इंदौर। किसी भी नई बीमारी के बारे में जितनी अधिक जानकारी होती है, मरीजों की जान बचाने में उतनी ही मदद मिलती है। कई शोधों से साबित हो चुका है कि डायबिटीज़ के मरीजों को कोविड-19 का संक्रमण होने पर सामान्य से अधिक खतरा होता है। ऐसे मरीजों की जान बचाने के लिए इंदौर के युवा डायबेटोलोजिस्ट डॉक्टर भरत साबू ने खास रिसर्च की, जिसे रिसर्च सॉसायटी फ़ॉर स्टडी ऑफ डायबिटीज़ इन इंडिया RSSDI की सालाना कॉन्फ़्रेन्स में प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ है। यह डायबिटीज़ पर होने वाली एशिया की सबसे बड़ी कॉन्फ़्रेन्स है। 26 नवंबर से 29 नवंबर तक ऑनलाइन आयोजित की गई इस कॉन्फ्रेंस में 19000 डॉक्टर्स ने हिस्सा लिया। कॉन्फ्रेंस में डॉक्टर भरत साबू के रीसर्च पेपर को ओरल रीसर्च श्रेणी में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ है और विश्व भर में इस शोध कार्य की प्रशंसा हो रही है।
डॉक्टर भरत साबू ने शोलापुर के डॉक्टर अनिकेत इनामदार के साथ मिलकर डायबिटीज़ के रोगियों के कोरोना रोग मे ऑक्सिजन के स्तर पर अपना शोध प्रस्तुत किया था। शोध में आपने पाया कि डायबीटीज़ के रोगियों में आक्सिजन की कमी की समस्या का पता समय रहते लगा लिया जाए तो कोरोना रोगी को गंभीर स्थिति से बचाया जा सकता है। विशेष परिस्थितियों में इस मरीज की जान भी बचाई जा सकती है। इस शोध के परिणामों से यह भी ज्ञात हुआ कि डायबिटीज़ के कोरोना रोगियों में आक्सिजन की मात्रा सामान्य रोगियों से कम होती है और सीटी स्कोर ज्यादा रहता है , जिससे उनमें कोविड-19 होने पर गंभीर जटिलताएं होने की संभावना अधिक होती है। शोध के अनुसार डायबिटीज़ रोगियों में निमोनिया का प्रभाव ज्यादा होता है। यदि समय रहते सिर्फ आक्सिजन की कमी का पता लगा लिया जाए तो इन रोगियों की जान बचा सकता है एवं स्वास्थ्य सेवाओं पर अनावश्यक दबाव को कम किया जा सकता है।
इस शोध को डायबिटीज़ जर्नल में प्रकाशित करने का निर्णय लिया गया है। यह शोधपत्र आगे इस विषय पर आगे शोध करने वालों के लिए एक रेफ़्रेन्स का काम करेंगा। यह युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा की बात है कि जहां हमारे देश को रीसर्च में पीछे माना जाता है वहीं हमारे शहर के युवा डायबीटीज़ विशेषज्ञ डॉक्टर भरत साबू ने इंदौर शहर को विश्व भर में डायबिटीज़ रोगियों में कोरोना के असर पर रीसर्च में प्रसिद्ध कर दिया यह इंदौर शहर के लिए गौरव की बात है।