भारत भूमि का प्रत्येक पंडित निधि और मुनि महानिधि है- आचार्य विशुद्ध सागर, महाकुंभ सुमतिधाम में पहुंचे 50 हजार लोग

Shivani Rathore
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पार्किंग स्थल का स्थान पड़ा छोटा , गांधी नगर तक लगी वाहनों की कतारें, इमरेसीव झोन में हजारों लोगों ने देखी शार्ट फिल्म, मोबाइल में वीडियो शूटिंग के साथ सेल्फी भी ली

5 दिनों में 4.50 हजार लोगों ने किया सुमतिधाम का अवलोकन, लेजर लाईट शो, शीश महल, गेम्स झोन बना आने वाले मेहमानों की पहली पसंद

ज्ञान कल्याणक महोत्सव में समवशरण की रचना की, रात्रि में जैनम वारिया की भजन संध्या ने बांधा समा, महाआरती में दीपों से जगमग हुआ कल्याण भवन

इन्दौर 10 मार्च। सारा जगत परम् सत्य की खोज में जा रहा है लेकिन, खोज वहाँ है जहाँ वस्तु है ही नहीं अर्थात जहाँ वस्तु तत्व है वहाँ अंवेषण नहीं है और जहाँ अंवेषण है वहाँ वस्तु तत्व है ही नहीं केवल खोज ही खोज रहे हैं। अंधकार में नहीं प्रकाश में खोई हुई वस्तु खोजना चाहिए। भारत की भूमि का एक एक पंडित निधि है और एक एक मुनि महानिधि है।हर व्यक्ति से धर्म की खोज मत करवाइए लेकिन हर व्यक्ति को धर्म में लगाकर जरूर रखना चाहिए। यह बात जैनाचार्य विशुद्ध सागर जी महाराज ने गांधी नगर गोधा एस्टेट में आयोजित 6 दिवसीय पंचकल्याणक महोत्सव के पांचवे दिन रविवार को बड़ी संख्या में उपस्थित श्रावक-श्राविकाओं को सम्बोधित करते हुए कहीं। आचार्य विशुद्ध सागर जी ने एक दृष्टांत देते हुए सभी श्रावक-श्राविकाओं को कहा कि प्रकाश कितना भी हो लेकिन कोई वस्तु वहां खोई ही नहीं है तो ढूंढने पर भी नहीं मिलेगी। जहां घुमी है वहीं ढूंढने पर वह मिलेगी। आज धर्म के मामले में भी कुछ ऐसी ही स्थिति है जहां अंवेषण है वहां वस्तु नहीं और जहां वस्तु तत्व है वहां अंवेषण ही नहीं। आज धर्म को नदियों, सरोवर, पर्वत व पेड़ो में खोजा जा रहा है। कोई पोथियों व ग्रंथों में खोज रहे हैं। धर्म तो ज्ञाता का और निज का धर्म होता है। आपने एक उदाहरण के माध्यम से बताया कि क्रिया का धर्म सबसे करवाया जा सकता है लेकिन स्वभाव का धर्म सभी से नहीं खोजा जा सकता। ज़ब तक धर्म के मर्म का बोध न हो तब तक धर्म की खोज मत करना।

पंचकल्याणक महामहोत्सव समिति आयोजक मनीष-सपना गोधा ने बताया कि रविवार को पंचकल्याणक महोत्सव में प्रतिष्ठाचार्य प्रदीपकुमार जैन मधुर (मुंबई), सह-प्रतिष्ठाचार्य चंद्रकांत गुंडप्पा इंड़ी (कर्नाटक), पं. नितिनजी झांझरी (इन्दौर), विधानाचार्य पीयूष प्रसून (सतना) एवं तरूण भैय्याजी (इन्दौर) के निर्देशन में ज्ञान कल्याणक महोत्सव का उत्सव मनाया गया। कल्याण भवन में समवशरण की रचना ने भी सभी को आकर्षित की। सुबह शांतिधारा सहित सभी विधियां आचार्य विशुद्ध सागर के सान्निध्य में एवं विधिकारकों द्वारा संपन्न की गई। शाम को जैनम वारिया की भजन संध्या आयोजित की गई जिसमें सभी श्रावक-श्राविकाएं जमकर झूमे। संध्या को हुई महाआरती में कल्याण भवन का नजारा देखने लायक था सभी लोगों ने अपने हाथों में दीपों से भगवान सुमतिनाथ की आरती की। सोमवार 11 मार्च को मोक्ष कल्याणक महोत्सव के साथ ही इस 6 दिवसीय पंचकल्याणक महामहोत्सव का समापन होगा। वहीं इस अवसर पर एरावत हाथी पर भगवान सुमतिनाथ की भव्य शोभायात्रा भी परिसर में ही निकाली जाएगी, साथ ही सुमतिधाम पर सुमतिनाथ व 24 तीर्थंकरों की प्रतिमा भी आचार्य विशुद्ध सागर के सान्निध्य में 11.32 मिनट पर विराजित की जाएगी।

रविवार को 50 हजार तो 5 दिनों में 4 लाख लोगों ने किया सुमतिधाम का अवलोकन

गांधी नगर स्थित गोधा एस्टेट में आयोजित देश का सबसे बड़ा व भव्य पंचकल्याणक महोत्सव शहर ही नहीं अपितु अन्य राज्यों में भी चर्चा का विषय बना हुआ है। रविवार को यहां आने वाले अतिथियों के लिए विशेष इंतजाम किए गए थे। रविवार को 50 हजार लोगों के पहुंचने से पूरे सुमतिधाम का नजारा देखने लायक था। लेजर लाईट शो, शीश महल, गेम्स झोन सभी अतिथियों के साथ ही बच्चों की पहली पसंद रहा। इमरेसीव झोन में सभी लोगों ने भगवान सुमतिनाथ की शार्ट फिल्म न सिर्फ देखी बल्कि अपने मोबाइल में वीडियो व सेल्फी भी इस दौरान ली। 5 दिनों में 4 लाख से अधिक लोग सुमतिधाम का अवलोकन कर चुके हैं।

26 साधु संघ की आहारचर्या के लिए 31 चौके बनाए

सुमतिधाम पर आचार्य विशुद्ध सागर महाराज अपने 26 साधु संघ के साथ भक्तों को सान्निध्य प्रदान कर रहे हैं। अतिथियों और अन्य समाज बंधुओं के लिए 4 भोजन शाला बनाई गई है तो वहीं 26 साधु संघ के लिए 31 चौके अलग से आहारचर्या के लिए बनाए गए हैं। इन्हीं 31 चौकों में सभी साधु संघ अहारचर्या करते हैं। प्रतिदिन आहार में दाल, चावल, रोटी, सब्जी, कम नमक मिर्ची, बिना नमक, बिना शक्कर का भोज यहां जैन बंधुओं द्वारा तैयार किया जा रहा है। वहीं संसघ के साथ 30 त्यागियों के लिए भी अलग से भोज शाला बनाई गई है।