पीएम, SC, भागवत सहित कई हस्तियों पर आपत्तिजनक पोस्ट, दोषियों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई की मांग

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सुप्रीम कोर्ट, संघ प्रमुख मोहन भागवत समेत देश की कई सम्मानित विभूतियों के ख़िलाफ़ फेसबुक पर आपत्तिजनक पोस्ट से लोगों में भारी आक्रोश देखा जा रहा है. इस मामले को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचार प्रमुख ने आपत्ति जाती है और दोषियों के ख़िलाफ़ सख्त कार्रवाई की मांग की है. बताया गया है कि मेरे फेसबुक वाल(पेज) पर एक ग्रुप Atheism Last Legion Atheism द्वारा Debunked by United Muslim Ummah पर एक व्यक्ति ठाकुर अजीत सिंह राणा, फेसबुक पर दिया गया पता ग्राम टुकड़ी नानकमत्ता जिला उधमसिंह नगर, उत्तराखंड की एक बेहद आपत्तिजनक, देश के सर्वोच्च पदों पर आसीन व्यक्तियों के विरुद्ध एक पोस्ट डाली गई थी, जिसमें न्याय की प्रतीकात्मक मूर्ति जो महिला है उसे जमीन पर गिराया बता कर उसके हाथ देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविद, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधिपति दीपक मिश्रा, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के द्वारा महिला को पकड़ा हुआ बता कर देश के प्रतिष्ठित और सम्मानीय राष्ट्रवादी संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत को प्रतीकात्मक रूप से आपत्तिजनक अवस्था में दर्शाया गया है.

उन्होंने आगे कहा कि, इस देश का नागरिक होने के नाते व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का स्वयंसेवक और प्रचार प्रमुख के दायित्व पर होने के नाते इस पोस्ट से न केवल मुझे अपितु पूरे संगठन औअरसमाज को आघात पहुंचा है. यह पोस्ट समाज, देश में वैमनस्य, समुदायों के बीच दंगा फैलाने की नियत से विभिन्न राज्यों में हो रहे चुनावों व उपचुनावों में सरकारी सम्पत्ति को हानि पहुँचाने की बदनियती से एवं देश में हिंदू मुस्लिम समुदायों में आपसी मतभेद बढ़ाने व आम जन को जान माल का नुक़सान पहुँचाने के लिए जानबुझ कर एक ग्रूप Debunked by United Muslim Ummah द्वारा इस तरह का कंटेंट फैलाया जा रहा है. उक्त पोस्ट न केवल देश की राजनैतिक व सामाजिक पदों पर आसीन व्यक्तियों के प्रति अपमानजनक है अपितु देश की न्यायप्रणाली एवं सर्वोच्च न्यायालय के प्रति भी आमजनो में वैमनस्य फैलाने की नियत से किया गया है, सर्वोच्च न्यायालय एवं न्यायप्रणाली के प्रति ऐसी दुर्भावनापूर्वक पोस्ट एवं टिप्पणियां माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा राम मंदिर फ़ैसले के बाद से ही लगातार देखने में आ रही है, जैसे CAA आंदोलन के दौरान दिल्ली में हर्ष मंदर द्वारा दिया गया बयान की “राम मंदिर व धारा 370 के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट सेक्युलरिज़म को बचाने में असफल रहा है.” या फिर एक विवादित शायर मुन्नवर राणा द्वारा दिया गया बयान लगातार इस तरीक़े से न्यायप्रणाली, देश के सर्वोच्च पदों पर आसीन नेताओ एवं माननीय न्यायालय के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीशो, आर.एस.एस.जैसे बड़े संगठन के मुखिया पर की जा रही दुर्भावनापूर्वक टिप्पणी से समुदायों में रोष है और आपसी झड़प होने की पूरी संभावना है.

देश की सबसे सम्मानीय विभूतियों के ख़िलाफ़ इस तरह की पोस्ट संवैधानिक पदों पर आसीन लोगो का अपमान है और इससे देश की छवि को भी हानि होती है. पूर्व न्यायाधिपति को इसमें दर्शाना भर ही कोर्ट की अवमानना है, वह भी गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है. इस कृत्य के विरुद्ध दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाए.