इंदौर। गत जून माह के आखिरी सप्ताह स्कूल ऑफ एक्सीलेंस फॉर आई, के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. मीता जोशी व डॉ. बबीता शर्मा द्वारा दीपाली नामक महिला का सफल ऑपरेशन किया गया। दीपाली 15 वर्षो से टाइप वन डायबिटीज से पीड़ित है और इस वजह से हुए मोतियाबिंद ने उनकी नजर को कमजोर कर दिया था। डॉ. मीता जोशी व डॉ. बबीता शर्मा ने निश्चेतना विभागाध्यक्ष डॉ. के.के. अरोरा, डॉ. शालिनी जैन की टीम के सहयोग से आधुनिक फेको इमल्सीफिकेशन तकनीक से मोतियाबिंद का सफल ऑपरेशन कर आईओएल लेंस प्रत्यारोपित किया। इस सर्जरी का खर्च निजी चिकित्सालय में 20 हजार से लेकर एक लाख है लेकिन स्कूल ऑफ एक्सीलेंस फॉर आई में यह ऑपरेशन सामान्य मरीजों के लिए 11 हजार एवं आयुष्मान मरीजों के लिए निशुल्क है। दीपाली का कहना है कि खुशी की बात है कि इस ऑपरेशन के बाद वह अपनी 6 माह की बिटिया को आंख भर के निहार पाएगी।
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चोट की वजह से खिसका आंख का परदा, ऑपरेशन से मिली रोशनी
एक अन्य प्रकरण में स्कूल ऑफ एक्सीलेंस फॉर आई, के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. टीना अग्रवाल सह प्राध्यापक एवं डॉ. ऋषि गुप्ता ने निश्चेतना विभागाध्यक्ष डॉ. के.के. अरोरा, डॉ. शालिनी जैन की टीम के सहयोग से आधुनिक तकनीक से शिवराज नामक शख्स का मोतियाबिंद का सफल ऑपरेशन किया। शिवराज को चोट के कारण रेटिनल डिटेचमेंट (आंख का पर्दा खिसकना) की गंभीर समस्या हो गई थी, जिसकी वजह से आंख की रोशनी जाने के हालात बन गये थे। लेकिन स्कूल ऑफ एक्सीलेंस फॉर आई की नेत्र रोग विशेषज्ञ सह प्राध्यापक डॉ. टीना अग्रवाल एवं डॉ. ऋषि गुप्ता ने सफल ऑपरेशन कर शिवराज को नई रोशनी प्रदान की। इस सर्जरी का खर्च निजी चिकित्सालय में 50 हजार से लेकर 1.50 लाख रूपए है। लेकिन स्कूल ऑफ एक्सीलेंस फॉर आई में यह ऑपरेशन सामान्य मरीजों के लिए 20 हजार एवं आयुष्मान मरीजों के लिए निशुल्क है। डॉ. टीना अग्रवाल रेटिना सर्जरी में एवं डॉ ऋषि गुप्ता कोर्निया सर्जरी में शंकर नेत्रालय चेन्नई से प्रशिक्षित हैं।