क्या आप जानते है कैसे हुआ था सूर्य देव का जन्म, इतनी रहस्यमय है कथा

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सूर्य और चंद्र इस पृथ्वी के सबसे ताकतवर देवता में से है। ये हमें प्रत्यक्ष उनके सर्वोच्च दिव्य स्वरूप में दिखाई देते हैं। बता दे, वेदों में सूर्य को जगत की आत्मा कहा गया है। सूर्य से ही इस पृथ्वी पर जीवन है। सूर्य का बहुत महत्व माना गया है। सूर्य को ग्रहों का राजा कहा जाता है। बता दे, वैदिक काल से ही भारत में सूर्योपासना का प्रचलन रहा है। वेदों की ऋचाओं में अनेक स्थानों पर सूर्य देव की स्तुति की गई है।

पुराणों में सूर्य की उत्पत्ति, प्रभाव, स्तुति, मन्त्र इत्यादि विस्तार से मिलते हैं। ज्योतिष के अनुसार सूर्य हर माह एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं। ऐसे में बारह राशियों में सूर्य एक वर्ष में अपना चक्र पूर्ण करते हैं। जैसा की आप सभी जानते है सूर्य के प्रकाश से ही पृथ्वी पर जीवन संभव है। आज हम आपको बताने जा रहे है कि कैसे सूर्य देवता का जन्म हुआ था। क्या है उनके जन्म का रहस्य। तो चलिए जानते है

जन्म कथा –

पुराणों के अनुसार पहले जगत प्रकाश रहित था। ऐसे में कमलयोनि ब्रह्मा जी प्रकट हुए। तब उनके मुख्य से सबसे पहला शब्द ॐ निकला। ये शब्द सूर्य का तेज रुपी सूक्ष्म रूप था। जिसके बाद ब्रह्मा जी के चार मुखों से चार वेद प्रकट हुए जो ॐ के तेज में एकाकार हो गए। जिसके बाद ब्रह्मा जी के चारों मुखों से चार वेद प्रकट हुए। जो ॐ के तेज में एक-रूप हो गए।

बता दे, इसमें से एक-रूप वैदिक तेज ही आदित्य कहलाए। यह विश्व के अविनाशी कारण है। ये वेद स्वरूप सूर्य ही सृष्टि की उत्पत्ति,पालन व संहार के कारण हैं। सूर्य ने ब्रह्मा जी की प्रार्थना पर ही अपने तेज को समेटा और स्वल्प तेज को घारण किया। फिर सृष्टि की रचना की गई तो ब्रह्मा जी के पुत्र मरीचि पैदा हुए। इनके पुत्र ऋषि कश्यप थे। जिसका विवाह अदिति से हुआ था।

मान्यता है कि सूर्य देव को खुश करने के लिए अदिति ने घोर तप किये थे। ऐसे में सूर्यदेव ने अदिति की गर्भ में सुषमा नाम की किरण के तौर पर प्रवेश किया। ऐसे में भी अदिति ने कठोर व्रत जारी रखे थे। वह लगातार चान्द्रायण जैसे कठिन व्रतों का पालन करती रही। जिसको देख कर ऋषि राज कश्यप बहुत क्रोधित हुए। उन्होंने क्रोध में अदिति से कहा कि तुम इतने कठोर उपवास कर रही हो। क्या तुम गर्भस्थ शिशु को मारना चाहती हो।

ऐसे में अदिति ने दिव्य तेज से प्रज्वल्लित हो रहे बालक को जो उनके गर्भ में पल रहा था, अपने उदर से बाहर कर दिया। जिसके बाद सूर्य देव ने उस शिशु के रूप में जन्म लिया। इनका आगे चलकर नाम मार्तंड रखा गया। बता दे, ब्रह्मपुराण में अदिति के गर्भ से जो सूर्य का अंश जन्मा था उसे विवस्वान कहा गया है।