इंदौर। पहले के मुकाबले हमारे खान-पान का पैटर्न बदल गया है हमने वेस्टर्न कंट्री के हिसाब से खानपान शुरू कर दिया है। इस वजह से कब्जियत के पेशेंट बहुत ज्यादा बढ़ते जा रहे हैं जिसमें फास्ट फूड, जंक फूड, मैदा, कोल्ड ड्रिंक, कुरकुरे, नमकीन, ऑइली फूड और अन्य आइटम की वजह से पेट की समस्या बढ़ती जा रही है। इस प्रकार का खानपान हमारे डाइजेशन सिस्टम को स्लो कर देता है। कब्जियत की समस्या से निपटने के लिए बच्चों की डाइट सही अनुपात में होनी चाहिए जिसमें फाइबर, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, सैलेड, वेजिटेबल, फ्रूट, ड्राई फ्रूट में किशमिश, अंजीर, खजूर और अन्य चीजें शामिल होनी चाहिए जिस वजह से बेहतर डाइजेशन हो सकें।
बात अगर एज की करी जाए तो 2 साल से लेकर 18 साल तक के बच्चों में इस प्रकार की समस्या देखने को मिल रही है। कई बार या समस्या समस्या जेनेटिक रूप से भी दिखाई देती है लेकिन सबसे ज्यादा खानपान की वजह से होती है। वही हमारी लाइफ स्टाइल फास्ट होने की वजह से बच्चे बहुत ज्यादा जल्दबाजी में होते हैं बच्चों द्वारा मोशन में सही समय नहीं देने से भी यह समस्या सामने आती है यह बात डॉ सुमित कुमार सिंह ने अपने साक्षात्कार के दौरान कही वह शहर के प्रतिष्ठित मेदांता और चोइथराम हॉस्पिटल में पीडियाट्रिक गेस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं ।
सवाल. क्या लोगों में पीडियाट्रिक गेस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट को लेकर जागरूकता बढ़ी है बच्चों में किस प्रकार की गैस्ट्रो से संबंधित समस्या होती है
जवाब.वर्तमान समय में लोगों में चाइल्ड गेस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट को लेकर इतनी जागरुकता नहीं है कई बार लोग बच्चों पेट से संबंधित समस्या होने पर या तो पीडियाट्रिक सर्जन को दिखाते हैं या फिर गेस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट को दिखाते हैं लोगों में इस बात की जानकारी बहुत कम है कि पीडियाट्रिक गेस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट भी होते हैं जो सिर्फ बच्चों की पेट से संबंधित समस्या के बारे में डील करते हैं पिछले 10 सालों में इस फील्ड की ओर लोगों का रुझान बढ़ा है। अगर मैं अपनी बात करूं तो मध्यप्रदेश में मैं में अकेला पीडियाट्रिक गेस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट हूं जो अपनी सेवाएं दे रहा हूं। आज के दौर में आमतौर पर बच्चों में कब्जियत, पाचन क्रिया से संबंधित समस्या, लैट्रिन में खून आना, लीवर से संबंधित समस्या, बार-बार पीलिया होना, पेट में पानी भरना, लैट्रिन के रास्ते खून आना जैसी समस्या बढ़ती हुई दिखाई दे रही है। ऐसे में इन समस्याओं से ठीक करने के लिए पीडियाट्रिक गैस्ट्रो की जरूरत होती है जो इसे अच्छे से समझ कर डील कर सके।
सवाल. आजकल बच्चों में सीलिएक रोग भी काफी ज्यादा देखने को मिल रहा है यह कैसे होता है, इसके लक्षण क्या है
जवाब. बच्चों में आजकल सीलिएक रोग की समस्या भी देखने को बहुत ज्यादा मिल रही है इसे आम भाषा में एक एलर्जी कहा जाता है इस समस्या में बच्चों को गेहूं और गेहूं से बनी चीजों को खाने पर एलर्जी सामने आती है जिसमें गेहूं से बने पदार्थ खाने पर आंतों में सूजन देखने को मिलती है। मेडिकल टर्म में अगर इसे समझे तो गेहूं में मौजूद प्रोटीन के अगेंस्ट हमारा शरीर एंटीबॉडी बनाना स्टार्ट कर देता है।जिस वजह से बच्चे की हाइट नहीं बढ़ना, वजन का कम होना, पेट दर्द, खून की कमी, कुपोषण जैसी समस्या बच्चों में देखने को मिलती है आमतौर पर यह समस्या 2 साल से लेकर 6 साल तक के बच्चों में दिखाई देती है और सही समय पर इलाज न करने पर यह आगे कंटिन्यू रहती हैं। इसकी जांच करने के पश्चात एंडोस्कोपी की मदद से इस बीमारी का पता लगाया जा सकता है और इसे पूरी तरह ट्रीट किया जा सकता है।
सवाल. क्या हमारे बदलते खानपान और अन्य कारणों से बच्चों में लिवर से संबंधित समस्या देखने को मिल रही है
जवाब. बदलते खानपान और अन्य कारणों से बच्चों में लिवर से संबंधित समस्या भी देखने को मिल रही है जिसमें ज्यादातर समस्याएं अनुवांशिक रूप से सामने आती है। लिवर से संबंधित सामने आने वाली लिवर सिरोसिस बीमारी जब बच्चे को अपना शिकार बनाती है तो इसमें पीलिया होना, पेट में पानी भरना, उल्टी होना शामिल है कई बार बच्चों में यह बीमारी इतने खतरनाक रूप से दिखाई देती है कि बच्चों की जान तक चली जाती है। यह इंफेक्शन के कारण गंदा आहार लेने की वजह से भी होती है इसे सही समय पर ट्रीट किया जा सकता है वही कई बार यह जेनेटिक रूप से देखने को सामने आती है इसे अगर सही समय पर ट्रीट नहीं किया जाए तो यह जानलेवा साबित होती है। बच्चों में लिवर से संबंधित समस्या होने पर उन्हें आमतौर पर अपने खानपान में प्रोटीन की मात्रा बढ़ाने और नमक की मात्रा कम करने की सलाह देते हैं। पहले के मुकाबले टेक्नोलॉजी में बहुत ज्यादा बदलाव आए हैं इस वजह से बच्चों से संबंधित सर्जरी और बीमारियों की जांच कर इसका इलाज करना आसान हो गया है
सवाल. आपने अपनी मेडिकल फील्ड की पढ़ाई किस क्षेत्र में और कहां से कंप्लीट की है
जवाब. मैंने अपनी एमबीबीएस और एमडी पीडियाट्रिक की पढ़ाई किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज लखनऊ से पूरी की है। उसके बाद मैंने डीएम पीडियाट्रिक गैस्ट्रो में संजय गांधी पीजीआई लखनऊ से पूरा किया। इसी के साथ मैंने देश के कई प्रतिष्ठित हॉस्पिटल में फैलोशिप प्रोग्राम, ट्रेंनिंग और रिसर्च पेपर प्रोग्राम में हिस्सा लिया है।
पढ़ाई पूरी होने के पश्चात मैंने संजय गांधी पीजीआई में फैकल्टी के रूप में अपनी सेवाएं दी। अभी वर्तमान में शहर के प्रतिष्ठित चोइथराम और मेदांता हॉस्पिटल में अपनी सेवाएं दे रहा हूं। इसी के साथ विजयनगर में चाइल्ड गैस्ट्रो के नाम से मैं अपना क्लीनिक भी संचालित करता हूं।