इंदौर : वर्तमान समय में कैल्शियम और विटामिन डिफिशिएंसी पेशेंट में बहुत ज्यादा देखी जा रही है। कॉविड के बाद से हमारी लाइफस्टाइल सिडेंट्री हो गई है। वही भागदौड़ भी ज्यादा हो गई है साथ ही पहले के मुकाबले आजकल व्यायाम, बच्चों का खेल कूद और अन्य एक्टिविटी कम हो गई है इस वजह से हड्डियों से संबंधित समस्या देखी जा रही है। वहीं हमारे खानपान में भी अब कैल्शियम और विटामिन के प्रोडक्ट बहुत कम हो गए हैं। इन सब चीजों के चलते लोगों में बदन दर्द, कमर दर्द, थकान होने जैसी समस्या सामने आ रही है।इसी के साथ कोरोना के बाद से लोगों में ए वेस्कुलर नैक्रोसिस जैसी समस्या देखने को सामने आ रही है इसका एक कारण स्टेरॉयड का ज्यादा इस्तेमाल भी है वही ऐसे भी कई पेशेंट है जिन्होंने स्टेरॉयड का इस्तेमाल नहीं किया था उनमें भी इस प्रकार की समस्या सामने आ रही हैं। यह बात डॉक्टर आनंद अजमेरा ने अपने साक्षात्कार के दौरान कही वह शहर के प्रतिष्ठित एमजीएम मेडिकल कॉलेज एंड एमवायएच हॉस्पिटल में हेड ऑफ डिपार्टमेंट ऑर्थोपेडिक के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
सवाल : बोन मास क्या है इसकी कमी के चलते किस प्रकार की समस्या होती है
जवाब : अगर बात बोन मास की कि जाए तो यह एक बैंक की तरह होता है जिसमें हम आने वाले समय में हड्डियों की मजबूती के लिए इसे जमा करते हैं। इसके लिए हमें अच्छी डाइट, सन एक्स्पोज़र, व्यायाम इन सब चीजों की जरूरत होती है आमतौर पर यह 25 साल तक ही बढ़ता है उसके बाद यह रुक जाता है। इसे आसान भाषा में हड्डियों का घनत्व कहा जाता है।अगर इस पर शुरुआती समय में ध्यान नहीं दिया तो आगे चलकर लोगों में ऑस्टियोपोरोसिस और अन्य प्रकार की समस्या देखने को सामने आती है। जिसके बाद बॉन्स में डेंसिटी नेचुरल वे में कम होना शुरू हो जाता है वही यह महिलाओं में मेनोपॉज के दौरान और पुरुषों में 60 साल की उम्र के बाद बहुत तेजी से कम हो जाती है। इसके चलते फ्रैक्चर का रिस्क बढ़ जाता हैं।
सवाल : हड्डियों से संबंधित समस्या बच्चों में किस प्रकार देखने को सामने आ रही है
जवाब : कई बच्चों में जन्मजात अन्य प्रकार कि अनुवांशिक विकृतियां होती है जिनको हम ठीक करते हैं। इसी के साथ बच्चों के फ्रैक्चर से संबंधित समस्या भी हम देखते हैं अगर बात बच्चों और बड़ों की कि जाए तो बच्चों की हड्डियों से संबंधित समस्या को डील करने के लिए बहुत ज्यादा ध्यान रखना होता है क्योंकि उनकी हड्डियां ग्रोइंग होती है वहीं बच्चे की जितनी कम उम्र होती है उतनी ही ऑपरेशन की जरूरत कम होती है। साथ ही बच्चों की हड्डियां बड़ों के मुकाबले जल्दी जुड़ती है। वर्तमान समय में मिडिल एज के बच्चों में बैक पेन, नेक पेन और हड्डियों से संबंधित अन्य समस्या देखने को सामने आती है। इसके कारणों की अगर बात की जाए तो व्यायाम की कमी, पढ़ाई के दौरान घंटों सीटिंग करना भी उसका एक मुख्य कारण है। वही हमारी बदलती लाइफस्टाइल में खानपान की वजह से भी बच्चों की हड्डियों से संबंधित समस्या देखने को सामने आती है। स्वस्थ हड्डियों के लिए खानपान में कैल्शियम और विटामिन से भरपूर चीजों को शामिल करना जरूरी है साथ ही कम से कम 45 मिनट किसी भी खेल को देना हड्डियों के साथ-साथ हमारे स्वास्थ्य के लिए जरूरी है
सवाल : इलिजारोव पद्धति क्या है इसकी मदद से किस प्रकार ट्रीटमेंट किया जाता है
