कोरोना के दौरान किसान आंदोलन को लेकर SC ने जताई चिंता, दिया तबलीग़ी जमात का उदाहरण

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नई दिल्ली। देश में कोरोना वायरस का कहर अभी भी थमा नहीं है, इसी के बीच राष्ट्रीय राजधानी में कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन भी चरम पर है। जिसके चलते अब सुप्रीम कोर्ट ने इस सन्दर्भ में अपनी चिंता जाहिर करते हुए कहा कि, बड़े पैमाने पर होने वाले जमावड़े को लेकर सरकार को विशेष दिशानिर्देश जारी करने चाहिए। साथ ही कोर्ट ने मार्च के महीने में तबलीगी मरकज में लोगों के जमा होने से बीमारी फैलने का उदाहरण भी दिया।

दरअसल, चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े, ए एस बोपन्ना और वी रामासुब्रमण्यम की बेंच उस मामले की सुनवाई कर रही थी, जिसमें तबलीगी मरकज में बड़े पैमाने पर लोगों के जमा होने की जांच की मांग की गई है। साथ ही इस याचिका में कहा गया कि, दिल्ली सरकार, केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस के अधिकारियों की भूमिका की जांच की जानी चाहिए। यह भी देखा जाना चाहिए कि, निजामुद्दीन जैसे व्यस्त इलाके में नियमों के विरुद्ध इतनी विशाल इमारत का निर्माण किन अधिकारियों की गलती से हुआ। लापरवाही बरतने वाले मौलाना साद समेत दूसरे लोगों की भूमिका भी जांच की जानी चाहिए।

आज कोर्ट ने मामले में नोटिस जारी किया और सरकार से घटना पर ब्यौरा देने के लिए कहा। इस दौरान टिप्पणी करते हुए बेंच के अध्यक्ष चीफ जस्टिस ने कहा कि, “क्या दिल्ली की सीमा पर जमा किसानों को कोरोना से कोई विशेष सुरक्षा हासिल है?” केंद्र सरकार की तरफ से पेश सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि, “नहीं, ऐसा बिल्कुल नहीं है।”

इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि, “हमें नहीं लगता कि आंदोलन कर रहे लोग कोरोना को लेकर कोई विशेष सावधानी बरत रहे हैं। समस्या का समाधान ढूंढने की कोशिश करनी चाहिए। इस तरह से बड़े पैमाने पर लोगों का जमा होना वैसी ही स्थिति को जन्म दे सकता है, जैसा तबलीगी मरकज में हुआ था। केंद्र सरकार को लोगों के जमा होने के मसले पर दिशा निर्देश जारी खास दिशानिर्देश जारी करना चाहिए।”

वही याचिकाकर्ता के वकील ने सरकार की तरफ से मामले में अब तक दाखिल जवाब पर असंतोष जताते हुए कहा कि, “सरकार ने मौलाना साद को लेकर कोई जानकारी नहीं दी है। ऐसा लगता है कि दिल्ली पुलिस मौलाना साद का अब तक पता ही नहीं लगा पाई है।” इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि, “आप एक व्यक्ति के पीछे क्यों पढ़ना चाहते हैं? हम मूल समस्या के समाधान की बात कर रहे हैं। लेकिन आपका मकसद विवाद खड़ा करना लगता है।”

साथ ही सुनवाई के आखिर में कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल से पूरे मामले पर 2 हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा।