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पिता रोते नहीं हैं, पर दुख उन्हें भी होता है
Posted on: 16 May 2018 06:55 by hemlata lovanshi
इंदौर: राजनेता हमेशा देरी से आते हैं, यह बात तो हमें बता है। अब तो औरों ने भी देरी से आने की राह पकड़ ली। साध्वी जया किशोरी जी की आज पत्रकार वार्ता आयोजित की गई थी। लेकिन तय समय से लगभग ढ़ेड घंटे लेट हुई कॉफ्रेंस में जया किशोरी से पहले कथा आयोजक संजय शुक्ला शुरू हो गए। थोड़ी देर संजय जी को सुनने के बाद पत्रकारों ने बीच में रोकते हुए कहां, जया जी से बात कर लें जिनके लिए हमने इतना इंतजार किया।
खैर इंतजार खत्म हुआ। सरल स्वभाव की जया किशोरी ने देरी होने पर माफी मांगते हुए अपनी बातें कहीं। आईए आप सभी को घमासान डॉट कॉम रूबरू करा रहा है व्यासपीठ की जया किशोरी से लेकर घर की जया शर्मा तक के सफर से।
चुनाव आते ही हर तरफ भगवान के जयकारे सुनाइ देने लगते है वहीं आज के दौर में कमर्शियल होती जा रही कथाओं पर कहा कि मुझे नही पता कौन कितना पैसा लेता है। पर मेरी कथा का सारा पैसा नारायण सेवा संस्थान को जाता है। जहां दिव्यांग बच्चों के आॅपरेशन होते हैं। जहां तक भगवान के जयकारों की बाते है तो इसमें बुरा क्या है बहाना कोई भी हो कम से कम भगवान का नाम तो लोग सुनते ही है। वहीं फेवरेट राजनीतिक पार्टी के सवाल पर कहा कि 21 साल की उम्र होने पर भी अभी तक मतदान का मौका नहीं मिला।
सिंगल फैमली कॉन्सेप्ट गलत
टैक्नोलॉजी के युग में परिवार बिखर रहे हैं। बच्चों की सही देखभाल या संस्कार देने का टाइम परिवार में किसी के पास नहीं है। सिंगल फैमली के कॉन्सेप्ट से ही युवा भटक रहे हैं। बच्चों को परिवार में प्यार नहीं मिलता, प्यार की कमी को युवा बाहर खोजते हैं। यही प्यार और अपनेपन की तलाश सही राह से भटका देती है और सुसाइड कर लेते हैं।
शादी के लिए अभी छोटी हूं
जया किशोरी ने शादी की बात पर कहां कि अभी तो मैं बहुत छोटी हूं। शादी जब होनी होगी हो जाएगी। भगवान जो करेंगे अच्छा ही करेंगे। परिवार के बारे में बताया कि मुझे भी घर पर रहना पंसद है लेकिन कथा के कारण चार-पांच महिनों में घर जाना होता है। हां पर जब भी घर जाती हूं सभी की लाड़ली जया शर्मा बन जाती हूं।
लड़का-लड़की समान
आज के दौर में महिलाओं के साथ हो रहे अपराध पर जया जी ने कहा कि, हम सबकी जिम्मेदारी बनती है कि लड़का-लड़की दोनों को समान अधिकार दें। हर बात समझाएं वहीं संस्कारों से पूर्ण करें। यह कभी नहीं कहे कि लड़के को सब चलेगा। रोकटोक दोनों पर बराबरी से होनी चाहिए। जया ने आखिर में कहां कि इंदौर शहर जितना अच्छा है उतने ही अच्छे श्रोता भी हैं घंटो शांति से बैठकर कथा सुनते है।
जया के लिए साधारण व्यक्ति चाहिए
बी कॉम कर चुकी जया किशोरी के पिता राधे श्याम जी ने कहा कि जब पहली बार जया ने कथा की तो मेरी आंखों में आंसू आ गए। एक पिता होने के नाते मुझे भी पता है शादी के बाद मेरी बेटी मुझसे दूर हो जाएगी। पिता रोते नहीं हैं पर बेटी के जाने पर सबसे ज्यादा दुख उन्हें ही होता है। जहां तक बात दामाद की है तो मुझे पढ़ा-लिखा और साधारण व्यक्ति चाहिए जो जया को खुश रखे बस। घर पर जया बहुत प्यार से रहती है सबसे ज्यादा प्यार अपनी छोटी बहन चेतना से करती है जो सीए कर रही है।