अपने रचना कर्म के लिए जीवन भर समर्पित रहे डॉ सुरेंद्र यादव

Mohit
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जीवन भर रचना कर्म के प्रति समर्पित रहने वाले डॉ सुरेंद्र यादव जी हमारे बीच नहीं रहे आज सुबह 7:30 बजे उनका दुखद निधन हो गया l इससे पहले उनका बायपास ऑपरेशन हुआ था जो सफल रहा लेकिन बाद में तबीयत बिगड़ने पर उन्हें दोबारा मेदांता हॉस्पिटल में भर्ती किया गया जहां उन्हें कोरोना हो गया था कोरोना के कारण उनके फेफड़े सिकुड़ गए थे डेढ़ महीने इलाज के बाद 20 तारीख को उनकी छुट्टी हुई थी और घर पर ही उनका इलाज चल रहा था इसी बीच आज यह दुखद खबर आ गई ।

डॉ सुरेंद्र यादव इंदौर राइटर क्लब के नियमित साथी थे पिछले 5 सालों से वे लगातार प्रति रविवार राइटर्स क्लब की बैठक में शामिल होते और इस दौरान उन्होंने अपने रचना कर्म को लेकर बहुत सी बातें भी बताई थी उनका कविता संग्रह कवि नहीं हूं मैं , भी पिछले साल प्रकाशित हुआ था इसके नाटक की एक किताब भी प्रकाशित हुई ।

डॉ सुरेंद्र यादव फेसबुक सहित अन्य सोशल मीडिया पर बेहद सक्रिय रहते थे और अपनी कविताएं अक्सर वे फेसबुक और अन्य सोशल माध्यमों में देते रहते थे देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के ईएमआरसी विभाग में विजिटिंग प्रोफेसर के तौर पर अपनी नियमित सेवाएं दे रहे थे वे कहते थे पैसा तो ज्यादा नहीं मिलता लेकिन कम से कम मेरी सक्रियता बनी रहती है और इस बहाने मेँ अपने रचना कर्म को भी जिंदा रखता हूं उन्होंने हिंदी लेखकों को लेकर एक लंबी सीरीज बनाई थी जिसका प्रसारण दूरदर्शन के चैनल पर भी हुआ था ।डॉ सुरेंद्र यादव निजी तौर पर अपनी पत्नी और बेटी के निधन के बाद अकेले ही रहने लगे थे उनका पुत्र विशाल यादव धार में रहता था डॉ सुरेंद्र यादव कहते थे कि उन्होंने जीवन में बहुत संघर्ष किया है और बहुत दुख उठाए हैं लेकिन इंदौर राइटर्स क्लब में आने के बाद वे अक्सर भावुक हो जाते थे कहते थे मुझे इतने सारे साथियों का स्नेह मिल रहा है यही मेरी कमाई है । राइटर्स क्लब के एक और साथी डॉक्टर स्वरुप बाजपेई जी पिछले साल हमारे से बिछड़ गए और उनकी पुण्यतिथि के एक दिन बाद डॉ सुरेंद्र यादव भी इस दुनिया से चले गए ।
उन्हें शत-शत नमन