बाकलम – नितेश पाल
इंदौर में कोरोना के मामलों की स्थिति भयावह से उपर जा चुकी है। अस्पतालों में जगह नही बची है। तेजी से कोरोना की जांच की किट प्रदेश के मेडिकल हब माने जाने वाले शहर के पास नहीं है। शहर त्राहिमाम् कर रहा है। शहर की हर गली कोरोना के सम्भावित क्षेत्र में तब्दील हो चुकी है। उसके बावजूद मंगलवार को 56 दुकान पर जो कुछ हुआ वह इस शहर ने देखा। छोटी सी ओर सार्वजनिक जगह में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के लिए एक बड़ा आयोजन रखा गया।
कोरोना को रोकने के लिए ये आयोजन था, लेकिन यहाँ कोरोना का भंडारा मुख्यमंत्री के सामने लग गया। नेता एक दूसरे से चिपक चिपक कर फोटोबाजी करवा रहे थे। आम जनता सोशल डिस्टेंसिग पालन करे इसका फोटो मुख्यमंत्री करवा रहे थे, भीड़ के साथ। जब पूरे शहर में छोटी दुकानों से लेकर बड़े शोरुम तक सोशल डिस्टेंसिग का पालन नही करने के नाम पर सील लिए जा रहे है तो फिर इस सरकारी आयोजन में जो सोशल डिस्टेंसिग के कायदे टूटे उसके लिए किसे सील किया जाए, किसका चालान बनाया जाए?
मुख्यमंत्री जी आपकी ही सरकार के गृह मंत्रालय ने सभी तरह के धार्मिक, राजनीतिक, सामाजिक आयोजन पर रोक लगा रखी है। इसके कारण इंदौर ने अपनी गेर ओर फाग उत्सवों की परंपरा को थाम लिया है। ऐसा तो है नही की आपको उसकी जानकारी नहीं है, फिर भी आपके सामने ही ये लक्ष्मण रेखा टूटती रही ओर आप मौन रहे। आप रामायण के मर्मज्ञ है। क्या आपको नही पता जब जब लक्ष्मण रेखा टूटती है नतीजा भयंकर होता है।
खुद प्रकृति भी इससे नाराज थी, इसलिए असमय ही आसमान भी रो पड़ा। आप पर पूरे प्रदेश की जिम्मेदारी है। आप पूरे प्रदेश का प्रतिनिधित्व करते हो। लेकिन मंगलवार को जो कुछ हुआ उससे आप क्या सिख दे गए। क्या कोरोना इस तरह के सार्वजनिक आयोजन से कम होगा। कल जो हुआ उससे कोरोना नहीं बढ़ेगा। कल 56 दुकान पर जो नेता इकट्ठा हुए थे वे सब कोरोना मुक्त थे, या कोरोना ने उन्हें बता दिया था कि उसने मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में आने वालों को अभयदान दिया हुआ है।
यदि इस भीड़ के कारण किसी को कोरोना होता है या इस बीमारी के कारण कोई असमय काल के गाल में समाता है तो उसके बाद उसके परिवार का क्या होगा, किसी ने सोचा भी है। जब न्याय के मंदिर न्यायालय जनता के बारे में सोच रहे है अपने लिए गाइडलाइन बना रहे है, तब आपको ओर आपके इस आयोजन को करने वालो को क्या इसके बारे में नही विचार करना चाहिए था। मेरे हिसाब से ये शहर को सीधे सीधे मौत का शहर बनाने की कोशिश है। ये क्या महामारी फैलाने को रोकने के लिए बनाए गए कानून का उल्लंघन नही है। शायद आप मुख्यमंत्री है इसलिए कानून से ऊपर है।
वैसे कानून की जो थोड़ी बहुत जानकारी है उसके मुताबिक यदि नियमों के टूटने ओर उसके गम्भीर परिणाम की आशंका होने पर कोर्ट सीधे सोमोटो केस खोल सकती है। दिल्ली हाईकोर्ट ओर मुंबई हाईकोर्ट कई मामलों में इस तरह की संवेदनशीलता दिखा चुकी है। मंगलवार को 56 दुकान पर जो कुछ हुआ उसके लिए क्या शहर इस तरह के आयोजन करने वालो को माफ कर सकेगा, शायद नेतानगरी अपने स्वार्थों के चलते इस पर पर्दा डाल दे, लेकिन जो भी इसके कारण बीमार होगा वो ओर उसका परिवार शायद माफी नही दे सकेगा।