है, तो कंपनियां इसे नजरअंदाज क्यों कर रही हैं?

एक्सपायरी के बाद खाना सुरक्षित है या खतरनाक? जानिए असर

एक्सपायरी डेट गुजरने के बाद खाद्य उत्पादों की गुणवत्ता, रंग, स्वाद और गंध धीरे-धीरे बदलने लगते हैं। इनमें हानिकारक बैक्टीरिया विकसित हो सकते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो सकते हैं। नोएडा के मानस हॉस्पिटल के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. नमन शर्मा के अनुसार, एक्सपायरी डेट के बाद किसी उत्पाद या दवा का सेवन लाभ के बजाय सेहत के लिए गंभीर जोखिम पैदा कर सकता है।

एक्सपायर हो चुके खाद्य उत्पादों का सेवन करने से अपच, पेट दर्द, दस्त, उल्टी, फूड पॉइजनिंग और एलर्जी जैसी समस्याओं का खतरा बना रहता है। यदि एक्सपायर्ड उत्पादों का लंबे समय तक उपयोग किया जाए, तो यह प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर सकता है। विभिन्न प्रकार के उत्पाद शरीर पर अलग-अलग प्रभाव डालते हैं, और उनकी हानिकारकता इस बात पर निर्भर करती है कि वे कितने समय पहले एक्सपायर हुए हैं।

एक्सपायरी डेट को लेकर क्या कहता है कानून?

भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने एक्सपायरी डेट को लेकर दिशानिर्देश तय किए हैं। इसके तहत उत्पाद पर एक्सपायरी डेट या “यूज बाय” डेट को कम से कम 3 मिमी फॉन्ट में नीले, काले या सफेद रंग में स्पष्ट रूप से लिखना अनिवार्य है।

एक्सपायरी डेट लिखते समय यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि वह बैकग्राउंड पर स्पष्ट दिखाई दे, ताकि ग्राहक इसे आसानी से देख और पढ़ सकें। हालांकि, अक्सर कंपनियां इन नियमों का पालन नहीं करतीं। वे चॉकलेट, नमकीन, बिस्किट, ब्रेड, पाउडर, क्रीम और टूथपेस्ट जैसे उत्पादों पर एक्सपायरी डेट को छिपाकर लिखती हैं या ट्यूब व बोतलों पर इस तरह उकेरती हैं कि ग्राहक के लिए उसे पढ़ना मुश्किल हो जाता है।

एक्सपायरी डेट और बार कोड, उपभोक्ताओं के लिए कितना उपयोगी?

भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) के नियमों के अनुसार, उत्पाद पर बार कोड लगाना अनिवार्य है, जिसमें उत्पाद से जुड़ी यह सभी आवश्यक जानकारी शामिल होनी चाहिए।

नियमों के उल्लंघन पर शिकायत कैसे दर्ज करें?

यदि आप किसी खाद्य सामग्री, मिठाई या अन्य उत्पाद की खरीदारी के दौरान नियमों के उल्लंघन या एक्सपायरी डेट में गड़बड़ी देखते हैं, तो इसकी शिकायत जिला सचिवालय में खाद्य सुरक्षा आयुक्त से कर सकते हैं।

इसके अलावा, उपभोक्ता फोरम या ‘जागो ग्राहक जागो’ पोर्टल पर ऑनलाइन शिकायत दर्ज कर सकते हैं। यदि आपके द्वारा की गई शिकायत में गलत ब्रांडिंग या लेबलिंग की गड़बड़ी साबित होती है, तो निर्माता, विक्रेता, खुदरा व्यापारी और अन्य संबंधित पक्षों पर ₹10,000 से ₹3 लाख तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।

क्या नियमों के उल्लंघन पर कानूनी कार्रवाई होती है?

उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार, एक्सपायरी डेट, यूज बाय डेट, चेतावनी और लेबलिंग नियमों के उल्लंघन पर कार्रवाई की जाती है। वर्ष 2023 में ऐसे मामलों की 4,120 बार सैंपलिंग की गई, और नियमों का पालन न करने वाले डिफॉल्टरों से 2.7 करोड़ रुपये का जुर्माना वसूला गया।

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