‘चुनाव प्रचार संवैधानिक अधिकार नहीं’ ईडी ने सुप्रीम कोर्ट में अरविंद केजरीवाल की अंतरिम जमानत का किया विरोध

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कथित उत्पाद शुल्क नीति घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की अंतरिम जमानत का विरोध करते हुए प्रवर्तन निदेशालय ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में एक नया हलफनामा दायर किया है। हलफनामे में ईडी ने कहा है कि केजरीवाल लोकसभा चुनाव नहीं लड़ रहे हैं और किसी भी राजनीतिक नेता को प्रचार के लिए अंतरिम जमानत नहीं दी गई है। एजेंसी ने कहा कि चुनाव प्रचार का अधिकार न तो मौलिक अधिकार है और न ही संवैधानिक अधिकार है।

समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, प्रवर्तन निदेशालय ने कहा, यह ध्यान रखना प्रासंगिक है कि चुनाव के लिए प्रचार करने का अधिकार न तो मौलिक अधिकार है, न ही संवैधानिक अधिकार और यहां तक ​​​​कि कानूनी अधिकार भी नहीं। एजेंसी ने कहा, ष्किसी भी राजनीतिक नेता को प्रचार के लिए अंतरिम जमानत नहीं दी गई है, भले ही वह चुनाव लड़ने वाला उम्मीदवार न हो। यहां तक ​​कि चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार को भी अंतरिम जमानत नहीं दी जाती है, अगर वह अपने प्रचार के लिए हिरासत में है।

एजेंसी ने कहा है, अगर प्रचार के अधिकार को अंतरिम जमानत देने का आधार माना जाता है तो यह अनुच्छेद 14 का उल्लंघन होगा और किसी राजनेता के साथ अलग व्यवहार नहीं किया जा सकता है।इससे पहले, बुधवार को न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने कहा, हम (जमानत पर) अंतरिम आदेश शुक्रवार को सुनाएंगे। गिरफ्तारी को चुनौती से संबंधित मुख्य मामले पर भी उसी दिन सुनवाई की जाएगी।ष्इस बीच, मंगलवार को दिल्ली की एक अदालत के आदेश के बाद, मामले में केजरीवाल की न्यायिक हिरासत 20 मई तक बढ़ा दी गई है।

केजरीवाल फिलहाल न्यायिक हिरासत के तहत तिहाड़ जेल में बंद हैं। उन पर शराब व्यापारियों से लाभ के बदले रिश्वत मांगने का आरोप है। ईडी ने उन पर 2021-22 के लिए दिल्ली सरकार की अब समाप्त हो चुकी उत्पाद शुल्क नीति में किंगपिन और मुख्य साजिशकर्ता होने का भी आरोप लगाया है। मामले के सिलसिले में मनीष सिसौदिया और संजय सिंह समेत कई अन्य आप नेताओं को भी गिरफ्तार किया गया था। जहां सिसौदिया अभी भी जेल में हैं, वहीं संजय सिंह छह महीने बाद जमानत पर तिहाड़ जेल से रिहा हो गए हैं।

इस बीच, आम आदमी पार्टी और केजरीवाल ने मामले में खुद को निर्दाेष बताया है। वे केंद्र सरकार पर विपक्ष की आवाज को दबाने और लोकसभा चुनाव 2024 में अभियान को खतरे में डालने के लिए केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग करने का भी आरोप लगाते रहे हैं।