राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग की सदस्य इंदौर की डॉ. दिव्या गुप्ता ने बताई आयोग की भूमिका एवं नए कदम

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इंदौर। राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) की सदस्य डॉ. दिव्या गुप्ता ने बताया कि बच्चों में रोग-प्रतिरोधक क्षमता एवं कथित बहुत तेज शरीरिक विकास को लेकर मिथ्या प्रचार करने वाले प्रोडक्ट्स के विज्ञापन पर रोक लगाने का सिलसिला शुरू हो गया है। बोर्नविटा ने अपने प्रचार से इस तरह की लाइनें आयोग की आपत्ति के बाद हटा ली हैं। कुछ अन्य प्रोडक्ट के आपत्तिजनक विज्ञापनों पर भी कार्रवाई की प्रक्रिया जारी है।

 

स्टेट प्रेस क्लब मध्यप्रदेश के कार्यक्रम ‘रूबरू’ में मीडिया से बातचीत करते हुए डॉ. गुप्ता ने बताया कि प्रधानमंत्री की मंशा अनुसार आयोग के अध्यक्ष और तीन सदस्य बेहद सक्रियता के साथ देशभर में बाल अधिकारों की सुरक्षा पर कार्य कर रहे हैं। डॉ. गुप्ता ने बताया कि आयोग की सदस्य बनने के तीन माह के भीतर वे पांच राज्यों का संघन दौरा कर चुकी हैं, जिसमें बिहार और झारखंड में बच्चों की हालत बेहद चिंताजनक पाई गई। डॉ. गुप्ता ने बताया कि बाल अधिकारों के उल्लंघन की ढेरों शिकायतें मिल रही है। आयोग इस बात के लिए प्रयास कर रहा है कि शासकीय एवं  गैर शासकीय लोगों के माध्यम से कैसे बाल शोषण, बाल मजदूरी, बाल विवाह, बाल तस्करी, भिक्षावृत्ति आदि को रोक जाए। इस कार्य के लिए ‘प्रहरी’ नामक योजना का प्रारूप तैयार किया जा रहा है।

 

– निगरानी और मूल्यांकन : आयोग राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर बाल अधिकार कानूनों, नीतियों और कार्यक्रमों के कार्यान्वयन पर नजऱ रख रहा है। यह विभिन्न पहलों के प्रभाव का मूल्यांकन करने के साथ सुधार के लिए आवश्यक उपायों की सिफारिश कर रहा है।

– नीति विकास : एनसीपीसीआर बाल कल्याण के लिए नीतियों, योजनाओं और कार्यक्रमों के तैयारी में सक्रिय योगदान दे रहा है। यह विशेषज्ञ मार्गदर्शन प्रदान करके ऐसा वातावरण बनाने में मदद कर रहा है जो बच्चों के विकास और प्रगति को उपयोगी है।

– शोध और प्रचार : शोध और विश्लेषण के माध्यम से एनसीपीसीआर बाल अधिकार से संबंधित मुद्दों पर महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त कर रहा है। यह अध्ययन, सर्वेक्षण और शोध परियोजनाएं आयोग को चुनौतियों को उजागर करने और आवश्यक सुधारों की अपेक्षा करने में मदद कर रही है।

– शिकायत निवारण : एनसीपीसीआर व्यक्ति, संगठन और नागरिकों के लिए बाल अधिकारों के उल्लंघन की सूचना देने के लिए मंच के रूप में कार्य कर रहा है। यह बाल शोषण, बाल मजदूरी, बाल विवाह, बाल तस्करी और अन्य तरह के बाल अधिकारों के उल्लंघन से संबंधित शिकायतों को प्राप्त, प्रसंस्करण और समाधान में जुटा है।

– टोल-फ्री हेल्पलाइन : एनसीपीसीआर द्वारा एक विशेष टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर (हेल्पलाइन नंबर) चला गया है जहां व्यक्ति बाल अधिकार के उल्लंघन की रिपोर्ट कर मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते हैं और समर्थन प्राप्त कर सकते हैं।

– ऑनलाइन शिकायत पोर्टल : आयोग एक ऑनलाइन शिकायत पोर्टल (वेबसाइट क्ररु) बनाए रखता है, जिसमें नागरिक सुरक्षित रूप से शिकायत और संबंधित जानकारी सब्मिट कर सकते हैं। पोर्टल शिकायतकर्ताओं की गोपनीयता सुनिश्चित करता है।

– एनसीपीसीआर सुनिश्चित कर रहा है कि हर शिकायत को गंभीरता से संज्ञान में लिया जाए और तत्परता से जांच की जाएगी। आयोग शासकीय अधिकारियों के साथ मिलकर बच्चों को उल्लंघन के प्रभावों से प्रभावित करने के लिए त्वरित कार्रवाई करेगा।

प्रारंभ में स्टेट प्रेस क्लब अध्यक्ष प्रवीण कुमार खारीवाल, संजीव आचार्य, रचना जौहरी, कीर्ति राणा, मीणा राणा शाह, पुष्पा शर्मा, सोनाली यादव ने स्वागत किया। अंत में यशवर्धनसिंह ने आभार व्यक्त किया।