इंदौर-मनमाड़ रेल लाइन की डीपीआर तैयार, यह रेल लाइन 268 किलोमीटर की होगी, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के छह जिलों को मिलेगा फायदा

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इंदौर. बहुप्रतीक्षित इंदौर-मनमाड़ रेलवे लाइन को धरातल पर लाने की दिशा में अब तेजी से काम हो रहा है। सांसद शंकर लालवानी ने बताया कि इंदौर-मनमाड़ रेल लाइन की डीपीआर यानी डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार हो गई है और सेंट्रल रेलवे ने इसे रेलवे बोर्ड में प्रस्तुत की है।सांसद शंकर लालवानी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव को धन्यवाद देते हुए कहा कि इंदौर-मनमाड़ रेलवे लाइन पर ठोस प्रगति हुई है और इंदौर तथा मध्यप्रदेश के आदिवासी बहुल जिलों के लिए यह प्रगति की रेल साबित होगी। इस ट्रैक के बनने से सिर्फ इंदौर ही नहीं बल्कि पूरे क्षेत्र को फायदा मिलेगा। इंदौर से मुंबई एवं दक्षिण के राज्यों के बीच कनेक्टिविटी सुगम होगी।

इंदौर-मनमाड़ रेल लाइन कुल 268 किलोमीटर की होगी जिसमें से धुले मनमाड के बीच 50 किलोमीटर पर काम चल रहा है, बचे हुए 218 किलोमीटर के लिए 2,200 हेक्टेयर जमीन की आवश्यकता होगी। इस रूट पर 300 छोटे-बड़े ब्रिज बनेंगे वही 9 टनल बनेगी जिसकी लंबाई 20 किलोमीटर से ज्यादा होगी। इस मार्ग पर 34 स्टेशन बनेंगे इस ट्रैक के बनने से मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के छह जिलों यानी इंदौर, धार, खरगोन, बड़वानी, धुले और नासिक को फायदा होगा। इस प्रोजेक्ट की संभावित लागत 22,000 करोड़ रु से ज़्यादा होगी

पिछले दिनों सांसद लालवानी ने रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव का इंदौर स्टेशन पर दौरा करवाया था और इस प्रोजेक्ट के बारे में विस्तृत चर्चा की थी। तभी रेलमंत्री ने इंदौर से जुड़े सभी प्रोजेक्ट की रिपोर्ट 2 दिनों में दिल्ली भेजने के निर्देश दिए थे।अब रेलवे बोर्ड इस रिपोर्ट का परीक्षण कर नीति आयोग को रिपोर्ट भेजेगा जिसके बाद नीति आयोग इसका अध्ययन करेगा और वित्त मंत्रालय में ये रिपोर्ट जाएगी। आखिर में केंद्रीय कैबिनेट इस पर अंतिम मुहर लगाएगा।पहले पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने इंदौर-मनमाड़ रेल लाइन की पहल की थी और ये प्रोजेक्ट चार एजेंसी मिलकर करने वाली थी लेकिन कुछ कारणों से ये आगे नहीं बढ़ पाया था। बाद में जुलाई 2022 में सांसद लालवानी के आग्रह पर रेल मंत्रालय ने इसे खुद करने का फैसला किया और एक साल में ये काम गति पकड़ चुका है।