Eid-Ul-Adha 2021: आज है बकरीद, ये है ईद से जुड़ी हुई महत्वूर्ण बातें

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देशभर में 21 जुलाई यानि आज मुस्लिम धर्म का सबसे पसंदीदा बकरीद का त्योहार धूमधाम से मनाया जाएगा। बकरीद को लेकर मुसलमान भाई नए कपड़े, जूते, चप्पल, टोपी, सुरमा, इत्र, लच्छा, सेवई, मेवे मसाले आदि सहित अन्य सामग्री की खरीदारी करने के लिए बाजारों का रूख करते हैं। त्याग एवं बलिदान का त्योहार बकरीद को अरबी में ह्यईद-उल-जुहाह्ण भी कहते हैं। इस्लामिक मान्यता के अनुसार हजरत इब्राहिम अपने पुत्र इस्माइल को इसी दिन खुदा के लिए कुर्बान करने जा रहे थे, अल्लाह ने, उनके पुत्र को जीवनदान दे दिया।

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जिसकी याद में यह त्योहार मनाया जाता है। अरबी में बक़र का अर्थ है बड़ा जानवर जो काटा जाता है। ईद के मौके पर लोग अपने रिश्तेदारों और करीबों लोगों को ईद की मुबारकबाद देते हैं। ईद की नमाज में लोग अपने लोगों की सलामती की दुआ करते हैं। एक-दूसरे से गले मिलकर भाईचारे और शांति का संदेश देते हैं। बाजारों में भी रौनक दिखाई देती है। आइए जानते हैं बकरीद से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें…

-बकरीद के मौके पर बकरे की कुर्बानी एक प्रतीकात्मक कुर्बानी होती है। लेकिन आपको बता दें यह जरूरी नहीं कि हर किसी को इस मौके पर बकरे की कुर्बानी देनी ही होती है। इंसानियत के नाते आप अपना समय और धन भी कुर्बान कर सकते हैं।

-बकरीद मे जानवरों को देखा जाता हैं। दरअसल, ऐसे जानवर की कुर्बानी नहीं दी जा सकती जिसमें कोई शारीरिक बीमारी या भैंगापन हो, सींग या कान का अधिकतर भाग टूटा हो या जो शारीरिक तौर से बीमार हो। बहुत छोटे पशु की भी बलि भी नहीं दी जा सकती। कम-से-कम उसे दो दांत यानि एक साल या फिर चार दांत का होना चाहिए।

-आपको बता दें कुरान में कहा गया है कि अल्लाह के पास हड्डियां, मांस और खून नहीं पहुंचता है। बल्कि पहुंचती है तो खुशु यानी देने का जज्बा। इसलिए बकरीद में बकरे की कुर्बानी महज आपकी कुर्बानी का प्रतीक मात्र है।

-जानकारी के लिए बता दें कुर्बानी ईद की नमाज के बाद की जाती है, इससे पहले कुर्बानी नहीं दी जा सकती। कुर्बानी के बाद मांस के तीन हिस्से होते हैं। एक खुद के इस्तेमाल के लिए, दूसरा गरीबों के लिए और तीसरा रिश्तेदारों के लिए।

-फुका में कुर्बानी का एक बड़ा नियम यह है कि जिनके पास 613 से 614 ग्राम चांदी हो यानी आज के हिसाब से इतनी चांदी की कीमत के बराबर जिनके पास धन हो उस पर कुर्बानी फर्ज है यानी उसे कुर्बानी देनी चाहिए।

-कुर्बानी देने वाले के ऊपर उस समय कर्ज नहीं होना चाहिए साथ ही उसके पास उस समय यह धन उपलब्ध होना चाहिए चाहे वह फिक्स डिपॉजिट ही क्यों न हो।