नई दिल्ली। केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने ईट राइट इंडिया मूवमेंट के विजन 2050 को हासिल करने के लिए सरकार का दृष्टिकोण बनाने के उद्देश्य से भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण और विभिन्न मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ अंतर-मंत्रालय बैठक की अध्यक्षता की।
जिसके चलते केन्द्रीय मंत्री ने इस तथ्य को महसूस किया कि, खानपान से होने वाली बीमारियों से भारत में आर्थिक लागत का अनुमान 15 बिलियन डॉलर है। बर्बादी से 21 प्रतिशत, कम वजन होने से 36 प्रतिशत, स्टंटिंग से 38 प्रतिशत बच्चों में आम बीमारियां होती हैं, लेकिन, 50 प्रतिशत महिलाएं और बच्चे एनीमिया से ग्रस्त होते हैं। बता दे कि, 2005 से 2015 के दशक में मोटापे का रोग 9.3 प्रतिशत से 18.6 प्रतिशत होकर पुरूषों में दोगुना हो गया है।
वही दूसरी ओर, महिलाओं में 12.6 प्रतिशत से बढ़कर 20.7 प्रतिशत हो गया है। इसी कड़ी में गैर-संचारी रोगों से होने वाली मौतों में भी वृद्धि हुई है। साथ ही खाद्य संरक्षा से पोषण संरक्षा की दिशा में आगे बढऩे के लिए संबंधित मंत्रालयों से अपेक्षा की जाती है कि वे मिलकर एक साझा प्लेटफॉर्म बनाएं, साझा लक्ष्य और रणनीति तय करें तथा अपनी कार्रवाइयों में समन्वय बनाएं।
डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा कि, ‘ईट राइट इंडिया’ और ‘फिट इंडिया’ मूवमेंट देश के स्वास्थ्य क्षेत्र में गेम चेंजर साबित होगा। हम सभी को आने वाले 10 वर्षों में इसके परिणाम दिखने लगेंगे। प्रणाली आधारित दृष्टिकोण सुरक्षित उपलब्धता के साथ खाद्य संरक्षा तथा सतत प्रक्रियाओं के माध्यम से पर्यावरण का ध्यान रखते हुए स्वस्थ खानपान को बढ़ावा देना सुनिश्चित कर सकेगा।
इस बात की सराहना करते हुए कि भारत की 1.3 बिलियन जनसंख्या खाद्य संरक्षा से पोषण संरक्षा की दृष्टिकोण के लिए महत्वपूर्ण लघु पोषक तत्वों के लिए सिफारिश किए गए डायट्री एलाउंस की परवाह नहीं करती। डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि, विभिन्न मंत्रालय प्राथमिक उत्पादन, खाद्य प्रसंस्करण, बर्बादी और सफाई तथा खपत के बारे में इनके विनियमन के लिए महत्वपूर्ण हस्तक्षेप कर सकते हैं। तभी ‘ईट राइट इंडियाÓ सही मायने में एक आंदोलन बनेगा। उन्होंने कहा कि, विभिन्न मंत्रालय के प्रतिनिधियों ने आंदोलन के लक्ष्यों के साथ सम्मिलन के महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर अपनी कार्यवाही और विचार रखे।