इंदौर. आज से 15 साल पहले जब हम ट्रेनिंग लेते थे उस दौरान मुंह और गले के कैंसर की समस्या 50 साल तक की उम्र के लोगों में देखने को मिलती थी। लेकिन पिछले कुछ समय में हम यह देख रहे हैं कि पहले के मुकाबले अब 30 साल की उम्र से ही इस समस्या से पीड़ित व्यक्ति हमारे पास आ बहुत ज्यादा आ रहे हैं। आज के दौर में नई जनरेशन में शराब और तंबाकू का सेवन बहुत ज्यादा मात्रा में बढ़ रहा है। युवा पहले पान मसाला से शुरुआत करते हैं और धीरे-धीरे गुटखा, और अन्य चीजों के सेवन का इस्तेमाल शुरू कर देते हैं। वही शराब और सिगरेट पीना आज के जमाने में फैशन हो गया है पहले के मुकाबले महिलाएं और युवा शराब और सिगरेट का सेवन ज्यादा करते है। जो इस तरह की बीमारी को बढ़ावा देता है।लोगों में अब कैंसर की बीमारी को लेकर जागरूकता भी बड़ी है वही टेक्नोलॉजी में भी पहले के मुकाबले और ज्यादा इंप्रूवमेंट हुआ है।
यह बात डॉ. अपूर्व गर्ग ने अपने साक्षात्कार के दौरान कहीं वह शहर के प्रतिष्ठित विशेष जुपिटर हॉस्पिटल में हेड एंड नेक कैंसर सर्जन के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
सवाल. मुंह का कैंसर किस वजह से होता है इसके लक्षण क्या है
जवाब. अगर बात मुंह में होने वाले कैंसर की करी जाए तो 90% लोगों में यह बुरी आदतों के चलते पाया जाता है। जिसमें तंबाकू, पान मसाला, सुपारी, गुटका, बीड़ी, सिगरेट, शराब शामिल है वहीं कई बार दांतो का नुकीला पन होने की वजह से भी जीव और मुंह के अन्य हिस्सों को चोट लगने से इसके होने के केस देखने को मिलते हैं लेकिन यह बहुत कम मात्रा में होते हैं। इन सब समस्याओं में सबसे ज्यादा केस की वजह तंबाकू का सेवन होता है। हमारे देश में 16 साल की उम्र में 27 से 30 परसेंट युवा किसी न किसी रूप में तंबाकू का सेवन करते हैं इसके सेवन से कैंसर की समस्या तो सामने आती है वही इसके इस्तेमाल से कई और अन्य बीमारियां भी देखने को मिलती है। मुंह के कैंसर के शुरुआती लक्षण की अगर बात की जाए तो इसमें मुंह का नहीं खुलना या कम खुलना, लाल या सफेद धब्बे दिखाई देना, ठीक नहीं होने वाले छाले, दातों का ढीला होना इसके लक्षण होते हैं।
सवाल. गले का कैंसर क्या है यह किस वजह से होता है क्या पहली स्टेज में इसका ट्रीटमेंट करने पर यह समस्या खत्म हो जाती है
जवाब. गले का कैंसर धूम्रपान और बुरी आदतों के चलते होता है। इन सब चीजों का सेवन करने की वजह से उस जगह के सेल्स लगातार इन चीजों के संपर्क में आते रहते हैं इस वजह से कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है बढ़ जाती है। इसके शुरुआती लक्षण की अगर बात की जाए तो खाना निगलने में दर्द होना, सांस लेने में आवाज आना शामिल है। शुरुआत में ही अगर इसका ट्रीटमेंट कर दिया जाए तो पेशेंट को दोबारा यह समस्या होने के 10 से 15% चांस ही रह जाते हैं वही इसमें देरी होने पर चौथी या पांचवी स्टेज पर ट्रीटमेंट