एक उच्च स्तरीय गठित टीम इंदौर निगम पहुंच सकती है। क्योकि नगर निगम में उजागर हुए बहुचर्चित फर्जी बिल घोटाले की जांच अभी तक शासन स्तर पर शुरू नहीं हो सकी है। अब तक यह घोटाला 125 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है और आशंका है कि इसका आंकड़ा और भी बढ़ सकता है। लेकिन आयुक्त द्वारा करायी गयी जांच रिपोर्ट में मुख्य रूप से अंकेक्षण एवं लेखा शाखा को दोषी माना गया है। वहीं, पुलिस ने जिन पांच कंपनियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है, उनमें जान्हवी और क्षितिज इंटरप्राइजेज के ठेकेदार राहुल वडेरा की बड़ी भूमिका सामने आई है।
‘चल-अचल संपत्ति जुटाई और अन्य लोगों को रिश्वत भी दी’
इन्हे न सिर्फ करोड़ों रुपयों की चल-अचल संपत्ति जुटाई अपितु देश और विदेश में अधिकारियों और अन्य लोगों को रिश्वत भी दी। इसके अलावा यात्राओं के साथ महंगे उपहार भी दिए गए । पुलिस आज कोर्ट में उसकी रिमांड अवधि बढ़ाने का भी प्रयास करेगी।
अपर आयुक्त सिद्धार्थ जैन की अध्यक्षता वाली जांच समिति ने जिन 20 फर्जी फाइलों की जांच की थी, उनकी विस्तृत रिपोर्ट सौंप दी है। हालांकि इन मामलों की वास्तविक फाइल निगम में मौजूद नहीं है और एमजी रोड थाने में चोरी की एफआईआर भी दर्ज कराई गई है, लेकिन पुलिस ने इन पांचों फर्मों से जुड़ी अन्य वास्तविक फाइलें जरूर जब्त कर ली हैं। निगम की इस जांच रिपोर्ट में डिप्टी डायरेक्टर लोकल ऑडिट समर सिंह की भूमिका सबसे संदिग्ध बताई गई है, क्योंकि ये फर्जी फाइलें सीधे ऑडिट में बनाई गई थीं, जिनमें आवक तो मिली लेकिन आउटगोइंग का कोई रिकार्ड नहीं मिला।
‘फर्जी ठेकेदारों ने फाइलें वित्तीय वर्ष खत्म होने से ठीक पहले कीं दाखिल’
इतना ही नहीं, इन फर्जी ठेकेदारों ने ये फाइलें वित्तीय वर्ष खत्म होने से ठीक पहले दाखिल कीं। फरवरी और मार्च के आखिरी दिनों में जमा की गई ये फाइलें इसलिए लगाई गईं क्योंकि उस समय बड़ी संख्या में फाइलें भुगतान के लिए लेखा परीक्षा और लेखा विभाग में आती हैं और चूंकि 31 मार्च को वित्तीय वर्ष समाप्त होने का दबाव होता है। जिसमे भुगतान प्रक्रिया एक तरह से दबाव में की जाती है। इसलिए सभी फाइलों की जांच संभव नहीं है। समर सिंह पर जांच रिपोर्ट में यह भी आरोप लगाया गया कि विभागीय वित्त अनुमोदन नोटशीट की फोटोकॉपी पर 29.03.2022 दर्शाया गया है, जबकि अंतिम बिल 31.03.2022 को ही तैयार किया गया था। यानी विभाग में बिल पेश होने से पहले ही बिल भुगतान की स्वीकृति यह दर्शाती है कि ऑडिट विभाग की इन फर्जी फर्मों से कितनी मिलीभगत थी।
‘अन्य ऑडिटरों पर भी कार्रवाई के लिए लिखा पत्र’
इसी वजह से नगर आयुक्त और प्रशासन ने समर सिंह के अलावा अन्य ऑडिटरों पर भी कार्रवाई के लिए पत्र लिखा है और संभव है कि निगम की इस जांच रिपोर्ट के बाद ऑडिटरों को भी आरोपी बनाया जा सकता है। वहीं चार आरोपियों की रिमांड खत्म होने के बाद उन्हें जेल भेज दिया गया है। वहीं जोन-3 के डीसीपी पंकज पांडे के मुताबिक, पुलिस ने क्रिस्टल और ईश्वर इंटरप्राइजेज के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है और उनके संचालक इमरान और मौसम व्यास की तलाश कर रही है, साथ ही श्री पांडे के मुताबिक पुलिस दस्तावेजों की भी जांच कर रही है।
‘एक विशेष टीम का गठन’
एक विशेष टीम का गठन किया गया है। हस्ताक्षर मिलान के लिए ड्राफ्ट भी भेजा जा रहा है। निगम इंजीनियर अभय राठौड़ की भी तलाश की जा रही है। एमजी रोड थाना प्रभारी विजय सिंह सिसौदिया का कहना है कि अभी तक राहुल वडेरा, जाकिर और निगमकर्मी राजकुमार साल्वी की रिमांड मिल गई है। तीनों को कोर्ट में पेश किया जाएगा और कोर्ट से राहुल वडेरा की रिमांड अवधि बढ़ाने की भी अपील की जाएगी, क्योंकि उनसे अभी कई तथ्य मिलने बाकी हैं। वहीं पूछताछ में राहुल वडेरा ने निपानिया अपटाउन में बंगला और फ्लैट और सनावदिया में जमीन खरीदने की जानकारी दी है। यह भी खुलासा हुआ है कि उसने निगम इंजीनियर, ऑडिटर समेत अन्य को देश-विदेश में हवाई यात्रा करायी और महंगे होटलों में रहने की व्यवस्था करायी। व्यवस्था भी कर ली गयी है। ऑयस्टर टाउनशिप में महंगी जमीन की भी जानकारी मिली है। इनकी पुष्टि भी की जा रही है।