हिन्दू पंचांग के अनुसार सावन माह की शुक्ल पक्ष के पंचमी को नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन अष्टनागों की पूजा की जाती है। इस दिन लोग सोना, चांदी, लकड़ी और मिट्टी की कलम व हल्दी चंदन की स्याही से 5 फन वाले पांच नाग बनाते है। वहीं खीर, कमल पंचामृत, धूप, नवैध आदि से नागों की विधिवत पूजा की जाती है। पूजा के बाद ब्राह्मणों को लड्डू व खीर का भोजन कराते है।
बड़े श्रद्धा भाव से हिंदू इस पर्व को मनाते है। इस बार 13 अगस्त 2021 शुक्रवार को शुक्ल पक्ष की पंचमी को नागपंचमी का त्योहार रहेगा। यह दिन काल सर्प दोष का निवारण करने के लिए भी बहुत शुभ है। आइए जानते हैं नाग पंचमी की पूजा और इस दोष का निवारण करने की विधि।
नाग पंचमी के दिन पूजा करने का शुभ मुहूर्त 13 अगस्त को सुबह 5 बजकर 49 मिनट से सुबह 8 बजकर 27 मिनट तक रहेगा। इस व्रत के लिए तैयारी चतुर्थी के दिन से ही शुरू हो जाती हैं। चतुर्थी के दिन एक समय भोजन करें और इसके बाद पंचमी तिथि के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
वहीं पूजा के लिए नागदेव का चित्र चौकी के ऊपर रखें और फिर हल्दी, रोली, चावल और फूल चढ़ाकर नाग देवता की पूजा करें। वहीं कच्चा दूध, घी, चीनी मिलाकर लकड़ी के पट्टे पर बैठे सर्प देवता को अर्पित करें। पूजा के बाद सर्प देवता की आरती उतारी उतारें और आखिर में नाग पंचमी की कथा अवश्य सुनें।
राहु-केतु के अशुभ असर से बचने के उपाय
– ऐसे जातकों को सांप को दूध अर्पित करने से लाभ मिलता है लेकिन आप दूध के पैसे सपेरे को न दें अपितु परोक्ष रूप से नाग को अर्पित करें। यदि सपेरा स्वयं दूध पी जाता है या आप द्वारा दिए गए पैसों का भोजन कर लेता है तो उस उपाय अथवा दान का कोई माहात्म्य नहीं रह जाता। सर्पपालक के तौर पर उसे अलग से दान दिया जा सकता है।
- इसके अलावा नवनाग स्तोत्र का पाठ करें।
– चांदी का नाग बना कर मध्यमा उंगली में धारण करने से लाभ होगा।
– शिवलिंग पर तांबे का सर्प अनुष्ठानपूर्वक चढ़ाया जा सकता है। तांबे के लोटे में नाग के जोड़े डाल कर ,बहते जल में प्रवाहित किये जा सकते हैं।
– इस दिन राहु यंत्र भी रखा जा सकता है। काल सर्प दोष निवारण यन्त्र स्थापित एवं धारण किया जा सकता है।