मन की बात में काम की बात की उम्मीद ना करें.

Mohit
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narendra modi

पिछले रविवार को आकाशवाणी पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मन की बात कार्यक्रम की 77वीं कड़ी पेश की गई। देश की वर्तमान स्थित, कोरोना संकट और इस महामारी की आने वाली तीसरी लहर की आशंकाओं के मध्य यह उम्मीद की जा रही थी कि इस बार मन की बात में कुछ काम की बात भी प्रधानमंत्री द्वारा कही जाएगी। लेकिन हर बार की तरह इस बार भी मन की बात में सिर्फ मन की बात ही थी, काम की एक भी बात नहीं सुनाई दी। हालांकि हर बार की तरह भक्तों के लिए मन की बात, काम की बात से बढ़कर रही। प्रधानमंत्री जी ने यह तो बताया कि सामान्य दिनों में हमारे यहां एक दिन में 900 मीट्रिक टन मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन होता था जो की अब 10 गुना से ज्यादा बढ़कर करीब 9500 मीट्रिक टन प्रतिदिन हो गया है लेकिन प्रधानमंत्री जी ने यह नहीं बताया कि अप्रैल माह के दौरान जब कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर चरम पर थी तब देश भर में ऑक्सीजन की कमी से कितने लोगों ने दम तोड़ा? और यदि कोरोना की तीसरी लहर आती है तो क्या उसका सामना करने के लिए यह ऑक्सीजन पर्याप्त होगी? देश के अस्पतालों में उपलब्ध बेडों की स्थिति क्या है? क्योकि पिछले दिनों तो यह देखा गया कि अस्पतालों में बेड ही उपलब्ध नहीं थे और मरीज बेड के आभाव में अस्पताल के गेट पर दम तोड़ रहे थे।

कोरोना की तीसरी लहर से निपटने के लिए अस्पतालों में उपलब्ध बिस्तरों की संख्या में कितनी बढ़ोतरी की जा रही है? तीसरी लहर में बच्चों के सबसे ज्यादा प्रभावित होने की आशंका पहले ही जताई जा चुकि है तो बच्चों के लिए कितने बेड उपलब्ध हैं और उनकी संख्या कितनी बढ़ाई जा रही है?…इन सब बातों का जवाब मन की बात में नहीं मिला। इन सवालों का जवाब देने के बजाय प्रधानमंत्री ने अपनी सरकार के 7 साल की उपलब्धियों और काम को गिनाया। उन्होंने बताया कि अब भारत अपने खिलाफ साजिश रचने वालों को मुंहतोड़ जवाब देता है। राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दाें पर समझौता नहीं करता। यह सभी बातें सामान्य परिस्थिति में प्रत्येक भारतीय के लिए गर्व करने वाली है लेकिन क्या वर्तमान में देश में सामान्य परिस्थिति है? देश में 3 लाख 31 हजार 718 लोगों की मौत कोरोना से हो चुकी है क्या इन मृतकों के परिजनों को इस बात से संतुष्टि मिल सकती है कि देश अपने छद्म दुशमनों को मुंहतोड़ जवाब देने की स्थिति में आ गया है। वैक्सीनेशन के मामले में केन्द्र सरकार की नीति फेल हो चुकी है। देश में टीके का गंभीर संकट है, इस पर प्रधानमंत्री जी कोई बात नहीं की। कुल मिलाकर मन की बात सिर्फ मन की बात ही साबित हुई जबकि प्रधानमंत्री से उम्मीद थी कि वह कुछ काम की बात करेंगे…इस बात का इंतजार पता नहीं कब समाप्त होगा।

पंकज भारती