अदरक की खेती से बड़वानी के किसानों की हो रही है अलग पहचान

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बड़वानी : एक जिला एक उत्पाद के तहत बड़वानी जिले में अदरक का चयन किया गया है। बड़वानी जिले के ग्राम तलवाड़ा बुजुर्ग के किसान एवं एफपीओ नेचर टू अर्थ के अध्यक्ष चन्द्रशेखर चौहान बताते है कि उनके एफपीओ में क्षेत्र के करीब 300 से अधिक किसान जुड़े हुए है, जिनमें से अधिकतर किसान अदरक की खेती करते हुए अधिक मुनाफा कमा रहे है।
वे बताते है कि अदरक एक ऐसी फसल है जिसे किसान बाजार में अच्छा भाव आने पर विक्रय कर सकता है। अगर बाजार में भाव कम है तो अदरक को जमीन में या घर पर स्टोर करके रखा जा सकता है, तथा भाव आने पर उसे विक्रय करके अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है।
वे बताते है कि इस वर्ष उनके ग्राम के एक कृषक गोपाल परिहार ने 8 एकड़ में अदरक की फसल लगाकर 880 क्विंटल का उत्पादन प्राप्त किया है। अदरक की फसल को उन्होने आस-पास के स्थानीय मार्केट में विक्रय करके 10 से 15 लाख रुपये प्रति एकड़ का मुनाफा प्राप्त किया है।
अदरक की फसल अधिक पानी की फसल होकर 210 दिवस में उत्पादन देती है। इस फसल को जून माह से लगाया जाता है तथा दिसम्बर से मार्च के बीच में इस फसल को 210 दिन पूरे होने के बाद कभी भी निकालकर विक्रय किया जा सकता है। अदरक की फसल कंदमूल की फसल होने से इस फसल पर अधिक मात्रा में कीटनाशक का स्प्रे या अन्य कोई दवाई का छिड़काव करने की आवश्यकता नही होती है।
चन्द्रशेखर चौहान का कहना है कि उनके साथी किसान और वे स्वयं पहले परंपरागत फसलों की ही खेती करते थे। परन्तु एक जिला एक उत्पाद में अदरक का चयन होने से उन्होने एवं उनके किसान साथियों ने अदरक की खेती करने का सोचा और उन्हे इस बात की खुशी है कि अदरक की खेती से अच्छा लाभ किसानों को प्राप्त हो रहा है। एफपीओ के अध्यक्ष होने के नाते वे किसानों को संदेश देते है कि किसान भाई परंपरागत खेती के साथ-साथ कृषि एवं उद्यानिकी की अन्य फसलों को भी अपनाये। एक बार नई फसल की अगर किसान खेती करते है तो उसे दो से तीन वर्ष तक निरंतर करते रहे। हो सकता है शुरूआत में थोड़ा नुकसान हो पर निरंतर फसल लेने से बाजार के उतार चढ़ाव में उन्हे निश्चित ही अच्छा मूल्य मिलेगा।