मिर्गी का दौरा सामान्य व्यक्ति को भी आ सकता है, कई बार हाईट पर जाने के बाद भी डर खत्म ना हो तो खुद को टास्क ना दें – डॉ अंकित गुप्ता बॉम्बे हॉस्पिटल

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इंदौर। मिर्गी एक ऐसी बीमारी है, कि इसके झटके सामान्य व्यक्ति को भी लाइफ में एक बार आ सकते है, अगर किसी व्यक्ति को हाईट पर जाने से डर लगता है, और बार बार वह खुद को टास्क देता है, फिर भी वह डर खत्म नही होता है, तो ऐसे व्यक्ति को हाईट पर मिर्गी का दौरा आने के चांस बन जाते है। अगर आपको आग, पानी इन सब से डर है, और यह लंबे समय से है तो इसका खयाल रखे। हालांकि ऐसे भी कई मरीज होते हैं, जिन्हें मिर्गी का दौरा एक बार आने के बाद दोबारा नही आता है।

यह बात न्यूरोसर्जन डॉक्टर अंकित गुप्ता ने साक्षात्कार के दौरान कही। उन्होंने अपनी एमबीबीएस और एमएस की पढ़ाई एमजीएम मेडिकल कॉलेज इंदौर से की है, इसके बाद चंडीगढ़ से न्यूरोसर्जरी में एमसीएच किया। इसी के साथ एंडोस्कोपी में फेलोशिप ताइवान और स्पाइन सर्जरी में फेलोशिप यूके से की है। उन्होंने 2011 से देश के कई प्रतिष्ठित हॉस्पिटल में अपनी सेवाएं दी है, जिसमें चिरायु मेडीकल कॉलेज भोपाल, चोइथराम हॉस्पिटल इंदौर, नैरोबी हॉस्पिटल और अभी बॉम्बे हॉस्पिटल इंदौर में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

20 प्रतिशत लोगों में मिर्गी ट्यूमर, चोट और अन्य कारण से होती है।

हमारा ब्रेन इलेक्ट्रिक फील्ड पर कार्य करता है, जो भी इंफॉर्मेशन होती है, वह इलेक्ट्रिक इंपल्स के फॉर्म में जाती है, आम बोलचाल की भाषा में इसे कहे तो जब वह ज्यादा हो जाती है, तो वह स्पार्क होने लग जाती है। जिससे वह ब्रेन में स्पार्क पैदा करती है, और मिर्गी झटके आने लग जाते हैं। 80 प्रतिशत लोगों में ब्रेन में मिर्गी के कारण सामने नहीं मिलते है, वहीं 20 प्रतिशत लोगों में ब्रेन ट्यूमर, इन्फेक्शन, किसी चोट के बाद और अन्य कारणों से मिर्गी के दौरे पड़ सकते है। इसके मरीज को लंबे समय तक उपवास, सीधे किसी चीज के प्रकाश में जाना, कम सोना, ज्यादा साउंड, ऊंचाई, स्ट्रेस, और अन्य चीजों पर ध्यान देना चाहिए।

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पहले के मुकाबले एक्सिडेंट केस ज्यादा खतरनाक

इसी के साथ उन्होंने बताया कि आज के दौर में एक्सीडेंट के दौरान सिर में लगने वाली चोट हेड इंज्यूरी का पैटर्न बदल गया है, यह बहुत ज्यादा जानलेवा हो गई है, वाहन की ज्यादा गति और सेफ्टी नहीं रखने के कारण युवाओं में एक्सीडेंट के दौरान इस तरह के घाव, चोट आते है, कि कई बार उन्हें बचा पाना मुश्किल हो जाता है। 30 प्रतिषत पेशेंट तो हॉस्पिटल तक ही नहीं पहुंच पाते हैं। कई बार पेशेंट को बाहर से खुन नहीं आता है,लेकीन अंदर ज्यादा ट्रॉमा होता है। पहले के मुकाबले बाइक कार की नई टैक्नोलॉजी के चलते यह हाई स्पीड हो गई है, वहीं ट्रेफिक बढ़ने से लोगों में ट्रैफिक सेंस भी नहीं बचा है, इसको लेकर कई एक्सीडेंट आए दिन होते है।

सिर से लेकर पैर तक बॉडी का वजन सेंटर ऑफ ग्रेविटी स्पाइन से होकर जाता है

इंसान के शरीर की बनावट इरेक्ट पोस्चर में है, हम दो पैर पर खड़े है, इससे स्पाइन पर ज्यादा लोड़ पड़ता है, सिर से लेकर पैर तक बॉडी का वजन सेंटर ऑफ ग्रेविटी स्पाइन से होकर जाता है, आज के दौर में ज्यादातर स्लिप डिस्क, लंबर कैनाल स्टेनोसिस और अन्य समस्या देखने को मिलती है, वहीं यंग जेनरेशन में कंप्यूटर पर एक ही पोजिशन में काम करने से गर्दन और स्पाइन की समस्या सामने आने लगी है, स्पाइन में सबसे कॉमन समस्या एज की वजह से आती है, जिसमें कमर दर्द, चलने फिरने से हाथ पैर में सूजन और अन्य शामिल है।

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अगर बात चार पैर वाले जानवर की करी जाए तो, उनकी रीढ़ की हड्डी पर इतना प्रभाव नहीं पढ़ता है। उनका पूरा सपोर्ट पैरो पर होता है, जिससे रीढ़ पर इतना दबाव नही पढ़ता है। स्पाइन की समस्या से बचाव के लिए ज्यादातर खड़े या बैठे ना रहे, स्पाइन स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज करे, आधा जुककर वजन उठाना और अन्य चीजों को अवॉइड करें। इसी के साथ उन्होंने ट्यूमर के बारे में बताया कि इसके केस पहले के मुकाबले बढ़ रहे है, यह कहना सही नहीं है, क्योंकि आज के दौर में चेकअप से पता जल्दी चल जाता है, ट्यूमर ज्यादातर रेडिएशन की वजह से होता है, वहीं इसका एक कारण जेनेटिक भी हो सकता है।