Election: हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के चुनावी रुझान अब स्पष्ट नतीजों में बदलने लगे हैं। पिछले चुनाव में बीजेपी से गठबंधन करने वाली पार्टियों के लिए यह चुनाव बुरा साबित हो रहा है। हरियाणा में जेजेपी शून्य की ओर बढ़ रही है, जबकि जम्मू-कश्मीर में पीडीपी का प्रदर्शन कमजोर पड़ा है।
हरियाणा में जननायक जनता पार्टी की हार
2018 में गठित जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) ने 2019 के विधानसभा चुनाव में 10 सीटें जीती थीं और बीजेपी के साथ गठबंधन किया था। दुष्यंत चौटाला को डिप्टी सीएम बनाया गया था। हालांकि, 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले जेजेपी ने बीजेपी से गठबंधन तोड़ दिया। अब विधानसभा चुनाव में जेजेपी का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है, जहां दुष्यंत चौटाला खुद अपनी सीट उचाना कलां से जमानत बचाने में लगे हुए हैं।
जम्मू-कश्मीर में पीडीपी की निराशा
2014 में पीडीपी ने बीजेपी के साथ गठबंधन कर सरकार बनाई, लेकिन 2018 में यह गठबंधन टूट गया। इसके बाद कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने और विधानसभा भंग करने जैसे बड़े बदलाव हुए। 2024 के चुनाव में महबूबा मुफ्ती ने अपनी पार्टी को किंगमेकर बनाने की कोशिश की, लेकिन पीडीपी केवल 2 सीटें जीतती हुई दिख रही है। महबूबा की बेटी इल्तिजा भी चुनाव में हार गई हैं।
गठबंधन तोड़ने का परिणाम
गठबंधन तोड़ने के बावजूद इन पार्टियों को हार का सामना क्यों करना पड़ा, यह एक बड़ा सवाल है। हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में बीजेपी अपने प्रदर्शन को बरकरार रखने में सफल रही है। यह संभावना जताई जा रही है कि जेजेपी और पीडीपी को मिले वोट असल में बीजेपी के विरोध में थे। इसलिए दोनों पार्टियों का बीजेपी के साथ जाना उनके लिए नुकसानदेह साबित हुआ।
क्षेत्रीय प्रदर्शन में बदलाव
दक्षिण कश्मीर में पीडीपी का गढ़ माना जाता था, लेकिन इस बार नेशनल कॉन्फ्रेंस ने बढ़त बना ली है। इसी प्रकार, हरियाणा के जाटलैंड में जेजेपी का अच्छा प्रदर्शन होता था, लेकिन इस बार कांग्रेस ने यहाँ भी बढ़त बना ली है।