एक्सपेक्टेशन और दूसरों से ख़ुद के कंपैरिजन ने लोगों में डिप्रेशन और एंजाइटी को दिया बढ़ावा, फ्यूचर को लेकर 20 से 30 वर्ष के युवा सबसे ज्यादा डिप्रेशन के शिकार – Dr. Ashutosh Singh (Rajshree Apollo)

Share on:

इंदौर। वर्तमान समय में लोगों की एक्सपेक्टेशन ज्यादा बढ़ गई हैं। वहीं आजकल आपस में कंपैरिजन भी ज्यादा होने लगे हैं। इस वजह से पहले की अपेक्षा डिप्रेशन और एंजाइटी के केस में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी हो रही है। युवाओं में कंपैरिजन के चलते एक होड़ सी मची है यह डिप्रेशन और एंजाइटी को बढ़ावा देती है। इसी के साथ आर्थिक स्थिति, फैमिली इश्यूज, रिलेशनशिप, बच्चों में कैरियर को लेकर पढ़ाई की चिंता और अन्य कारणों की वजह से भी लोगों में मानसिक तनाव देखा गया है। अगर बात इसमें एज फैक्टर की करी जाए तो डिप्रेशन और एंजाइटी के सबसे ज्यादा पेसेंट 20 और 30 साल की उम्र के बीच के होते हैं। वही यह समस्या 45 साल की उम्र की महिलाओं में महावारी बंद होने के बाद हार्मोनल चेंजेस के चलते इसके रिस्क थोड़े बढ़ जाते हैं। यह बात डॉक्टर आशुतोष सिंह ने अपने साक्षात्कार के दौरान कही व शहर के प्रतिष्ठित राजश्री अपोलो में मनोरोग विशेषज्ञ के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं

सवाल. डिप्रेशन क्या है और यह कैसे किसी व्यक्ति को अपना शिकार बनाता है

जवाब. डिप्रेशन को मेडिकल भाषा में बायो साइको सोशल मॉडल कहा जाता है। बायो की अगर बात की जाए तो शरीर में होने वाली बीमारियों और अन्य कारणों से डिप्रेशन होता है वही साइको में कई लोगों की पर्सनैलिटी ऐसी होती है कि वह जल्दी डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं इसी के साथ कई सोशल कारण होते हैं जिस वजह से लोग सोशली मानसिक तनाव का शिकार होते रहते हैं। इन तीनों के मिले-जुले रूप के कारण इंसान डिप्रेशन का शिकार होता है। इसी के साथ मेडिकल टर्म में अगर इसे समझे तो ब्रेन में मौजूद डोपामिन सेरोटोनिन और अन्य केमिकल के इंबैलेंस होने से मानसिक तनाव की स्थिति बनती है।

कई बार के माइल्ड होने की वजह से इसे थेरेपी और काउंसलिंग की मदद से ठीक किया जा सकता है वही मॉडरेट और सीवीयर होने पर काउंसलिंग और थेरेपी के साथ-साथ दवाइयां भी देना बहुत जरूरी हो जाता है। आजकल हमारी लाइफस्टाइल सिडेंट्री हो गई है इस वजह से भी मानसिक तनाव जैसी स्थिति उत्पन्न होती है आजकल न्यूक्लियर फैमिली में बच्चे और बड़े एक दूसरे से अपनी समस्या साझा करने में कतराते हैं जो कि एक इन चीजों को बढ़ावा देती है। मानसिक तनाव से बचने के लिए व्यक्ति को शारीरिक व्यायाम करना चाहिए इसी के साथ लोगों से अपनी बात भी साझा करना चाहिए ताकि आगे चलकर इस तरह की समस्या ना हो।

सवाल. एंजाइटी क्या होती है क्या यह भी डिप्रेशन का मिलाजुला रूप है

जवाब. अगर बात एंजाइटी की करी जाए तो इसके भी केस दिन-ब-दिन बढ़ते जा रहे हैं यह डिप्रेशन का एक मिलाजुला रूप है इसके कुछ सिम्टम्स ऐसे होते हैं जो कि डिप्रेशन से थोड़े अलग होते हैं जिसमें घबराहट होना, बेचैनी होना, धड़कन बढ़ना, हाथ पांव में कंपन होना, सांस फूलना और अन्य समस्याएं सामने आती है । कई बार यह समस्या लोगों में जेनेटिक रूप से भी देखने को सामने आती है। एंजाइटी में भी डिप्रेशन की तरह डोपामिन सेरोटोनिन और अन्य केमिकल के इंबैलेंस होना एक कारण होता है। इसकी दवाइयां और ट्रीटमेंट भी डिप्रेशन में दी जाने वाली के समान दवाई के समान होती है। आमतौर पर हम देखते हैं कि घबराहट, बेचैनी दिल की धड़कन बढ़ना यह सारे लक्षण कोई विपरीत स्थिति उत्पन्न होने पर भी दिखाई देते हैं लेकिन कोई ऐसी विपरीत स्थिति नहीं होने पर भी ऐसी चीजें हमारी बॉडी में होना एंजायटी कहलाती है।

सवाल. आजकल गैंबलिंग डिसऑर्डर भी बहुत ज्यादा देखा जा रहा है कैसे एक व्यक्ति इसकी गिरफ्त में आता है

जवाब. आज के दौर में गेंबलिंग और गेमिंग डिसऑर्डर भी बहुत ज्यादा बढ़ रहे हैं। पहले तो यह सट्टे के रूप में देखा जाता था लेकिन आजकल यह ऑनलाइन मोबाइल और टीवी पर दिखाया जाता है और बड़ी-बड़ी सेलिब्रिटी इसे प्रमोट करते हैं। ऐसे कई लोगों को देखा है जिन्होंने गैंबलिंग में 8 से 10 लाख तक का लॉस उठाया है। यह धीरे-धीरे आदत बन जाता है और फिर रिकवरी नहीं होने पर इंसान डिप्रेशन में चला जाता है। गैंबलिंग एक नशे की तरह काम करता है इसमें शुरुआत में व्यक्ति को बहुत अच्छा लगता है जिसमें व्यक्ति अपनी सोशल और प्रोफेशनल लाइफ से हटकर इस और धीरे-धीरे बढ़ जाता है। जिस तरह दूसरी चीजों की लत में डोपामाइन जिम्मेदार होता है उसी तरह गैंबलिंग में भी डोपामाइन ही कारण होता है।अगर बात एज फैक्टर की करी जाए तो इसमें यंग जनरेशन बहुत ज्यादा इंवॉल्व रहती है वही पहले के मुकाबले लड़कियों के कैस में भी बढ़त हो रही है।

सवाल. आपने अपनी मेडिकल फील्ड की पढ़ाई किस क्षेत्र में और कहां से पूरी की है

जवाब. मैंने अपनी एमबीबीएस की पढ़ाई शहर के प्रतिष्ठित एमजीएम मेडिकल कॉलेज से पूरी की है इसके बाद मैंने पोस्ट ग्रेजुएशन मनोचिकित्सा में आईएमएचएच हॉस्पिटल आगरा से किया है। इसी के साथ रेसिडेंसी प्रोग्राम नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ बेंगलुरू से किया है। मनोरोग में अपनी पढ़ाई पूर्ण करने के बाद से ही मैं इंदौर आ गया और मैंने 2014 में शहर के प्रतिष्ठित राजश्री अपोलो में अपनी सेवाएं देना प्रारंभ कर दिया तब से लेकर अब तक मैं यहीं पर अपनी सेवाएं दे रहा हूं।