इस दिन मनाई जाएगी दिवाली, जानें शुभ मुहूर्त और तिथि

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दिवाली हिन्दू धर्म का सबसे प्रमुख त्योहार में से एक है। इस त्योहार को सभी लोग बड़े ही धूमधाम से मानते है। हर कोई इस त्योहार का इंतजार बड़े ही बेसब्री से करता है। लेकिन इस बार सभी त्योहार एक महीना लेट आ रहे है। इस बार दिवाली 14 नवंबर को मनाई जाएगी। जैसा की आप सभी को पता है ये त्योहार 5 दिन तक मनाया जाता है। जो धनतेरस से भाई दूज तक चलता है। इस त्योहार को अंधकार पर प्रकाश की विजय का त्योहार माना जाता है। क्योंकि दिवाली के दिन ही श्रीराम अयोध्या लौटे थे। तब पूरी अयोध्या को दीपों से सजाया गया था।

वहीं ये त्योहार हर साल कार्तिक मास की अमावस्या के दिन आता है इस दिन पूरे विधि विधान से मां लक्ष्मी और श्रीगणेश की पूजा की जाती है। शास्त्रों में कहा गया है कि सुख-समृद्धि की कामना के लिए दिवाली से बढ़कर कोई त्योहार नहीं होता इसलिए इस अवसर पर मां लक्ष्मी की पूजा भी की जाती है। इसलिए दीपदान, धनतेरस, गोवर्धन पूजा, भैया दूज जैसे त्योहार दिवाली के ही साथ मनाए जाते है। इस दिन घर के मुख्य द्वार पर रंगोली बनाई जाती है। साथ ही पूरे घर को दीपों से सजाकर मां लक्ष्मी के आगमन का स्वागत किया जाता है। तो चलिए जानते है दिवाली का शुभ मुहूर्त और महत्त्व –

इस दिन से शुरू होंगे त्योहार

12 नवंबर 2020 गोवत्स द्वादशी, वसु बरस।
13 नवंबर 2020 को धनतेरस, धन्वंतरि त्रयोदशी, यम दीपदान, काली चौदस, हनुमान पूजा।
14 नवंबर 2020 को नरक चतुर्दशी, दिवाली, महालक्ष्मी पूजन।
15 नवंबर 2020 को गोवर्धन पूजा, अन्नकूट, बलि प्रतिपदा।
16 नवंबर 2020 को प्रतिपदा, यम द्वितिया, भैया दूज, भाईदूज।

ये है शुभ तिथि और पूजन मुहूर्त –

दिवाली की तिथि- 14 नबंवर
अमावस्या तिथि प्रारम्भ- 14 नबंवर दोपहर 2 बजकर 17 मिनट से
अमावस्या तिथि समाप्त- अगले दिन सुबह 10 बजकर 36 मिनट तक (15 नबंवर 2020)
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त- शाम 5 बजकर 28 मिनट से शाम 7 बजकर 24 मिनट तक (14 नबंवर 2020)
प्रदोष काल मुहूर्त- शाम 5 बजकर 28 मिनट से रात 8 बजकर 07 मिनट तक
वृषभ काल मुहूर्त- शाम 5 बजकर 28 मिनट से रात 7 बजकर 24 मिनट तक

इन बातों का रखे ध्यान –

पूजा पूजा करते वक्त सामग्री में गन्ना, कमल गट्टा, खड़ी हल्दी, बिल्वपत्र, पंचामृत, गंगाजल, ऊन का आसन, रत्न आभूषण, गाय का गोबर, सिंदूर, भोजपत्र का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए। साथ ही गुलाब चन्दन और केवड़े के इत्र का भी क्योंकि ये इत्र मां लक्ष्मी को प्रिय है। साथ ही व्यावसायिक प्रतिष्ठान, गद्दी की भी विधिपूर्वक पूजा करें। आपको बता दे, लक्ष्मी पूजन रात के 12 बजे करने का विशेष महत्व होता है। रात को 12 बजे दीपावली पूजन के बाद चूने या गेरू में रुई भिगोकर चक्की, चूल्हा, सिल तथा छाज पर तिलक करें।