केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों एवं श्रमिक परिसंघ ने केंद्रीय कर्मचारियों की स्थिति को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से एक पत्र भेजा है, जिसमें उन्होंने 8वें केंद्रीय वेतन आयोग (CPC) के गठन की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया है। परिसंघ का कहना है कि उच्च मुद्रास्फीति और पैसे के मूल्य में गिरावट के कारण केंद्रीय कर्मचारियों का वेतन वर्तमान आर्थिक परिस्थितियों के हिसाब से अपर्याप्त हो गया है।
परिसंघ में लगभग 7 लाख केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व किया जाता है, जो विभिन्न विभागों जैसे डाक, आयकर, लेखा परीक्षा, सर्वेक्षण, जीएसआई, सीपीडब्ल्यूडी, जनगणना, सीजीएचएस आदि में कार्यरत हैं। यह संघ केंद्र सरकार के कर्मचारियों के वेतन सुधार की मांग कर रहा है, विशेष रूप से उच्च मुद्रास्फीति और वित्तीय दबाव के कारण। पत्र में यह भी बताया गया है कि कर्मचारी संगठनों ने आखिरी बार केंद्रीय वेतन आयोग से संशोधन 1 जनवरी 2016 में किया था, और अब यह समय है कि एक नया आयोग गठित किया जाए।
मुद्रास्फीति और बढ़ी हुई लागत
संघ ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में यह उल्लेख किया कि महामारी के बाद देश में वस्तुओं की कीमतों में कई गुना वृद्धि हुई है, जिससे केंद्रीय कर्मचारियों के जीवन यापन में कठिनाइयाँ बढ़ गई हैं। विनिर्माण उद्योग, निर्माण, स्वास्थ्य और सेवा क्षेत्रों में आवश्यक और गैर-आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में भारी वृद्धि देखी गई है। इसके अलावा, उच्च ब्याज दरें और औसत 4-7% के बीच की मुद्रास्फीति (जो लगभग 5.5% के स्तर पर है) भी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रही हैं।
वेतन संरचना में सुधार की आवश्यकता
कर्मचारी परिसंघ ने यह भी कहा कि वेतन ढांचे को मजबूत और प्रतिस्पर्धी बनाना चाहिए ताकि सरकारी क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाओं को आकर्षित किया जा सके। वेतन को हर पांच साल में संशोधित किया जाना चाहिए, ताकि कर्मचारियों की प्रोत्साहना और कार्य क्षमता बनी रहे। पत्र में यह तर्क दिया गया है कि यदि वेतन संरचना आकर्षक और प्रतिस्पर्धी नहीं होगी, तो सरकारी क्षेत्र में योग्य और कुशल कर्मचारी नहीं आएंगे, जो सरकार की नीतियों और योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू कर सकें।
पिछले नौ वर्षों में गिरावट
पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि पिछले नौ वर्षों में कर्मचारियों की वास्तविक धन मूल्य में भारी गिरावट आई है, विशेष रूप से कोविड-19 के बाद। मुद्रास्फीति के कारण केंद्रीय कर्मचारियों की क्रय शक्ति में कमी आई है, जिससे उनका जीवन स्तर प्रभावित हो रहा है। इससे कर्मचारियों की समग्र वित्तीय स्थिति पर गहरा असर पड़ा है।
वेतन आयोग का गठन
कर्मचारी संघ ने यह अनुरोध किया है कि केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के जीवन स्तर को सुधारने और सरकारी योजनाओं की प्रभावशीलता को बढ़ाने के लिए 8वें केंद्रीय वेतन आयोग का गठन बिना किसी देरी के किया जाए। उन्होंने यह भी बताया कि केंद्रीय वेतन आयोगों को अपनी रिपोर्ट तैयार करने में लगभग दो साल का समय लगता है, और फिर उसे लागू करने में सरकार को और समय लगता है। इसलिए, आयोग के गठन में कोई विलंब नहीं किया जाना चाहिए।