हाई स्पीड की वजह से रोड़ दुर्घटनाओं में बढ़े हेड इंजरी के केस, कई बार होते है जानलेवा साबित : डॉ अभिषेक सोनगरा, शेल्बी अस्पताल

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इंदौर : पहले के मुकाबले वाहनों की हाई स्पीड की वजह से ट्रॉमा के केस में काफी इजाफा हुआ है। इसमें सबसे ज्यादा जानलेवा हेड इंजरी होती है। अगर बात एक्सीडेंट के बाद होने वाली चोट की करी जाए तो सबसे ज्यादा सेंट्रल हेड की इंजरी के केस ज्यादा होते है। इसी के साथ कई बार हाई स्पीड या अन्य कारणों से सिर के दूसरे हिस्सों में भी चोट देखने को मिलती है। जो कई बार समय पर अस्पताल नहीं पहुंचने पर जानलेवा साबित होती है। ऐसा भी देखने में आता है कि कई बार खतरनाक चोट लगने के बाद भी कई पेशेंट बच जाते हैं वहीं छोटी चोट में भी कई लोगों की जान चली जाती हैं। यह बात डॉ. अभिषेक सोनगरा ने अपने साक्षात्कार के दौरान कही वह शहर के प्रतिष्ठित शेल्बी हॉस्पिटल में न्यूरोसर्जन के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

सवाल : दुर्घटना होने और सिर में चोट लगने पर पैशेंट कितने दिनों में ठीक होता है

जवाब : आमतौर पर देखने मैं आता है कि कई बार सिर में चोट लगने पर पेशेंट बोल और समझ नही पाता है। वहीं कई बार चोट लगने और दिमाग में सुजन होने की स्थिति में कोमा के चांस बढ़ जाते हैं। दुर्घटना के बाद सही समय पर ऑपरेशन या इलाज़ होने पर कई मरीजों में धीरे धीरे रिकवरी होती है तो कई बार पेशेंट लंबे समय तक बिस्तर पर ही रहते हैं। पेशेंट के ठीक होने की स्थिति इस बात पर निर्भर करती है कि इंजरी कितनी गहरी है। जितनी गहरी चोट सिर के हिस्से में होगी उतना ही समय पेशेंट को ठीक होने में लगता है।

सवाल : क्या दुर्घटना के बाद खून निकलने से पेशेंट की जान बच सकती है, या यह सिर्फ भ्रांति है

जवाब : अक्सर हम यह सुनते है कि खून निकलने पर वह व्यक्ति बच गया या खून नहीं निकलने पर किसी व्यक्ति की जान चली गई। यह पूरी तरह से भ्रांति है जब सर के बाहरी हिस्से में चोट लगती है तो खून बह जाता है वहीं सर के अंदर दिमाग में चोट लगने पर खून नही निकल पाता है क्योंकि दिमाग की झिल्ली बड़ी होती है इस वजह से ब्लड नहीं निकल पाता है। पेशेंट की कंडीशन चोट पर निर्भर करती है ना कि ब्लड के निकलने या ना निकलने पर। पेशेंट को सही समय पर अस्पताल ले जाने और सही समय पर उसका इलाज़ होने से खतरा कम हो जाता है, जिस वजह से पेशेंट का इलाज कर ठीक होने के चांस भी बढ़ जाते हैं। वहीं टाइम पर सर्जरी होने से दिमाग को डेमेज होने के चांस कम हो जाते हैं। कई बार डीप ट्रॉमा होने से मरीज़ कोमा की स्थिति में चला जाता है। और पेशेंट रिस्पॉन्स नहीं करता है। मेडिकल भाषा में इसे स्कोरिंग कहा जाता है। जिसमे आई रिस्पॉन्स, वर्बल रिस्पॉन्स और मोटर रिस्पॉन्स शामिल है।

सवाल : क्या कार के मुकाबले बाइक की दुर्घटनाओं में ज्यादा खतरा रहता है।

जवाब : अगर बात कार और बाइक एक्सीडेंट की करी जाए तो बाइक एक्सीडेंट के केस ज्यादा सीरियस होते हैं। बाइक में टक्कर होने पर बॉडी का मूवमेंट ज्यादा होता है वहीं कार में सीट बेल्ट की वजह से यह काफी हद तक कम होता है। कई बार बाइक पर हेलमेट और कार में सीट बेल्ट नहीं लगाने से लोगों में गंभीर चोट देखने को मिलती है जिसमें कई बार पेशेंट की जान भी चली जाती है। वहीं कई बार अच्छी क्वालिटी का हेलमेट नहीं होने की वजह से भी गंभीर चोट देखने को मिलती है। आमतौर पर ऐसा भी देखने को मिलता है कि पेशेंट को शरीर के अन्य हिस्सों में गंभीर चोट लगती है लेकिन अच्छे हेलमेट की वजह से सर काफी हद तक बच जाता है।

सवाल :आपके पास पेशेंट आते है तो उनकी दुर्घटना की वजह क्या होती है, क्या रॉन्ग साइड गाड़ी चलाने से भी दुर्घटना बढ़ रही है

जवाब : आजकल रॉन्ग साइड गाड़िया चलाने से भी दुर्घटनाओं में इजाफा हुआ है। जब पेशेंट इलाज के लिए आते हैं तो अक्सर यह कहते हैं कि रॉन्ग साइड गाड़ी आने से टक्कर हो गई। वहीं कई बार ट्रैफिक नियमों का पालन ना करने से भी दुर्घटननाएं देखने को मिलती है। हमें इन दुर्घटनाओं को कम करने के लिए ट्रैफिक नियम, हेलमेट, सीट बेल्ट, नियमित स्पीड और अन्य चीजों के प्रति जागरूकता लाना होगा ताकि आने वाले दिनों में इस प्रकार के एक्सीडेंट के केस कम हो। वहीं हमें सीट बेल्ट और हेलमेट को अनिवार्य रूप से इस्तेमाल करना होगा। क्योंकि कई बार हेलमेट और सीट बेल्ट की वजह से बड़ी दुर्घटनाएं टल जाती है।

सवाल : आपने अपनी एमबीबीएस और मेडिकल फील्ड के क्षेत्र में अन्य पढ़ाई कहां से पूरी की है

जवाब : मैने अपनी एमबीबीएस की पढ़ाई एमजीएम मेडिकल कॉलेज इंदौर से पूरी की इसके बाद एमएस की पढ़ाई जीआरएमसी मेडिकल कॉलेज ग्वालियर से पूरी की। वहीं एमसीएच की पढ़ाई अरबिंदो मेडिकल कॉलेज से पूर्ण की है। मेडिकल फील्ड में पढ़ाई पूर्ण होने के बाद मैने शहर के सीएचएल अपोलो हॉस्पिटल, अरबिंदो हॉस्पिटल में अपनी सेवाएं दी है। अभी वर्तमान में शहर के पतिष्ठित शेल्बी हॉस्पिटल में अपनी सेवाएं दे रहा हूं।