अहमदाबाद में हुई RSSDI की सालाना कॉन्फ्रेंस में डॉ भरत साबू हुए सम्मानित

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इंदौर, 16 नवंबर, 2021: कोरोना और लॉकडाउन के दौरान कई डॉक्टर्स ने अपने आप को नई तकनीक के साथ जोड़कर मरोजों को इनोवेटिव तरीके से सेवाएं प्रदान की। इसमें डायबिटीज, और खासकर इंसुलिन पर आधारित मरीजों को इनोवेटिव चिकित्सा देने के लिए शहर के डायबेटोलोजिस्ट डॉ. भरत साबू को भारत में डायबिटीज रिसर्च की सबसे बड़ी संस्था रिसर्च सोसाइटी फॉर द स्टडी ऑफ डायबिटीज इन इंडिया (आरएसएसडीआई) ने वर्ष 2021 का चैलेंजिंग टाइम्स अवार्ड प्रदान किया है।

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आरएसएसडीआई ने यह अवार्ड डायबिटीज के क्षेत्र में कठिन परिस्थितियों में कुछ नया करके मरीजों का स्वास्थ्य बेहतर करने और डायबिटीज को कंट्रोल करने के लिए दिया है। कोरोना काल में न केवल मरीजों बल्कि डॉक्टर्स को भी अपने इलाज के तरीकों में बदलाव करना पड़ा था। लॉकडाउन के दौरान सबसे ज्यादा समस्या इंसुलिन लेने वाले मरीजों को हुई, क्योंकि उन्हें सामान्य तौर पर डायबिटीज लेवल के ऊपर-नीचे होने पर अपने इंसुलिन डोज को भी नियमित रूप से बदलना पड़ता है। लॉकडाउन के दौरान डॉक्टर्स के क्लीनिक की सेवाएं भी बाधित रही। इस दौरान शहर के डायबेटोलोजिस्ट डॉ. भरत साबू ने अपने मरीजों को वाट्सएप पर आधारित इंसुलिन टेक्निक का नया प्रयोग किया।

मरीजों की डायबिटीज के लेवल को लगातार मॉनिटरिंग कर उनके इंसुलिन के डोज को भी बिना क्लीनिक पर बुलाए वाट्सएप पर ही संपर्क लगातार बदलाव कर कंट्रोल किया गया। इस काम का प्रभाव मरीज़ों के ब्लड शुगर कंट्रोल पर देखा गया और यह पाया गया की इस तकनीक से मरीज़ों को अधिक लाभ प्राप्त होता है । इस कार्य को सितम्बर में यूरोप में आयोजित यूरोपियन असोसीएशन फ़ोर स्टडी ओफ़ डायबिटीज़ के सालाना कोंफ़्रेंस में भी सराहा गया था ।

रिसर्च सोसाइटी फॉर द स्टडी ऑफ डायबिटीज इन इंडिया ने देशभर से हजारों डॉक्टर्स से कोरोनाकाल में इनोवेटिक चिकित्सा के लिए आवेदन आमंत्रित किए थे। इसके बाद देशभर से 21 डॉक्टर्स को चैलेंजिंग टाइम्स अवार्ड के लिए चुना गया। इसमें डॉ. भरत साबू भी शामिल है। संस्था के भारत में 10,000 से अधिक सदस्य हैं। उन्हें यह पुरस्कार अहमदाबाद में हुई आरएसएसडीआई की सालाना कांफ्रेस में प्रदान किया गया है। पुरस्कार के रूप में प्रशस्ति-पत्र, ट्रॉफी, गोल्ड मैडल और 25 हजार रुपए का नकद पुरस्कार दिया गया। डॉ. साबू कोरोना काल के बाद भी इस इनोवेटिव प्रैक्टिस को लगातार जारी रखे हुए हैं और इसमें टेक्निक के साथ आगे और भी बदलाव करना चाहते है ताकि मरीजों को न केवल आसानी हो बल्कि उनकी डायबिटीज भी लगातार कंट्रोल में रहे।