करने पर 60 से 70% दोबारा कैंसर होने के चांस बने रहते हैं। स्टेज वन और स्टेज टू में अगर इसका ट्रीटमेंट किया जाता है तो सिर्फ सर्जरी की मदद से इसे ठीक किया जा सकता है वहीं इस इसे स्टेज 3 और 4 में सर्जरी के साथ-साथ कीमोथेरेपी और रेडियोथैरेपी भी देने की आवश्यकता पड़ती है। पहले के मुकाबले कैंसर से संबंधित ट्रीटमेंट और टेक्नोलॉजी बहुत ज्यादा फास्ट हो गई है जिससे इस बीमारी को डील करने में काफी ज्यादा आसानी होती है।
सवाल. कैंसर की समस्या खत्म होने पर क्या इसके दोबारा होने के चांस रहते हैं
जवाब. किसी व्यक्ति को बुरी आदतों के चलते अगर कैंसर हो जाता है और वह बुरी आदतें एक समय के बाद छोड़ भी दे तो उस व्यक्ति में 20 साल तक कैंसर होने की संभावना बनी रहती है। इन चीजों के इस्तेमाल से हमारे शरीर में जेनेटिक लेवल पर चेंजेस दिखाई देना शुरू हो जाते हैं। तंबाकू में निकोटिन के अलावा और भी कई केमिकल होते हैं। जिसका शरीर धीरे-धीरे आदि हो जाता है और इसे छोड़ने पर इसकी तलब शुरू हो जाती है। इसी के साथ यह केमिकल हमारे शरीर में मौजूद सेल्स में म्यूटेशन पैदा कर देते हैं। और यह म्यूटेशन आगे चलकर कैंसर का कारण बनते हैं।
सवाल. थायराइड कैंसर मैं साफ तौर पर क्या लक्षण दिखाई देते हैं
जवाब. थायराइड के कैंसर में भी पहले के मुकाबले बहुत ज्यादा बढ़त हो रही है। थायराइड कैंसर में अगर बात आंकड़ों की करी जाए तो यह महिलाओं में पुरुषों के मुकाबले ज्यादा पाए जाते हैं। वही यह 20 से 25% जेनेटिक रूप से भी पाया जाता है। इसकी शुरुआत एक छोटी सी गठान से होती है वही इसमें ज्यादातर कोई सिम्टम्स देखने को नहीं मिलते हैं कई बार ऐसे पेशेंट भी आते हैं जिनका थाइरोइड हार्मोन लेवल बिल्कुल कम होता है इसके बावजूद यह समस्या देखने को मिलती है। सेल्स मै म्युटेशन के कारण यह समस्या देखने को सामने आती है। यह दूसरे कैंसर के मुकाबले इतना जानलेवा नहीं होता है। इसमें आमतौर पर कोई लक्षण नहीं दिखाई देते हैं लेकिन गले में गठान, आवाज में बदलाव, खाना खाने में तकलीफ जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।
सवाल. आपने अपनी मेडिकल फील्ड की पढ़ाई किस क्षेत्र में और किस कॉलेज से पूरी की
जवाब. मैंने अपनी एमबीबीएस और एमएस की पढ़ाई शहर के प्रतिष्ठित एमजीएम मेडिकल कॉलेज से पूरी की इसके पश्चात मैंने हेड एंड नेक कैंसर मैं फैलोशिप टाटा हॉस्पिटल मुंबई से की है। वहां मैंने लगभग 4 साल तक काम किया और कई रिसर्च पेपर भी प्रस्तुत किए। इसी के साथ मैंने हेड एंड नेक कैंसर की ट्रेनिंग और फैलोशिप प्रोग्राम के लिए कोरिया में भी काम किया है। अपनी ट्रेनिंग खत्म होने के पश्चात मैंने नारायणा हॉस्पिटल कोलकाता, शहर के चोइथराम हॉस्पिटल मैं अपनी सेवाएं दी है अभी वर्तमान में मैं शहर के प्रतिष्ठित विशेष जूपिटर हॉस्पिटल में हेड एंड नेक कैंसर सर्जन के रूप में अपनी सेवाएं दे रहा हूं।