AC Desi Jugad : देश भर में सूरज की तपिश से लोग परेशान है वही उमस ने उनका बुरा हाल कर रखा है। ऐसे में लोग घर को ठंडा रखने की अलग-अलग तरकीब सोच रहे हैं। सिर्फ पंख नहीं बल्कि कूलर और AC जैसी चीजों पर भी पूरी तरह से निर्भर हो चुके हैं लेकिन बहुत से लोग कूलर और एक का बोझ नहीं उठा सकते हैं। ऐसे में आजकल देसी जुगाड़ की तलाश शुरू हो गई है और इन्हीं जुगाड़ में से एक वायरल वीडियो ने सोशल मीडिया पर तूफान मचा दिया है।
वायरल वीडियो में एक युवक देसी जुगाड़ के साथ “छत वाला कूलर” तैयार करता नजर आ रहा है। जिससे गर्मी से राहत मिलने वाली है। हालांकि इस देसी जुगाड़ को लेकर लोगों की अलग-अलग प्रतिक्रिया देखी जा रही है। वही महज 5 दिनों में ही इस वीडियो को 17 मिलियन से अधिक व्यू मिल चुके हैं।
कूलर को AC बनाने का देसी तरीका
इंस्टाग्राम पर वायरल हो रहे एक वीडियो में हल्द्वानी के रहने वाले @taarik_ansari नाम के यूज़र ने ऐसा देसी आविष्कार कर दिखाया है। जिसने सबको चौंका दिया है। वीडियो में एक राज मिस्त्री छत पर एक देसी ‘कूलर’ बना रहा है, जो दिखने में तो सामान्य है लेकिन तकनीक में किसी छोटे एयर-कंडीशनर से कम नहीं।
वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि सबसे पहले मिस्त्री एक पुराने रोशनदान में एग्जॉस्ट फैन फिट करता है। उसके चारों ओर मार्बल की मदद से एक नालीनुमा टैंक बनाता है जो कूलर की वाटर टंकी का काम करता है। फिर एक छोटा-सा वॉटर पंप लगाया जाता है जो पानी को ऊपर खींचता है और घास पर गिराता है, जैसे किसी साधारण कूलर में होता है। ठंडी हवा के लिए कूलिंग पैड भी लगाए जाते हैं। सुरक्षा के लिए उस पूरे ढांचे को एक छोटे शेड से ढक दिया गया है ताकि बारिश या धूल से मोटर और बाकी चीजों को नुकसान न पहुंचे।
मिली प्रतिक्रियाएं
13 जून को पोस्ट किए गए इस वीडियो को 5 दिन के भीतर ही 17.7 मिलियन व्यूज़ मिल चुके हैं। इस वीडियो को लगभग 2 करोड़ बार इसे देखा जा चुका है। 5 लाख 77 हजार से ज्यादा लाइक्स और करीब 3000 कमेंट्स हैं।लोगों की दिलचस्पी इस देसी जुगाड़ में जबरदस्त है।
क्या सच में सस्ता है ये जुगाड़?
वायरल वीडियो को देखकर सवाल उठना लाजमी है कि क्या ये देसी जुगाड़ AC से सस्ता और कारगर है? कई यूज़र्स ने सवाल उठाया है कि इस सेटअप में लगने वाली सामग्री जैसे मार्बल, एग्जॉस्ट फैन, वॉटर पंप, कूलिंग पैड और शेड की कुल लागत AC से कम नहीं बैठती। साथ ही बिजली खपत और रख-रखाव की झंझट अलग रहती है।
हालांकि यह तरीका उन लोगों के लिए कारगर साबित हो सकता है, जहाँ लोग पहाड़ों या कम बिजली खपत वाले इलाकों में रहते हैं। खासकर तब जब कमरे को थोड़ी ठंडी हवा चाहिए लेकिन AC की सुविधा या बजट नहीं है।