जवाब : कई बार एक्सिडेंट और अन्य कारणों से जब हड्डी टूट जाती है तो ट्रीटमेंट के दौरान पेशेंट के फ्रैक्चर वाली जगह पर रॉड या प्लेट डाली जाती है। वहीं कई बार रॉड डालने के बाद सही ध्यान नहीं देने पर अन्य कारणों से हड्डियों में समस्या देखी जाती है जिसमें हड्डी का नहीं जुड़ना, हड्डी के आसपास वाली जगह पर इन्फेक्शन हो जाना शामिल है। ऐसी परिस्थिति में इलिजारोव पद्धति से इसे ठीक किया जाता है। इसे ठीक करने के लिए इलिजारोव सर्जरी में हड्डियों को तारों से बांधकर इसे ठीक किया जाता है। कई बार लोग समय पर ट्रीटमेंट नहीं लेते हैं और अन्य कारणों के चलते यह समस्या सामने आती है। हड्डियों के गलत जुड़ने के लक्षण की अगर बात की जाए तो सामान्य रूप से पैर की लंबाई का कम या ज्यादा होना वही एंगल का गलत होना शामिल है जिससे चलने में समस्या होती है। वही बात अगर हाथों की हड्डियों की करी जाए तो इसमें सामान्य रूप से पता नहीं चलता है लेकिन इसके लक्षण में हाथ का तिरछा, टेड़ा दिखना शामिल हैं। हड्डियों में इस प्रकार की समस्या उन पेशेंट में ज्यादा देखी जाती है जो स्मोकिंग और तंबाकू का सेवन करते हैं। हेल्दी डाइट और बेहतरीन इम्यूनिटी हड्डी के जुड़ने में बहुत ज्यादा मददगार होती है।
सवाल : जनरल सर्जरी में किस प्रकार की समस्या सामने आती हैं
जवाब : जनरल सर्जरी में हमारे पास कई प्रकार के केस आते हैं वही सबसे ज्यादा कॉमन पैर से संबंधित इंजरी के केस होते हैं। इनके कारणों की बात की जाए तो ज्यादातर केस एक्सीडेंटल होते हैं। आजकल हाईवे और स्पीड वाहनों पर चलने के दौरान लोग सेफ्टी का इस्तेमाल नहीं करते हैं इस वजह से कई बार मल्टीपल इंजरी के कैस सामने आते हैं।
सवाल : आपने अपनी मेडिकल फिल्ड की शिक्षा किस क्षेत्र में और कहां से पूरी की है
जवाब : में शुरू से इंदौर में ही रहा हूं मैंने अपनी एमबीबीएस और एमएस ऑर्थोपेडिक की पढ़ाई शहर के प्रतिष्ठित एमजीएम मेडिकल कॉलेज से कंप्लीट की। मैंने इंडियन ऑर्थोपेडिक सोसाइटी यूके मैं फैलोशिप प्रोग्राम में हिस्सा लिया इसी के साथ देश के अन्य संस्थानों में फैलोशिप और ट्रेनिंग प्रोग्राम में हिस्सा लेकर इस फील्ड में दक्षता हासिल की। मैंने देश के कई अस्पतालों के साथ इंदौर के चोइथराम हॉस्पिटल में अपनी सेवाएं दी है वहीं वर्तमान में मैं पिछले 21 सालों से एमजीएम मेडिकल कॉलेज में कंसलटेंट एंड हेड ऑफ डिपार्टमेंट ऑर्थोपेडिक सर्जन के रूप में अपनी सेवाएं दे रहा हूं।
सवाल : आपने अपनी मेडिकल फिल्ड की शिक्षा किस क्षेत्र में और कहां से पूरी की है
जवाब : मैं शुरू से इंदौर में ही रहा हूं मैंने अपनी एमबीबीएस और एमएस ऑर्थोपेडिक की पढ़ाई शहर के प्रतिष्ठित एमजीएम मेडिकल कॉलेज से कंप्लीट की। मैंने इंडियन ऑर्थोपेडिक सोसाइटी यूके मैं फैलोशिप प्रोग्राम में हिस्सा लिया इसी के साथ देश के अन्य संस्थानों में फैलोशिप और ट्रेनिंग प्रोग्राम में हिस्सा लेकर इस फील्ड में दक्षता हासिल की। मुझे एमबीबीएस और एमएस के दौरान गोल्ड मेडल से भी नवाजा गया है। वही पौराणिक एकेडमी द्वारा बेस्ट पेपर पब्लिकेशन अवार्ड मुझे दिया गया है।मैंने देश के कई अस्पतालों के साथ इंदौर के चोइथराम हॉस्पिटल में अपनी सेवाएं दी है वहीं वर्तमान में मैं पिछले 21 सालों से एमजीएम मेडिकल कॉलेज में कंसलटेंट एंड हेड ऑफ डिपार्टमेंट ऑर्थोपेडिक सर्जन के रूप में अपनी सेवाएं दे रहा हूं।