बॉलीवुड के अनुभवी अभिनेता अनुपम खेर इन दिनों अपनी फिल्म ‘तन्वी द ग्रेट’ के प्रमोशन में बिजी हैं। इस फिल्म में वे न केवल मुख्य भूमिका में हैं, बल्कि इसके निर्देशक भी हैं। इसी बुज़ुर्गी के बीच उन्होंने अपने निजी जीवन और दो शादी–शुदा रिश्तों को लेकर खुलकर बात की। अनुपम ने स्वीकार किया कि शादी जीवन का एक कठिन सफर है – इसके उतार-चढ़ाव, समझ और असफलताओं को उन्होंने खुले दिल से स्वीकार किया।
दो शादियों की अक्स:compatibility से नहीं, respect से चमकी
सबसे पहले बात पहली शादी की: वर्ष 1968 में उन्होंने पहली पत्नी, अभिनेत्री मधुमालती कपूर से शादी की जो केवल एक वर्ष चली। इसके लगभग छह साल बाद उन्होंने दूसरी शादी की अभिनेत्री किरण खेर से। किरण इससे पहले शादीशुदा थीं और उनका एक बेटा, सिकंदर, भी था। अपने रिश्तों को लेकर उन्होंने बताया कि: “जब भी कोई साथी आपकी मात्र 10-20-30% ही समझता है, उससे शादी कर लें, बाक़ी रिश्ते शादी के बाद बनेंगे।”
उन्होंने परफ़ेक्शन पर आधारित प्रेम पर तंज कसते हुए कहा कि समय के साथ जुनून तो जाता है, लेकिन सम्मान, समझ और संयुक्त प्रयास ही किसी रिश्ते को धैर्यवान बनाते हैं।
compatibility का मिथक: पुरानी पीढ़ियों से मिलती सीख
‘राज शमानी’ के हालिया पॉडकास्ट में उन्होंने कहा कि: “क्या हमारी माता–पिता ने compatibility पर ध्यान दिया था? क्या उनकी शादी में इसे तलाश करने का सवाल पैदा हुआ?” इस तरह के प्रश्न आवश्यकता से ज़्यादा अपेक्षा उत्पन्न करते हैं। अनुपम का मानना है कि इन्हें चाहने की इच्छा ज़िंदगी में महत्व रखती है, न कि केवल जांच की अपेक्षा।
असफलता स्वीकार की और सीख मिली
अपनी शादी को पेशेवर और निजी स्तर पर निरंतर रूप से सुधारने योग्य बताया। उन्होंने कहा: “जीवन में असफलताएं होंगी। मैंने स्वीकार किया कि मेरी शादी ‘दुनिया की सबसे अच्छी शादी’ नहीं है, लेकिन जो बचा वह सम्मान, करुणा और भावना की विश्वसनीयता है।” यह स्वीकार्यता उनकी अपनी आत्मा की ताक़त की गवाही देती है।
थकावट भी एक हिस्सा है
वे कहते हैं कि रिश्तों में समय के साथ थकावट स्वाभाविक है, लेकिन इसे पनाह देने के बजाय यादें संजोने और रिश्ते पर काम करने का इरादा रखना चाहिए। यह सफर सहज नहीं, बल्कि सतत प्रयास की कहानी है।
“मैंने कभी-कभी उन्हें चोट पहुंचाई…अब भी उनका सम्मान करता हूँ”
अंत में अनुपम खेर ने ईमानदारी से स्वीकारा: “मैं जानता हूँ कि मैंने कभी-कभार उन्हें (किरण को) चोट पहुंचाई है, लेकिन जो मैंने बनाए रखा है, वह है उनका सम्मान, मेरी करुणा और भावनाओं की एकता।” यह सत्य–स्वीकार उनके रिश्ते की गहराई दिखाता है – जहाँ प्रदर्शन की अपेक्षा नहीं, बल्कि संयुक्त इरादों और संवेदनाओं की बुनियाद रहती है।
‘तन्वी द ग्रेट’ के साथ अनुपम खेर का इंतज़ार सिर्फ एक फिल्म तक सीमित नहीं है। उन्होंने इसी आत्म-निरीक्षण और समझदारी से यह भी समझाया कि शादी–रिश्ते में स्थिरता तभी आती है जब हम अपनी सीमाओं पर काम करें, परोपकार करें और साथी के लिए भावनात्मक रूप से उपलब्ध रहें।
‘तन्वी द ग्रेट’ 18 जुलाई को सिनेमाघरों में रिलीज़ होगी, और यह शायद उनके इस नए आत्म–खुलासे का प्रतीक बनकर उभरेगी।