पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम के जनक और वैज्ञानिक डॉ. अब्दुल कादिर खान का आज निधन हो गया है। बताया जा रहा है कि उनकी उम्र 85 साल थी। डॉ खान को 26 अगस्त को रिसर्च लेबोरेटरिज हॉस्पिटल में कोविड संक्रमित होने के बाद भर्ती किया गया था। फिर उन्हें रावलपिंडी में सेना के एक अस्पताल में भर्ती किया गया था। जानकारी के मुताबिक, इससे पहले उन्हें इन्फेक्शन बढ़ने के कारण वेंटिलेटर पर रखा गया थ।
भोपाल में हुआ था जन्म –
बता दे, डॉ कादिर का जन्म अविभाजित भारत के भोपाल शहर में हुआ था। इसके बाद 1947 में विभाजन के बाद पाकिस्तान बनने पर डॉ खान पूरे परिवार के साथ पाकिस्तान आ गए थे। ऐसे तो पेशे से इंजीनियर खान एक दशक से अधिक वक्त तक परमाणु बम बनाने की तकनीक, मिसाइल बनाने के लिए यूरेनियम संवर्धन, मिसाइल में लगने वाले उपकरण और पुर्जों के व्यापार में काम कर चुके हैं।
यूरोप में सालों तक परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में पढ़ाई और काम कर चुके डॉ. खान को मिसाइल बनाने का तरीका भी आता था। उन पर आरोप था कि उन्होंने परमाणु तकनीक की जानकारी लीबिया, उत्तर कोरिया और ईरान को दीं थीं। वहीं इन देशों के परमाणु कार्यक्रम में वो एक अहम नाम बनकर उभरे। एक दौर में वह पाकिस्तान के सबसे सबसे ताकतवर व्यक्ति बन गए थे। स्कूलों की दीवारों पर उनकी तस्वीरें दिखती थीं, उनकी तस्वीरें सड़कों-गलियों में पोस्टरों पर दिखती थीं। इसके बाद उन्हें 1996 और 1999 में दो बार पाकिस्तान के सर्वोच्च नागरिक सम्मान निशान-ए-इम्तियाज से भी नवाजा गया।
तकनीक बेचने की बात स्वीकारी थी –
जानकारी के मुताबिक, डॉ. खान 2004 में वैश्विक परमाणु प्रसार स्कैंडल के केंद्र में थे। ऐसे में उन पर परमाणु मैटेरियल के प्रसार का आरोप लगा था। वहीं इसके लिए उन पर पाकिस्तान के पूर्व सैन्य प्रमुख और राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ ने भी उंगली उठाई थी। टीवी पर प्रसारित एक संदेश में डॉ. खान ने ईरान, उत्तर कोरिया और लीबिया को परमाणु तकनीक बेचने की बात स्वीकार भी की थी। पर वो इससे मुकर गए थे. 2008 में डॉ. खान ने ब्रिटिश अखबार ‘द गार्डियन’ को दिए इंटरव्यू में कहा था कि उन पर राष्ट्रपति मुशर्रफ का दबाव था, इसीलिए बेचने की बात कही थी।