किसान संगठनों ने बीजेपी का किया विरोध, कई गांवों और शहरों में एंट्री बैन, संयुक्त किसान मोर्चा ने की घोषणा

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संयुक्त किसान मोर्चा के निमंत्रण के तहत मोर्चा से जुड़े विभिन्न किसान संगठनों ने भाजपा उम्मीदवारों के प्रति अपना विरोध तेज करने की घोषणा की है। पिछले दिनों हुई संयुक्त बैठक में भाजपा प्रत्याशियों के साथ-साथ इन दलों के नेताओं ने भी गांवों में नहीं घुसने और गांव में आने पर उनका विरोध करने का वादा दोहराया था।

बैठक में भारतीय किसान यूनियन, भारतीय किसान यूनियन, बीकेयू के जिला अध्यक्षों ने भाग लिया। जिला अध्यक्ष महिंदर सिंह कमालपुरा, तरलोचन सिंह बरमी, गुरजीत सिंह गिल और जोगिंदर सिंह ढिल्लों ने कहा कि भाजपा उम्मीदवारों को हर गांव और शहर में सवालों का सामना करना पड़ेगा।

उन्होंने कहा कि किसान पूछेंगे कि किसान आंदोलन के दौरान किसानों के सामने बाड़ और बैरिकेडिंग लगाकर बाधाएं क्यों खड़ी की गईं। युवा किसान शुभकरण को गोली मारकर क्यों किया गया शहीद? किसानों के ट्रैक्टर तोड़ने के साथ ही किसानों पर हमला क्यों किया गया?

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने एमएसपी की कानूनी गारंटी का वादा पूरा नहीं किया और स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू नहीं की। लखीमपुर खीरी मामले में न्याय नहीं मिला। दिल्ली आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज सभी मुकदमे अभी तक वापस नहीं हुए हैं। किसानों का कर्ज माफ नहीं हुआ। वादाखिलाफी करते हुए विद्युत संशोधन विधेयक 2020 संसद में पेश किया गया।

इसके साथ ही इन किसान नेताओं द्वारा सत्तारूढ़ आप आदमी पार्टी के लोकसभा उम्मीदवारों को उन वादों को याद दिलाने के लिए सवाल पूछे जाएंगे जो उन्होंने सत्ता में आने से पहले जारी चुनावी घोषणा पत्र में पंजाब के किसानों की मांगों को पूरा करने के लिए किए थे। उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व वाली सरकार केंद्र सरकार के सामने झुक गई है। इस तरह इस बदली हुई सरकार ने पंजाब और किसानों को धोखा दिया है।